मज़दूर-किसान महापंचायत का ऐलान; समाधान नहीं तो 18 नवंबर को किसान करेंगे इन्टरार्क फैक्ट्री जाम

पंचायत की टीम को हठधर्मी प्रबंधन ने नकारा। पंचायत ने चेताया; मजदूरों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो 18 नवंबर से कंपनी गेट को बंद कर किसान करेंगे व्यापक आंदोलन।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)। इन्टरार्क कंपनी गेट किच्छा में मज़दूर-किसान महापंचायत का भव्य आयोजन हुआ। इन्टरार्क मज़दूरों के 416 दिनों से जारी हक़ के आंदोलन को मज़दूरों-किसानों-महिलाओं का व्यापक समर्थन मिला। पंचायत द्वारा आर-पार की लड़ाई का ऐलान हुआ।
तय योजना अनुसार आज 4 अक्टूबर को हुए कार्यक्रम के तहत भारी संख्या में मजदूर, महिलाएं, किसान, छात्र एवं सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता किच्छा पहुंचे और महापंचायत में शामिल हुए। इस दौरान मज़दूर-किसान एकता की जोरदार आवाज गूंजी।
किसान नेता राकेश टिकैत ने लेबर इंस्पेक्टर और तहसीलदार के साथ वार्ताकार टीम बनाई, लेकिन इन्टरार्क प्रबंधन के अड़ियलपन से वार्ता नहीं हुई। पंचायत ने अल्टिमेटम दिया कि यदि समाधान नहीं हुआ तो 18 नवंबर को किसान पूरे दलबल से उतरेंगे और फैक्ट्री जाम कर दिया जाएगा।

पंचायत ने बनाई वार्ताकार कमेटी, प्रबंधन ने नकारा
महापंचायत को संबोधित करते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि समाधान नहीं हो रहा है तो दवा बदलनी पड़ेगी। हम शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं, प्रबंधन व प्रशासन कठोर क़दम उठाने को विवश न करे।
इस दौरान वहाँ मौजूद लेबर इंस्पेक्टर और तहसीलदार को मंच पर बुलाकर श्रमिकों की समस्याओं के समाधान हेतु वार्ता कराने को कहा। उन्होंने मज़दूर-किसान प्रतिनिधियों की एक कमेटी का गठन किया और श्रम अधिकारी के साथ फैक्ट्री परिसर में प्रबंधक से बातचीत करने के लिए भेजा।
परंतु फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा उस कमेटी के सदस्यों को स्वीकार नहीं किया गया और प्रबंधन का अड़ियल रुख आज भी बरकरार रहा। इससे नेताओं में आक्रोश व्याप्त हुआ और मंच पर प्रतिनिधियों की तत्काल बैठक कर अहम फैसला लिया गया।

18 नवंबर से फैक्ट्री गेट पर मज़दूरों के साथ डेरा डालेंगे किसान
चौधरी राकेश टिकैत ने कंपनी प्रबंधन एवं उत्तराखंड शासन-प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि 17 नवंबर 2022 तक का समय उनकी तरफ से दिया जा रहा है इसके बीच में समस्याओं का समाधान सौहार्द पूर्ण वातावरण में होता है तो ठीक है अन्यथा कंपनी प्रबंधक व उत्तराखंड शासन प्रशासन अपनी तैयारी कर ले क्योंकि 18 नवंबर 2022 को किसान अपनी पूरी तैयारी के साथ फैक्ट्री गेट पर मोर्चा खोलने के लिए उपस्थित रहेंगे और फैक्ट्री गेट को पूर्ण रूप से बंद कर आंदोलन करेंगे।
उन्होंने कहा कि जब तक मजदूरों की समस्याओं का समाधान नहीं होगा तब तक किसान यहां से नहीं हटेंगे। अब यह लड़ाई मजदूरों से पहले किसानों की हो चुकी है और किसान जहां डेरा डाल देते हैं तो समस्या का हल निकाल कर ही हटाते हैं।

