गुड़गांव: सनबीम कंपनी ने कर दी 46 ठेका मज़दूरों की छँटनी; मज़दूर संघर्षरत

पुराने मज़दूरों को निकालकर नई भर्ती के तहत सनबीम प्रबंधन ने 11 अक्टूबर को 46 मज़दूरों 1 नवंबर से काम से निकालने का नोटिस जारी किया था, जबकि विवाद श्रम विभाग में लंबित है।

गुड़गांव (हरियाणा)। गुड़गांव स्थित सनबीम लाइटवेटिंग सोल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड प्रबंधन ने अंततः हठधर्मिता पूर्वक 46 ठेका मज़दूरों की सेवा समाप्त कर दी। जबकि इस मामले में श्रम अधिकारी के समक्ष संरधान/आईआर कार्यवाही जारी है और 7 नवंबर को वार्ता की तिथि निर्धारित है।

ज्ञात हो कि सनबीम प्रबंधन ने बीते 11 अक्टूबर को 46 मज़दूरों की छँटनी के तहत 1 नवंबर से काम से निकालने का नोटिस जारी किया था, उसे 1 नवंबर से लागू कर दिया और लंबे समय से कार्यरत मज़दूरों के पेट पर लात मार दिया।

सनबीम प्रबंधन द्वारा जारी उक्त नोटिस में ग्रॉस एडुकेयर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कंपनी को ठेके पर उपलब्ध कराये गये 46 मज़दूरों को काम से निकालने की घोषणा की गयी थी। मज़दूरों से 31 अक्टूबर को अपना बकाया हिसाब ले लेने की सूचना के तहत 31 अक्टूबर तक का हिसाब कर दिया गया। नोटिस के मुताबिक कंपनी में 31 अक्टूबर उन मजदूरों का आखिरी कार्य दिवस था।

काम से निकाले गए मज़दूरों ने इस छंटनी को गैरकानूनी करार दिया है। इस सम्बन्ध में मज़दूरों ने सितंबर के महीने में अपनी मांगों का एक पत्र गुरुग्राम डीसी ऑफिस में लगाया था। जिसमें उनकी  तत्काल कार्यबहाली की मांग की गई थी।

इस मामले में अगली सुनवाई 7 नवंबर को है।

उल्लेखनीय है कि सनबीम का गुड़गांव प्लांट, दिल्ली-जयपुर हाईवे पर स्थित हीरो बाइक बनाने वाले प्लांट से महज 1-2 किलोमीटर की दूरी पर है। यह फैक्ट्री ऑटो सेक्टर की बड़ी वेंडर कम्पनियों में से एक है, जो ऑटोसेक्टर की कई मदर व वेंडर कम्पनियों के कलपुर्जे बनाती है। जिसमें करीब 1000 स्थायी और 2000 से अधिक ठेका मज़दूर काम करते हैं।

दशकों से कार्य कर रहे पुराने मज़दूरों को निकालकर नई भर्ती

निकाले गए मज़दूरों का आरोप है कि प्रबंधन 10 से 20 साल से काम कर रहे पुराने ठेका मज़दूरों को निकाल कर नए और कम वेतन वाले ठेका मज़दूरों को भर्ती करने की मंशा के से मज़दूरों को काम से निकाल रहा है।

प्रबंधन के अनुसार फैक्ट्री में काम नहीं है, इसलिए वह ठेका मज़दूरों को काम से निकाल रहा है।

मज़दूरों का आरोप था कि अगर काम नहीं है तो फिर नए ठेका मज़दूरों की भर्तियां क्यों की जा रही हैं? उनका आरोप था कि प्रबंधन सस्ते मज़दूर चाहता है, इसलिए वह पुराने मज़दूरों को काम से निकाल रहा है।

जानकारी के मुताबिक प्रबंधन कुछ ठेकेदारों का ठेका कैंसिल करने की भी तैयारी कर रहा है। यदि ऐसा होता है तो लगभग 500 ठेका मज़दूरों की आजीविका पर संकट गहरा सकता है।

इतना ही नहीं इससे पहले बीते महीने पीड़ित मजदूरों के अधिकारों के लिए सक्रीय पांच पुराने मज़दूरों के पंचिंग कार्ड भी ब्लॉक कर दिये गये थे और उन्हें बिना किसी अग्रिम नोटिस के गैरकानूनी तरीके से बाहर कर दिया था।

गौरतलब है कि हरियाणा में ठेका मज़दूरों के हालात बहुत ख़राब है। फैक्ट्री प्रबंधन लगातार बिना कारण बताये मज़दूरों को काम से निकाल रहा है।

मानेसर स्थित हिटाची प्रा. लि. के ठेका मज़दूरों ने जब स्थायी रोज़गार की मांग की तो, प्रबंधन ने करीब 20 ठेका मज़दूरों को 12 दिनों के अंदर काम से निकला दिया। जिसको लेकर मज़दूर लगातार कार्य बहाली की मांग कर रहे हैं। इस संबंधन में मज़दूरों ने श्रम विभाग को मांग पत्र भी सौंपा है।

उससे पहले नपिनो (मानेसर) और मुंजाल शोवा (गुड़गाँव) के स्थायी मज़दूरों की छंटनी के मामले सामने आये हैं। वहीं, मानेसर स्थित बेलसोनिका मज़दूर यूनियन द्वारा एक ठेका मज़दूर को यूनियन की सदस्यता देने के बाद प्रबंधन लगातार यूनियन को तोड़ने व पुराने कैजुअल/ठेका मज़दूरों को काम से निकालने की कोशिश कर रहा है।

साभार: वर्कर्स यूनिटी के इनपुट के साथ

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