मारुति सुजुकी के बर्खास्त मज़दूरों द्वारा कार्य बहाली की मांग पर गुडगाँव में दो दिवसीय भूख हड़ताल आरंभ

दस साल से अधिक समय से संघर्षरत मारुति सुजुकी के बर्खास्त मज़दूरों ने अपने संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए गुरुग्राम के डीसी कार्यालय के सामने दो दिवसीय भूख हड़ताल आरंभ किया है। मारुती सुजुकी वर्यूकर्निस यूनियन के नेताओं ने मालाएं पहना कर 10 अनशनकारियों का अभिनंदन किया।

11 अक्टूबर, 2022। गुरुग्राम: दस साल से अधिक समय से संघर्षरत मारुति सुजुकी के बर्खास्त मज़दूरों ने अपने संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए गुरुग्राम के डीसी कार्यालय के सामने दो दिवसीय भूख हड़ताल आरंभ किया है। मारुती सुजुकी वर्यूकर्निस यूनियन के नेताओं ने मालाएं पहना कर 10 अनशनकारियों का अभिनंदन किया। कई सालों से कानूनी संघर्ष में लगे मारूति के बर्ख़ास्त मज़दूरों के लिए सफलतापूर्वक और बड़ी तादात में मज़दूरों को इकठ्ठा करके यह कार्यक्रम उठा पाना एक महत्वपूर्ण विजय साबित हुई।

वहीँ प्रबंधन और प्रशासन के लिए मज़दूरों की संघर्षशील मंशा की यह झालक बेहद संकटजनक मालूम पड़ रही है। कल कार्यक्रम की तैयारी के दौरान मारुती मानेसर के गेट पर पर्चा बांटते मज़दूरों और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने रोक कर पर्चा बांटने से रोकने की कोशिश की और थाने ले जा कर उनपर दबाव डालने की कोशिश भी की। यह चाल असफल होने के बाद कार्यक्रम में भारी तादात में पुलिस तैनात की गयी थी।

2011 में दमनकारी प्रबंधन और अमानवीय कार्य की शर्तों के ख़िलाफ़ मारुती सुजुकी के मानेसर प्लांट के मज़दूरों ने यूनियन बनाने का प्रया शुरू किया। अपनी यह बुनियादी मांगे उठाने के लिए मज़दूरों पर प्रबंधन द्वारा लगातार विभिन्न प्रकार के हमले किये गए। इसी क्रम में 18 जुलाई 2012 को कम्पनी में आग लगने से एक मेनेजर की मौत का हवाला देते हुए मारुती मनेजेमेंट ने 546 स्थायी और 1800 ठेका मज़दूरों को बर्ख़ास्त कर दिया गया।

घटना का आरोप मज़दूरों पर लगा कर हरियाणा पुलिस की अंधाधुन धडपकड़ शुरू हुई जिसमें 149 मज़दूरों को जेल में दाल दिया गया और अन्य कई मज़दूरों पर मुकदमा लगाए गए। इस मामले में जहाँ गुड़गांव कोर्ट ने 147 मज़दूरों को बाइज्ज़त बरी किया वहीँ 13 मज़दूरों को उम्र कैद की सज़ा सुनाई गयी जिनमें दो मज़दूरों की सज़ा के दौरान मौत हो गयी। अन्य 11 मज़दूरों को चंडीगढ़ उच्च न्यायलय से बेल पर रिहा किया गया है। 18 जुलाई की घटना पर हरियाणा सरकार द्वारा बैठाई गयी एसआईटी ने भी मज़दूरों को निर्दोष घोषित किया।

