बिजली आंदोलन पर पुलिस दमन के आदेश के खिलाफ आक्रोश; 19 नवंबर को जन सभा

बिजली बिलों में लूट तथा बिजली आंदोलन को पुलिस बल द्वारा कुचलने के आदेश के खिलाफ ज्ञापन; ग्रामीणों ने कहा कि अगर नेठराना में कार्यवाही हुई तो जमकर विरोध किया जाएगा।

नेठराना, हनुमानगढ़ (राजस्थान)। बिजली आंदोलन पर पुलिस दमन के आदेश के खिलाफ एक बार पुन: नेठराना के ग्रामीणों ने अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध एकजुटता के साथ विरोध प्रदर्शन किया। हनुमानगढ़ जिला कलेक्टर के उस आदेश की कड़ी निन्दा की गई जिसमें दीपावली के त्यौंहार के पूर्व गरीब जनता के कनेक्शन काटे जाने की बात कही गई है।

सभा में ग्रामीणों ने राजस्थान सरकार द्वारा आम जनता पर बिजली बिलों के जरिए 7438 करोड़ के भारी भरकम फ्यूल चार्ज के विरोध में आवाज उठाई। यह राशि राज्य की गहलोत सरकार ने अडानी को गिफ्ट में दी है व अगले पांच साल तक यह रकम प्रदेश के गरीब मजदूर किसान को बिजली बिल के रूप में भरनी पड़ेगी। इतनी बड़ी लूट पर भी प्रदेश के तमाम विधायक, सांसद मौन हैं।

इसके साथ ही दूसरी तरफ बीमा कंपनी प्रीमियम वसूली के बाद और किसानों की फसलें तबाह हो जाने के बाद भी किसानों को बीमा नहीं दे रही। लंपी रोग के चलते राज्य के पशुपालकों की लाखों गाएं इलाज के अभाव में मर गई परंतु गाय के नाम पर राजनीति चमकाने वाली केंद्र की सरकार ने या राज्य सरकार ने कोई मुआवजा नहीं दिया, मनरेगा में मजदूरों को काम नहीं न तो काम का पूरा दाम मिल रहा, नहरों में सिंचाई पानी की समस्या इन सभी मुद्दों पर आने वाले समय में संघर्ष समिति ने एकजुटता के साथ संघर्ष करने की बात कही।

19 अक्टूबर को विशाल जनसभा

अगली 19 अक्टूबर को सुबह 7 बजे से 4 महीनों से जारी धरना स्थल पर नेठराना बस स्टेंड पर विशाल जनसभा रखी गई है। इसमें इलाके के सभी प्रबुद्ध नागरिकों, जन प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों, नारी शक्ति, मजदूर किसान, नौजवानों व आम जन को ज्यादा से ज्यादा संख्या में शामिल हो कर अपने हक की आवाज को बुलंद करने का आह्वान किया गया है।

दिया ज्ञापन

इस बीच बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति के समर्थन मे छानी, रामगढ़ और नोहर मे बिजली बिलों में लूट तथा नेठराना में बिजली आंदोलन को पुलिस बल पर कुचलने के आदेश के खिलाफ तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों ने कहा कि अगर नेठराना में कार्यवाही हुई तो जमकर विरोध किया जाएगा।

आम जनता के शांतिपूर्ण आंदोलन का पुलिस बल की सहायता से दमन किया जाना जनता के लोकतान्त्रिक अधिकारों का हनन है। प्रशासन जानबूझ कर आंदोलन को संघर्ष का रास्ता चुनने को मजबूर कर रहा है। जनता को जायज बिल भरने मे कोई आपती नहीं है लेकिन इसके लिए सरकार बिजली बिलों में चल रही लूट पर तुरंत रोक लगाए।

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