संघर्ष के बाद करोलिया लाइटिंग यूनियन अध्यक्ष और मंत्री की हुई कार्यबहाली, मज़दूरों में उत्साह

लंबे संघर्ष से कामयाबी: बर्खास्त 11 में 10 श्रमिकों और निलंबित दो पदाधिकारियों की कार्यबहाली हुई; यूनियन को मान्यता मिली व वेतन वृद्धि भी हुई। एक श्रमिक की कार्यबहाली का संघर्ष जारी।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। लगातार लंबे संघर्ष के बाद करोलिया लाइटिंग प्रा. लि., सिडकुल पंतनगर के मज़दूरों ने एक और बड़ी जीत हासिल की है। करोलिया लाइटिंग एंप्लाइज यूनियन के निलंबित अध्यक्ष हरेंद्र सिंह और मंत्री अशोक सिंह की आज 1 अक्टूबर को कार्य बहाली हो गई।

इससे पूर्व 10 बर्खास्त श्रमिकों की पुनर्बहाली हो चुकी है, हालांकि पूर्व में बर्खास्त चल रहे यूनियन के पूर्व उपाध्यक्ष सुनील कुमार यादव की कार्यबहाली नहीं हो पाई है। लेकिन यूनियन को मान्यता मिल गयी है।

ज्ञात हो कि एक जुझारू संघर्ष के बाद बीते 5 व 6 मई को प्रशासन व श्रम अधिकारियों की मध्यस्थता में प्रबंधन व यूनियन के मध्य हुए समझौते के बाद 10 बर्खास्त श्रमिकों की पुनर्बहाली हुई थी। जबकि आंदोलन के दौरान निलंबित अध्यक्ष व मंत्री तथा पूर्व में बर्खास्त तत्कालीन उपाध्यक्ष को कार्य पर लेने की सहमति बनी थी।

तब से समझौता लागू करने का संघर्ष चलता रहा कई दौर की वार्ताएं होती रही। प्रबंधन यूनियन को मान्यता देने को तैयार नहीं था। लेकिन इस बीच 27 सितंबर को उप श्रम आयुक्त की मध्यस्थता में हल्द्वानी में समझौता संपन्न हुआ। जिसके तहत 6 मई को हुए लिखित समझौते को मान्यता मिली। साथ ही ₹850 मासिक वेतन वृद्धि के समझौते को मई माह से लागू करना भी शामिल है।

हालांकि सुनील कुमार के मामले में कोई सहमति नहीं बनी। प्रबंधन और उप श्रम आयुक्त दोनों ने इस मुद्दे को पुराना बताकर इसे रोक दिया। हालांकि पूर्व समझौते में यह तय हुआ था कि 3 महीने में सुनील कुमार की भी कार्य बहाली पुनः नियुक्ति के आधार पर होगी।

दो साल से जारी था उत्पीड़न और संघर्ष

उल्लेखनीय है कि करोलिया लाइटिंग में यूनियन बनने के बाद से ही एक दबाव का माहौल था। 2020 में कोविड के विकट समय में कोविड जांच की मांग करने पर यूनियन के तत्कालीन उपाध्यक्ष सुनील कुमार यादव को प्रबंधन ने फर्जी आरोपों में निलंबित फिर बर्खास्त कर दिया था। प्रबंधन लगातार यूनियन को खत्म करने का दबाव बनाता रहा।

इस बीच यूनियन ने मांग पत्र भी लगा दिया, जिस पर भी प्रबंधन का अड़ियल रुख कायम रहा। 23 दिसंबर 2021 को प्रबंधन ने 10 श्रमिकों को उक्त कोविड जांच मामले में ही कथित तौर पर घरेलू जांच कर दोषी करार देते हुए बर्खास्त कर दिया था।

जिसके बाद से कंपनी में आंदोलन तेज हो गया। इस बीच चुनाव आचार संहिता के कारण आंदोलन थोड़ा मध्यम पड़ा, लेकिन उसके बाद आंदोलन ने गति पकड़ी। यह गौरतलब है कि प्लांट में महज 33 स्थाई श्रमिक हैं और बड़ा काम ठेका मज़दूरों से होता है। इसलिए आंदोलन भी कठिन था।

