अहमदाबाद: एक माह से आंदोलित हिटाची मज़दूरों के साथ आए स्थानीय सरपंच और ग्रामीण

श्रमआयुक्त की मध्यस्थता में वार्ताएं असफल रहीं। जबकि मज़दूरों के समर्थन में उतरे स्थानीय सरपंचों ने प्रबंधन से वार्ता कर कार्यबहाली न करने पर आंदोलन में उतरने की चेतावनी दी है।

अहमदाबाद (गुजरात)। सानंद, अहमदाबाद के वोल विलेज स्थित हिटाची हाई रेल पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रबंधन की हठधर्मिता के बीच मज़दूरों का कार्यबहाली को लेकर आंदोलन जारी है। इस दौरान उप श्रमयुक्त और श्रमआयुक्त की मध्यस्थता में कई दौर की वार्ता असफल रही। उधर स्थानीय ग्रामीण, मुखिया और सरपंच मज़दूरों के समर्थन में उतार गए हैं।

उल्लेखनीय है कि हिटाची हाई रेल पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के मज़दूरों ने संगठित होकर 25 अगस्त को गुजरात के संग्रामी मज़दूर संघ “गुजरात मज़दूर सभा” की ओर से कंपनी को अपना न्यायपूर्ण माँगपत्र भेजा। जिसके बाद से प्रबंधन ने दमन तेज कर दिया।

प्रतिशोधवश उसने एक मज़दूर नेता ज्ञानेंद्र शर्मा को 15 सितंबर को फर्जी आरोपों में निलंबित कर दिया। इसके बाद सात यूनियन नेताओं/मज़दूरों कौशल बाघेला, पीयूष राठौर, विजय परमार, जतिन वालंद, महेंद्र प्रजापति, विमल पटेल और जिगर परमार को बगैर कोई नोटिस दिए अवैध रूप से बर्खास्त कर दिया। उनको अपना पक्ष रखने का कोई मौका दिए बगैर सीधे बैंक में हिसाब भेज दिया।

प्रबंधन ने स्थाई-ठेका मज़दूरों की एकता तोड़ने के लिए दिशा कांट्रैक्टर के अधीन कार्य कर रहे 30 ठेका मज़दूरों का भी गेट बंद कर दिया और उक्त ठेकेदार का ठेका कार्यकाल ही समाप्त कर दिया।

इससे आक्रोशित स्थाई और ठेका मज़दूर 19 सितंबर से गुजरात मज़दूर सभा के नेतृत्व में एकजुट संघर्ष चल रहे हैं और फैक्ट्री के बाहर धरने पर बैठे हैं।

श्रम अधिकारियों की मध्यस्थता में वार्ताएं असफल

इस दौरान उप श्रमआयुक्त महोदय की मध्यस्थता में वार्ता हुई, लेकिन प्रबंधन की हठधर्मिता कायम रहने से कोई समाधान नहीं निकला। इसके बाद राज्य की श्रम आयुक्त की मध्यस्थता में दो दौर की वार्ता हुई, लेकिन बेनतीजा रहीं। प्रबंधन निलंबित व बर्खास्त श्रमिकों को कार्य पर लेने को कतई तैयार नहीं है। साथ ही ठेका मज़दूरों की वापसी पर कोई भी बात करने को तैयार नहीं है।

श्रमआयुक्त ने बगैर किसी आरोप पत्र के बर्खास्तगी को गलत बताया और प्रबंधन को मज़दूरों पर हुई कार्रवाई के संबंध में साक्ष्य जमा करने का निर्देश दिया है।

ग्रामवासियों व सरपंचों का मिला सहयोग

संघर्षरत मज़दूरों को स्थानीय सरपंचों और ग्रामीणों का समर्थन मिलने से उनकी ताक़त मजबूत हुई है। शुक्रवार को ग्राम प्रतिनिधियों ने पुलिस की मौजूदगी में कंपनी के भीतर जाकर प्रबंधन से वार्ता की और समस्त श्रमिकों को काम पर लेने का दबाव बनाया और चेतावनी दी।

इस प्रतिनिधि मण्डल में क्षेत्र के सरपंच (ग्राम प्रधान), डेलिकेट (छः ग्राम का प्रधान), धरासभ्य (पूरे तालुका (तहसील) का मुखिया जिसके अंदर में सरपंच, डेलिकेट सभी आते हैं) शामिल थे। उन्होंने कहा कि मामला हमारे क्षेत्र का है और हमारी जमीन पर ही फैक्ट्री लगी है। ऐसे में मज़दूरों का दमन वे बर्दास्त नहीं करेंगे। प्रबंधन को सोमवार तक का समय देते हुए कहा कि यदि कंपनी नहीं मानी तो तो वे स्थानीय लोगों के साथ आंदोलन के समर्थन में उतर जाएंगे।

मज़दूरों की माँगें-

  1. अवैध रूप से बर्खास्त व निलंबित समस्त स्थाई श्रमिकों व अवैध गेटबंदी के शिकार समस्त ठेका श्रमिकों की बिना शर्त सवेतन कार्यबहाली हो;
  2. माँगपत्र पर सर्वसहमती से समझौता हो, जिसके तहत वेतन में 20000+ बृद्धि हो, इंसेंटिव सीटीसी से न काटकर 100% मिले, 6 लाख का मेडिक्लेम हो, कैंटीन में 5 रुपए में स्वास्थ्यकर भोजन मिले, दिवाली बोनस हर माह वेतन में आने के बजाए दिवाली पर पूरे वेतन का दुगना मिले, राष्ट्रीय पर्व/त्योहार अवकाश 9 के बजाए 18 हो आदि;
  3. मज़दूरों का दमन व उत्पीड़न व यूनियन अधिकार पर हमले बंद हों, प्रबंधन की सभी गैरक़ानूनी कार्यवाहियों पर रोक लगे।

लड़ेंगे, जीतेंगे!

मज़दूर नेताओं का कहना है कि कंपनी में महज 75 स्थाई श्रमिक हैं और बाकी ठेका मज़दूर हैं। वेतन और सुविधाएं बेहद कम हैं। श्रम कानूनों का अनुपालन नहीं किया जाता है, प्रबंधन की मनमर्जी ही चलती है। पहले हम सभी अच्छे थे, लेकिन जैसे ही अपने हक़ के लिए मज़दूर संगठित हुए, वे गलत हो गए।

उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में मज़दूरों के यही हालत हैं। लेकिन हम हक़ के लिए लड़ेंगे और समस्त पीड़ित श्रमिकों की कार्यबहाली सहित माँगपत्र पर समझौता होने तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे।

About Post Author