4 अक्टूबर को मजदूर किसान महापंचायत इन्टरार्क गेट किच्छा में, प्रचार अभियान जोरों पर

महापंचायत में राष्ट्रीय स्तर के बड़े किसान नेता व भारी संख्या में मजदूर, किसान, महिलायें, छात्र-युवा जुटेंगे, मजदूरों के दर्द को महसूस करेंगे और एक निर्णायक कदम तय करके आगे बढ़ेंगे।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। मज़दूरों के ऊपर दमनकारी नीतियों को देखकर मजदूरों ने भी कमर कस ली है। इन्टरार्क कंपनी प्रबंधन एवं शासन प्रशासन को उन्हीं की भाषा में जवाब देने के लिए अपनी तैयारी पूरी कर ली है। जिसके अंतर्गत 4 अक्टूबर 2022 को मजदूर किसान महापंचायत का भव्य आयोजन किच्छा उधम सिंह नगर उत्तराखंड में किया जाना है जिसका प्रचार प्रसार जोरों शोरों से जारी है।

इन्टरार्क मजदूर संगठन व इन्टरार्क मजदूर संगठन किच्छा ने बताया कि महापंचायत के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर के बड़े किसान नेता उपस्थित होंगे एवं अन्य किसान संगठनों के लोग, सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता, मजदूर संगठनों, महिला संगठनों छात्र संगठनों के साथ मजदूर, किसान, महिलायें, छात्र-युवा और आम जनमानस भारी संख्या में मजदूरों के दर्द को महसूस करेंगे और एक निर्णायक कदम तय करके आगे बढ़ेंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी इन्टरार्क कंपनी प्रबंधक, उत्तराखंड शासन, उधम सिंह नगर जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन की होगी।

यूनियनों ने कहा कि हम देश के नाम पर कभी अमृत महोत्सव मनाते हैं तो कभी देश की तरक्की की गाथा गाते हैं लेकिन जमीनी हकीकत आज यहां उत्तराखंड की धरती पर 13 महीनों से अपने शोषण के खिलाफ आवाज उठा रहे मजदूरों के धरना स्थल पर आकर के देखने की जरूरत है।

जहां पूंजीपति अपने फरमान के आगे मजदूरों के जीवन को कुर्बान करने में लगे हुए हैं और उनका साथ उत्तराखंड का शासन उधम सिंह नगर का जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन भरपूर तरीके से दे रहा है।

यह गठजोड़ यह सिद्ध करता है कि गरीब कमजोर अपनी आवाज उठाएं तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता उनके ऊपर ध्यान मत दो एक दिन वह खुद ही चुप होकर अपने घर को चले जाएंगे और शासन सरकारें पूँजीपतियों के साथ अपने गठजोड़ को और आगे बढ़ाते रहेंगे।

नेताओं ने कहा कि क्योंकि मजदूरों की लगातार अनदेखी करने में इन लोगों का पूरा योगदान रहा है और इन्होंने आज तक समस्याओं को सुलझाने के लिए कभी भी कोई प्रयास नहीं किया है, मजदूरों को दबाने का प्रयास किया है, कंपनी प्रबंधक के साथ गठजोड़ करने का प्रयास किया है। पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने का और मजदूरों को दबाने के अलावा इन्होंने मजदूरों की मदद कभी नहीं की ना तो कानूनी तरीके से ना तो सामाजिक तरीके से न तो न्यायिक तरीके से।

धरना स्थल पर गांधी-शास्त्री किए गए याद

इन्टरार्क मजदूरों द्वारा किच्छा धरना स्थल पर महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी को याद करते हुए उनके जन्म दिवस पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए और उनके विचारों पर आधारित चर्चाएं सभा के अंतर्गत की गई।

वक्ताओं द्वारा कहा गया कि महात्मा गांधी के अहिंसा वादी विचारों के सामने हिंसा करने वाले व्यक्तियों को भी झुकना पड़ गया था। लाल बहादुर शास्त्री द्वारा देश को किसान समृद्धि देश बनाने एवं आत्मनिर्भर बनाने में काफी सहयोग मिला था।

परंतु आज की स्थिति को देखते हुए यकीन नहीं होता कि यह गांधी का वही देश है जहां लोकतंत्र के तहत अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे किसी समूह या व्यक्ति को केवल नजरअंदाज ही किया जाता है। 13 महीनों से संघर्षरत इन्टरार्क मजदूर संगठन के मजदूरों के दर्द को यहां का शासन प्रशासन सुनने को तैयार नहीं है। जुल्म कर रहे कंपनी प्रबंधक का मनोबल लगातार बढ़ रहा है और कानूनों को ताक पर रखकर लगातार मजदूरों के ऊपर शोषण एवं उत्पीड़न किया जा रहा है जोकि बहुत ही शर्मनाक है।

सभा में सैकड़ों मजदूर, महिलाएं एवं बच्चे उपस्थित रहे यहां पर चल रहे लंगर के माध्यम से सभी ने भोजन किया।

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