खुलेआम कानूनों का उल्लंघन कर रहा है प्रबंधन
पंचायत में आए वक्ताओं ने कहा कि भारत के कानून-ठेका श्रम उन्मूलन अधिनियम-1970 की धारा- 10 में मुख्य उत्पादन क्षेत्रों में ठेका मजदूरों से काम कराना प्रतिबंधित है। धारा-22, धारा-23 एवं धारा-24 में कानून के उल्लंघन पर 3 माह की जेल एवं भारी जुर्माने का नियम है।
किंतु इन्टरार्क कंपनी मालिक खुलेआम कंपनी में खतरनाक मशीनों पर ठेका मजदूरों से काम करा रहे हैं। जिससे दर्जनों मजदूर कंपनी में विकलांग हो चुके हैं। एक ड्राइवर एवं एक ठेका मजदूर की कुछ समय पहले दर्दनाक मौत हो गई थी।
इसी तरह से कंपनी के प्रमाणित स्थाई आदेशों का उल्लंघन कर अस्थाई श्रमिकों को स्थाई कामों पर भर्ती किया गया है।
भारत सरकार के कारखाना अधिनियम-1948 की धारा- 65 (3) की उप धारा (i) उप धारा (iii) एवं उप धारा (iv) में स्पष्ट प्रावधान है कि कंपनी में मजदूरों से सप्ताह में 12 घंटे एवं तीन माह से 75 घंटे से ज्यादा ओवरटाइम नहीं कराया जा सकता है। और निरंतर 7 दिन से अधिक ओवरटाइम नहीं कराया जा सकता है।
किंतु इन्टरार्क कंपनी मालिक प्लांट में मजदूरों से 16 व 12 घंटे की शिफ्ट में काम करा रहा है। कई मजदूरों को कई सप्ताह से 24 घंटे कंपनी में रोका जा रहा है। मजदूरों को साप्ताहिक अवकाश के दिन भी काम पर बुलाया जा रहा है और भारत सरकार के कानून को जूतों तले रौंदा जा रहा है। यह सब कुछ जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, श्रम विभाग एवं उत्तराखंड सरकार के संरक्षण में हो रहा है।

ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शासन-प्रशासन इन्टरार्क कंपनी मालिक का बंधक बन चुका है। और भारत देश के कानूनों, संविधान को ताक पर रखकर न्याय की आवाज उठा रहे मजदूरों का ही दमन किया जा रहा है। मजदूरों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर दिए जा रहे हैं। भारत के कानूनों एवं संविधान के उक्त अवमानना एवं बेज्जती को मजदूर-किसान एवं आम जनता सहन न करेगी।
यदि इस पर तत्काल रोक न लगाई गई और इन्टरार्क के पीड़ित मजदूरों को न्याय न दिया गया तो कड़े कदम उठाये जायेंगे। जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन- प्रशासन की होगी। वक्ताओं ने एक स्वर में मांग की कि इन्टरार्क के सभी 96 मजदूरों की कार्यबहाली एवं मांग पत्रों पर समझौता कराई जाए।

किसान व मज़दूर नेता रहे शामिल
आज के कार्यक्रम को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष कर्म सिंह पड्डा, भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के बल्ली सिंह चीमा, प्रदेश कार्यकारिणी से अवतार सिंह, भारतीय किसान यूनियन से रणजीत सिंह रंधावा, भूमि बचाओ मुहिम से जगतार सिंह बाजवा, भारतीय किसान यूनियन से प्रभारी बलजिंदर सिंह मान, भारतीय किसान यूनियन से जगदीप सिंह आदि किसान नेता व तमाम किसान शामिल रहे।
इन्टरार्क मजदूर संगठन उधमसिंह नगर के अध्यक्ष दलजीत सिंह, इन्टरार्क मजदूर संगठन किच्छा के अध्यक्ष राकेश कुमार, टैम्पो यूनियन अध्यक्ष व समाजसेवी सुब्रत कुमार विश्वास, इंकलाबी मजदूर केंद्र के कैलाश भट्ट, मजदूर सहयोग केंद्र से मुकुल, श्रमिक संयुक्त मोर्चा अध्यक्ष दिनेश तिवारी, भगवती श्रमिक संगठन से ठाकुर सिंह, प्रगतिशील माहिला एकता केंद्र से रजनी जोशी, पछास से चंदन, क्रालोस से शिवदेव सिंह, ठेका मजदूर कल्याण समिति से अभिलाख आदि ने संबोधित किया।

इसके साथ ही दिल्ली से आए वर्कर्स यूनिटी संपादक संदीप राऊजी, अखिल भारतीय किसान यूनियन उ.सि.नं. राजेन्द्र सिंह, भारतीय कि.यू,पू. ब्लाक अध्यक्ष अमनप्रीत, उपाध्यक्ष जगजीत भुल्लर, गुजरात अंबुजा कर्मकार यूनियन से रामजीत सिंह, अखिल भारतीय किसान सभा से जगरूप सिंह, भारतीय सिख संगठन उ.सि.नं. अध्यक्ष संतोष सिंह साधवा, भारतीय किसान यूनियन प्रदेश अध्यक्ष चौ. जगत सिंह, ग्राम प्रधान कोठा मनोज कटियार, ग्राम प्रधान सैजना निर्दोष गंगवार, ग्राम प्रधान रम्पुरा उझैनिया भानू गंगवार, बहेड़ी बार एसोसिएसन से सुधीर कुमार सक्सेना, भारतीय सिख संगठन रामपुर से सुखविन्दर सिंह सहित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मजदूर किसान एवं महिलाएं शामिल थे।