भगवती-माइक्रोमैक्स में फिर से अवैध गेटबंदी, श्रमिकों में आक्रोश; एएलसी ने जारी किया नोटिस

मानमानापन: लंबे ले ऑफ के बाद अभी दो माह पूर्व ही इन श्रमिकों की कार्यबहाली हुई थी। जबकि अवैध छँटनी के शिकार 303 श्रमिक हाई कोर्ट से जीतने के बावजूद अभी भी संघर्षरत हैं।

पंतनगर (उत्तराखंड)। माइक्रोमैक्स फोन निर्माता भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड, सिडकुल, पंतनगर के प्रबंधन ने एक बार फिर आज 29 अक्टूबर 2022 से गैर कानूनी रूप से श्रमिकों की गेटबंदी कर दी। दो माह बाद भगवती माइक्रोमैक्स के श्रमिक फिर बेरोजगार हो गए।

ज्ञात हो कि प्रबंधन पुराने श्रमिकों से छुटकारा पाने के लिए 27 दिसंबर 2018 को 303 श्रमिकों की अवैध छँटनी कर दी थी जो हाईकोर्ट से भी अवैध घोषित हो चुका है। उसी वक्त से शेष 47 श्रमिकों को गैर कानूनी ले ऑफ दे दिया था और यूनियन अध्यक्ष को बर्खास्त कर रखा है।

लंबे ले ऑफ के बाद अभी दो माह पूर्व ही इन श्रमिकों की कार्यबहाली हुई थी। जबकि अवैध छँटनी के शिकार 303 श्रमिक कोर्ट से जीतने के बावजूद अभी बाहर हैं।

उल्लेखनीय है कि अवैध छँटनी का विवाद देश की सर्वोच्च अदालत में लंबित है और प्रबंधन को इसी महीने 5 करोड़ रुपए उच्चतम न्यायालय में जमा करना है। शेष 27 श्रमिकों के लिए कंपनी ने यह कथित क्षमता वृद्धि प्रशिक्षण/भिवानी स्थानांतरण पत्र उक्त राशि जमा करने से ठीक पूर्व दिया है।

मज़दूरों ने किया प्रदर्शन, एएलसी ने भेजा नोटिस

प्रबंधन के इस कृत्य से आक्रोशित मज़दूरों ने भगवती इम्पालाइज यूनियन के नेतृत्व में कंपनी गेट पर और श्रम भवन रुद्रपुर में जोरदार प्रदर्शन किया और पत्र देकर कार्यबहाली की माँग की।

मज़दूरों के प्रदर्शन के बाद सहायक श्रमआयुक्त ने कंपनी को नोटिस भेजकर 2 नवंबर को साक्ष्यों के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया है।

एएलसी द्वारा प्रेषित उक्त नोटिस में लिखा है कि “दिनांक 14/09/2022 को संराधन अधिकारी उप श्रम आयुक्त महोदय द्वारा त्रिपक्षीय वार्ता के दौरान निर्देशित किया था कि श्रम कानूनों का उल्लंघन न किया जाए तथा किसी प्रकार की कार्यवाही की पूर्व सूचना कार्यालय स्तर पर दी जाए। आपके उक्त कृत्य से यह प्रतीत होता है कि आप जानबूझकर औद्योगिक विवाद को बढ़ाने तथा औद्योगिक शांति पर प्रतिकूल प्रभाव डालने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि श्रमिक तो मात्र प्रतिष्ठान में नियोजन कर अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं।”

क्षमता वृद्धि ट्रेनिंग की नोटिस गैरकानूनी

भगवती इम्पालाइज यूनियन द्वारा श्रम अधिकारियों को दिए गए पत्र में लिखा है कि आज शनिवार को प्रातः निर्धारित समय पर जब श्रमिक कार्य पर पहुंचे तो कंपनी गेट पर एक कथित नोटिस लगा था कि समस्त श्रमिकों को दिनांक 1 नवंबर 2022 से भिवाड़ी राजस्थान कथित क्षमता वृद्धि ट्रेनिंग के लिए जाना है और इस प्लांट में प्रवेश भी प्रतिबंधित कर दिया गया।

कंपनी से श्रमिकों को व्हाट्सएप से प्राप्त पत्र में तमाम शर्तों के साथ 6 महीने की ट्रेनिंग और उसे भी बढ़ाए जाने की बात दर्ज है। यह पूरा पत्र स्थानांतरण पत्र के रूप में है जिसमें केवल ट्रेनिंग की बात लिखी हुई है।

प्रशिक्षण तो बहाना है

यूनियन ने कहा कि कथित नोटिस और कथित पत्र में दिनांक 01/11/2022 से भिवाड़ी राजस्थान रिपोर्ट करने की बात दर्ज है और आज 29/10/2022 को ही कंपनी का गेट बंद कर दिया गया।