विभिन्न राज्यों से गुड़गांव पहुंचे बर्खास्त मज़दूर

यह कार्यक्रम मैनेजमेंट, न्यायालय और प्रशासन का रवैय्या देखते हुए मज़दूरों में लगातार बढ़ते रोष और असंतोष को व्यक्त करने का एक प्रयास है। कार्यक्रम के लिए राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश जैसे विभिन्न राज्यों व हरियाणा के अलग अलग जिलों से बर्ख़ास्त मज़दूर गुड़गांव पहुंचे। मज़दूरों का कहना है कि आज सम्मानजनक और सुरक्षित नौकरी के हकदार होते हुए भी वे अपने परिवार का पेट पालने के लिए दर दर भटक रहे हैं। इन दस सालों में उन्हें कोई राहत नहीं मिली है। बर्खास्त मज़दूरों का मुकदमा अभी भी लेबर कोर्ट में जारी है लेकिन इतने लंबे समय के बाद भी किसी एक मज़दूर का भी फैसला नहीं सुनाया गया है।

वहीँ मारूति की सभी कम्पनियों की यूनियनों द्वारा बनाए गए मारूति सुजुकी मज़दूर संघ के सभी प्रयासों के बावजूद मैनेजमेंट ने बर्ख़ास्त मज़दूरों के मुद्दे पर यूनियनों से कोई वार्ता करने से इनकार कर दिया है। वहीँ मारूति के बर्ख़ास्त मज़दूरों ने अलग अलग कामों में जा कर वहाँ भी मज़दूरों के अधिकार के संघर्ष को आगे बढ़ाने का ही काम किया है। उदाहरण के तौर पर बेल्सोनिका यूनियन के साथी सुनील ने बताया की कैसे 2011 के आन्दोलन के समय मारुती के मानेसर प्लांट में ठेके पर कार्यरत थे।

मारुति सुजुकी मज़दूर संघ ने दिया पूरा समर्थन

कार्यक्रम के समर्थन में पहुंचे मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन के प्रधान पवन कुमार ने 2011 में हुए आन्दोलन का इतिहास बताया और कहा कि आन्दोलन की बदौलत ही हम कंपनी के अंदर आज भी यूनियन मजबूती से टिका हुआ है। यूनियन हर स्तर पर मज़दूरों के साथ है और आगे भी रहेगी। राजेश, महासचिव मारुती उद्योग कामगार यूनियन ने आन्दोलन का समर्थन करते हुए कहा कि पूरा गुड़गांव प्लांट बर्खास्तगी के मुद्दे पर संघर्ष में शामिल रहेगा।

मारूति के गुड़गांव प्लांट में 2000 में हुए आन्दोलन में सक्रीय रहे और टर्मिनेट हुए साथी बलवान, यूनियन के पूर्व महा सचिव छोटेलाल और मारुति गुड़गांव प्लांट से उसी दौर में बर्ख़ास्त मज़दूर और एआईयूटीयूसी के कार्यकर्ता राम कुमार ने कार्यक्रम में शामिल हुए और 22 साल के अपने संघर्ष के अनुभव को साझा किया और मज़दूरों को एक जुटता से लड़ाई जारी रखने की प्रेरणा दी। बेल्सोनिका यूनियन के कई मज़दूर साथी ए शिफ्ट के बाद जुलूस के रूप में नारे लगाते हुए धरना स्थल पर पहुंचे।

बेल्सोनिका यूनियन के प्रधान अजीत ने कम्पनी में चल रही छंटनी की साज़िश और यूनियन द्वारा उसके ख़िलाफ़ चल रहे संघर्ष के अनुभव को साझा किया। वक्ताओं ने कहा कि बर्ख़ास्त मज़दूरों की बहाली की मांग को प्रभावी रूप से उठाने के लिए रणनीति जल्द ही एमएसएमएस और बर्ख़ास्त मज़दूरों द्वारा बातचीत मैं तय होगी।