29 दिन भूख हड़ताल के बाद हुआ था समझौता

बीते अप्रैल माह से आंदोलन फिर तेज हुआ। बर्खास्त श्रमिक स्थानीय गांधी पार्क में बेमियादी भूख हड़ताल पर बैठ गए। जबकि कंपनी में कार्यरत श्रमिकों ने कारखाने के भीतर टूल डाउन शुरू कर दिया। इससे घबराए प्रबंधन ने 28 अप्रैल से अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह और मंत्री अशोक सिंह को निलंबित कर दिया।

29 दिन यह लगातार अनशन के बाद 5 मई 2022 को उप जिलाधिकारी और सहायक श्रम आयुक्त उधम सिंह नगर की मध्यस्थता में मौखिक समझौता संपन्न हुआ। जिसके तहत अनशन समाप्त हुआ और 10 श्रमिकों की पुनः नियुक्ति पर तत्काल कार्यबहाली, जांच खत्म करके अध्यक्ष मंत्री की एक माह में कार्यबहाली, 3 महीने कार्य देखकर सुनील यादव की कार्य बहाली का समझौता हुआ था।

साथ ही ₹850 मासिक वेतन वृद्धि का भी समझौता हुआ था जिसमें ₹200 अतिरिक्त वृद्धि की भी बात हुई थी। इसके अगले दिन 6 मई को यह समझौता लिखित रूप से उप श्रम आयुक्त की मध्यस्थता में संपन्न हुई।

4 माह चला समझौता लागू करवाने का संघर्ष

उक्त समझौते के तहत 10 श्रमिकों की कार्यबहाली तो हो गई, लेकिन बाकी मुद्दों पर प्रबंधन आनाकानी करता रहा। प्रबंधन एक लंबी चौड़ी शर्तें समझौते में शामिल कराना चाहता था, जिसमें यूनियन को मान्यता ना देने, प्रबंधन द्वारा 5 श्रमिक प्रतिनिधियों की नियुक्ति करके उस के माध्यम से बातचीत करने सहित कई गंभीर शर्तें शामिल थीं।

यह रस्साकशी चलती रही। सहायक श्रम आयुक्त भी अपनी बातों से बदलते रहे। अंत में यह मामला श्रम न्यायालय संदर्भित हो गया।

अंततः उप श्रम आयुक्त के पास पुनः वार्ताएं शुरू हुईं। जहां पर 27 सितंबर को कारोलीय प्रबंधन व करोलिया लाइटिंग इंप्लाइज यूनियन के बीच समझौता संपन्न हुआ। समझौता पंजीकरण का प्रपत्र भी दाखिल हो गया।

जिसके तहत आज 1 अक्टूबर से दोनों श्रमिक हरेन्द्र व अशोक कार्य पर चले गए हैं।

मज़दूरों में उत्साह का माहौल; एक श्रमिक की बहाली का संघर्ष जारी

इस समझौते और कार्यबहाली से करोलिया के मज़दूरों में उत्साह का लहर व्याप्त हुआ है और उनका कहना है कि वह अपने साथी सुनील कुमार यादव की भी कार्य बहाली कराएंगे और तब तक संघर्ष जारी रहेगा।

इस पूरे लंबे संघर्ष की सबसे बड़ी कामयाबी यह रही कि मज़दूरों ने यूनियन के अधिकार को जीत लिया। बर्खास्त 11 में 10 श्रमिकों और निलंबित दो पदाधिकारियों की कार्यबहाली कराने में सफल रहे। साथ ही बेहद कम ही सही लेकिन वेतन वृद्धि भी हुई। समझौते के तहत वेतन वृद्धि मई माह से ही लागू होगी।

इस जीत पर मज़दूर सहयोग केंद्र ने करोलिया लाइटिंग के समस्त मज़दूरों और करोलिया लाइटिंग इंप्लाइज यूनियन को बधाई दी है।

%d bloggers like this: