मध्यप्रदेश: यूनियन बैंक एंप्लाईज एसोसिएशन का अधिवेशन; निजीकरण के खिलाफ आवाज हुई तेज

बैंकों का निजीकरण जनोन्मुखी अर्थव्यवस्था, सामाजिक बैंकिंग, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, गरीबों, युवाओं, बेरोजगारों, किसानों, कर्मचारियों एवं नौकरियों की सुरक्षा, आरक्षण नीति के खिलाफ है।

भोपाल: यूनियन बैंक एंप्लाईज एसोसिएशन का आठवां त्रि-वार्षिक अधिवेशन राजधानी नर्मदापुरम रोड के एक मैरिज गार्डन में हुआ। यूनियन के पदाधिकारियों ने केंद्र सरकार की निजीकरण को बढ़ावा देने वाली नीतियों का विरोध करते हुए बताया कि बैंकों का निजीकरण जनोन्मुखी अर्थव्यवस्था, सामाजिक बैंकिंग, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, गरीबों, युवाओं, बेरोजगारों, किसानों, कर्मचारियों के साथ-साथ उनकी नौकरियों एवं नौकरियों की सुरक्षा, आरक्षण नीति के खिलाफ है।

यह उन युवा कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है जो हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में बैंकों में शामिल हुए हैं,इसलिए हमें बैंकों के निजीकरण के खिलाफ संघर्ष करना होगा। बैंकों में कामकाज एवं व्यवसाय लगातार वृद्धि हो रही है। उस अनुपात में भर्ती ना होने से ग्राहक सेवा के ऊपर प्रतिकूल असर पढ़ रहा है। बैंकों में करीब एक लाख से ज्यादा पद खाली हैं। हम बैंकों में रिक्त पदों की भर्ती के लिए भी आंदोलन एवं हड़ताल करेंगे। बैंकों में सबसे बड़ी समस्या बढ़ते हुए खराब ऋणों की है। आइबीसी के नाम पर बैंकों में दिनदहाड़े कारपोरेट लूट मची हुई है। बैंकों में खराब ऋणों की अधिकांश राशि कार्पोरेट के ना हैं। हम सरकार से मांग करते हैं कि जानबूझकर बैंक ऋण नहीं चुकाना दंडनीय अपराध की श्रेणी में लाया जाए एवं जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वालों को अपराधी घोषित किया जाए। अधिकवेशन का शुभारंभ एप्लाइज एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड एन शंकर ने किया।

इस अवसर पर अतिथियों के रूप में मध्य प्रदेश बैंक एप्लाइज एसोसिएशन के महासचिव वीके शर्मा, अध्यक्ष दीपक रत्न शर्मा, यूनियन बैंक आफ इंडिया के उप महाप्रबंधक लालचंद झरवाल, देवेंद्र खरे उपस्थित रहे। सभी ने एक ही सुर में कहा कि बैंकों में जमा राशि आम आदमी की है। इसका उपयोग देश के विकास, रोजगार सृजन एवं कल्याणकारी योजनाओं में होना चाहिए न कि कारपोरेट लूट के लिए। निजीकरण के खिलाफ गत एक साल के दौरान बैंक कर्मियों द्वारा करीब छह राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जा चुकी हैं। यदि सरकार ने निजीकरण के एजेंडा को विराम नहीं दिया तो आगे आने वाले दिनों में आंदोलन को तेज कर और राष्ट्रव्यापी हड़तालें की जाएगी।

नईदुनिया से साभार

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