श्रमिक पूर्ण रूप से प्रशिक्षित बीटेक/डिप्लोमा/आईटीआई हैं और करीब एक दशक से कंपनी में कार्य कर रहे हैं। ऐसे में क्षमता वृद्धि प्रशिक्षण का कोई औचित्य नहीं है। प्रशिक्षण कंपनी के भीतर संभव है और प्रशिक्षण 15 दिन या अधिकतम 1 महीने के लिए हो सकती है।

लेकिन इसमें 6 माह की अवधि और उसे भी बढ़ाए जाने की बात लिखी है। ठीक वैसे ही जैसे लेऑफ अनिश्चितकाल तक प्रबंधन ने चलाया।

किसी प्रशिक्षण के लिए भेजते समय रहने, खाने और प्रशिक्षण संबंधी खर्च की पूरी जिम्मेदारी कंपनी की होती है जबकि इसमें पंतनगर प्लांट में मिल रही सेवा शर्तों को बहाल रखने की बात दर्ज है।

यह पत्र श्रमिकों की सेवा शर्तों को ही पूरी तरीके से बदल रहा है, जो कि कंपनी के प्रमाणित स्थाई आदेश का खुला उल्लंघन है। यह श्रम कानूनी प्रावधानों के विपरीत है।

संरधान अधिकारी के निर्देश की अवमानना

यूनियन ने बताया कि प्रबंधन द्वारा अनिश्चितकालीन गैरकानूनी लेआफ समाप्त करने के बाद संराधन अधिकारी श्रीमान उप श्रमआयुक्त महोदय ने यह निर्देश दिया था कि प्रबंधन किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही करने से पूर्व श्रम अधिकारी की अनुमति लेगा लेकिन प्रबंधन ने ऐसा नहीं किया।

अनिश्चितकालीन व अवैध लेआफ समाप्त और दिनांक 01/09/2022 से श्रमिकों की कार्य बहाली होने के बाद से प्रबंधन तरह-तरह से श्रमिकों को वेतन कटौती सहित उत्पीड़ित और परेशान करता रहा, उनसे हिसाब ले लेकर चले जाने का दबाव बनाता रहा, जिससे कई श्रमिक हिसाब लेकर जा चुके हैं। वर्तमान में ले ऑफ के शिकार रहे 47 श्रमिकों में से महज 27 श्रमिक शेष बचे हैं।

प्रबंधन ने प्लांट में कथित भाजपा नेता से दिलवाई धमकी

यूनियन ने बताया कि कल 28 अक्टूबर को कंपनी में एक कथित स्थानीय भाजपा नेता को कंपनी के कारखाना प्रबंधक श्री नरेंद्र त्यागी ने बुला रखा था। शाम को छुट्टी होने से पूर्व कारखाना प्रबंधक द्वारा समस्त श्रमिकों को बुलाया गया और उक्त कथित नेता ने उनके समक्ष हमसे बोला कि बीच का रास्ता निकालो और हिसाब लेकर जाओ, जिसपर हम लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई थी।

इससे प्रबंधन की नियत और गलत मनसा स्पष्ट होती है।

चार साल से प्रबंधन का दमन जारी

ज्ञात हो कि भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड के प्रबंधन ने 27 दिसंबर 2018 को 303 श्रमिकों की गैरकानूनी छंटनी की थी, जिसे माननीय औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी तथा माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल ने अवैध घोषित कर दिया था।

इस गैरकानूनी छँटनी के साथ प्रबंधन ने 47 श्रमिकों को लंबे समय तक गैर कानूनी लेऑफ पर बैठाए रखा, यूनियन अध्यक्ष को छँटनीग्रस्त मज़दूरों का साथ देने के कारण बर्खास्त कर दिया था। यह विवाद श्रम अधिकारियों के समक्ष चलता रहा। इस बीच प्रबंधन ने अचानक दिनांक 01/09/2022 से लेऑफ समाप्त कर श्रमिकों की कार्यबहाली कर दी।

दिनांक 14/09/2022 को संरधन अधिकारी/श्रीमान उप श्रम आयुक्त महोदय की मध्यस्थता में आईआर कार्यवाही/वार्ता में प्रबंधन ने लिखित रूप से लेऑफ समाप्त करने की सूचना दर्ज कराई। साथ ही संराधन अधिकारी द्वारा यह निर्देश दिया गया था कि प्रबंधन कोई भी कार्रवाई करने से पहले उनसे अनुमति लेगा, लेकिन प्रबंधन ने उसकी अवमानना करते हुए अवैध गेटबंदी कर दी।

मज़दूरों का धरना जारी

कोर्ट के आदेश के परिपालन व कार्यबहाली के लिए भगवती-माइक्रोमैक्स के छँटनी के शिकार व बर्खास्त 204 श्रमिकों का श्रम भवन पर लंबे समय से धरना जारी है। अब गेटबंदी के शिकार 27 श्रमिक भी संयुक्त धरने में शामिल हो गए हैं।

46 महीने से संघर्षरत मज़दूरों का कहना है कि प्रबंधन चाहें जितना भी तिकड़म कर ले, हम न्याय और हक़ के लिए अपने अंतिम जीत तक संघर्ष जारी रखेंगे।

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