‘मासा’ व विभिन्न संघर्षशील मज़दूर संगठन भी हुए शामिल

मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) की ओर से साथी सोमनाथ ने देश के विभिन्न राज्यों में कार्यरत मासा के 16 घटक संगठनों की तरफ से मारुति के आन्दोलन के लिए पूरा समर्थन प्रकट किया और साथ ही मारूति मज़दूरों का आह्वान किया की वे मज़दूर विरोधी श्रम संहिताएं, बढ़ती महंगाई , बेरोज़गारी और निजीकरण के ख़िलाफ़ 13 नवंबर को दिल्ली में आयोजित किए जा रहे मज़दूर रैली में बढ़चढ़ कर हिस्सा लें।

इंकलाबी मज़दूर केंद्र के साथी श्याम्बीर ने अपने भाषण में पूरे देश में मज़दूरों के साथ बढ़ते औद्योगिक दूरघटनाओं, छटनी, बंदी और ठेकाकरण के माध्यम से मज़दूर वर्ग पर पूंजीपति वर्ग के बढ़ते दमन की व्याख्या की। इफटू सर्वहारा के साथी सिद्धांत ने बताया कैसे मारुती के आन्दोलन ने देश भर में मज़दूरों की राजनैतिक उपस्थिति को दर्ज कराने में महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

मज़दूर सहयोग केंद्र के कार्यकर्त्ता अमित ने कहा कि ठेकाकरण और यूनियनों पर दमन के इस दौर में आन्दोलन की सफलता के लिए ज़रूरी होगा की मारुती के मज़दूर इस पूरे क्षेत्र के सभी मज़दूरों के साथ खुद को जोड़े और पूंजीपति वर्ग के खलाफ मज़दूरों की वर्गीय एकता बनाने में भूमिका निभाये।

नयी सोच पत्रिका की ओर से साथी सुभाशीष ने कहा कि मारूति आंदोलन जिस तरह एक समय पूंजीपतियों के ख़िलाफ़ तीएव्बार संघर्तष का एक डेरा था उसी तरह आज बेल्सोनिका और हिताची जैसी कंपनियां इस संघर्ष में लगी हुई हैं और मारूति मज़दूरों को इन संघर्षों से अपना संघर्ष जोड़ना होगा ।

कानपुर के मिल मज़दूर रहे युवा भारत के वरिष्ठ साथी शरीफ ने कानपूर में ठेका मज़दूरों के समर्थन में स्थायी मज़दूरों द्वारा किये गए आन्दोलन के अनुभव बांटे और पूरे पूंजीवादी ढाँचे को बदलने की ज़रुरत को रखा।

ठेका ट्रेनी अपरेंटिस फिक्स्ड टर्म मज़दूरी को देनी पड़ेगी चुनौती

कार्यक्रम में हुई चर्चा में इस क्षेत्र में बढ़ रहे ठेका, अपरेंटिस, और एफटीई जैसे अस्थायी रोजगार पर मज़दूरों को रखने की समस्या पर ध्यान केन्द्रित किया। आन्दोलन के दौरान ठेका, ट्रेनी अपरेंटिस और स्थायी मज़दूरों के बीच बनी एकता को मारुती मज़दूरों की सबसे बड़ी ताकत बताया गया।

वहीँ इस अनुभव से सीख कर इस क्षेत्र में प्रबंधन द्वारा 6-6 महीनों के लिए मज़दूरों को ठेके पर रखने के चलन पर तीखा कटाक्ष किया गया और इन मज़दूरों को संगठित करने, इनमें मारुती व अन्य संघर्षों के इतिहास को ले जाने की ज़रुरत रो रेखांकित किया गया। हिताची के ठेका मज़दूरों के साथी ने फिलहाल हिताची में चल रहे ठेका मज़दूरों के संघर्ष के अनुभव साझा किए और मारुती के मज़दूरों के प्रति समर्थन जताया।

अंततः कार्यक्रम के मंच से बर्ख़ास्त मज़दूरों, यूनियन और एमएसएमएस की साझी तैयारी से दो दिन के आगे की रणनीति तैयार किये जाने की घोषणा की गयी।

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