कोलकाता: ब्लिंकिट और स्विगी के ऑनलाइन डिलीवरी श्रमिकों ने किन माँगों पर किया हड़ताल

गिग मज़दूरों की हड़ताल: प्रबंधन द्वारा 31 अक्टूबर तक का समय मांगने और ₹20 सर्च-पे बढ़ाने के आश्वासन पर स्विगी श्रमिकों की हड़ताल स्थगित हुई है लेकिन ब्लिंकिट मज़दूरों की हड़ताल जारी है…
कोलकाता। देशभर में ऑनलाइन डिलीवरी का काम करने से लेकर घरों में अन्य तरह की जरूरतों को पूरा करने का जिस तरीके से आज गिग और प्लेटफार्म वर्कर के रूप में मज़दूरों की एक बड़ी आबादी खट रही है और बेहद शोषण का शिकार हो रही है उसके खिलाफ जगह-जगह आंदोलनों की भी खबरें आने लगी है।
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में ब्लिंकिट मज़दूरों की हड़ताल 4 दिनों से जारी है जबकि स्विगी मज़दूरों की हड़ताल 2 दिन तक जारी रहने के बाद प्रबंधन द्वारा 1 महीने का समय मांगने और फिलहाल सर्च-पे के रूप में न्यूनतम ₹20 बढ़ाने के आश्वासन के बाद आज 30 सितंबर को हड़ताल स्थगित हो गई है।
ब्लिंकिट (Blinking) मज़दूरों की हड़ताल जारी
ब्लिंकिट के मज़दूर पार्सल डिलीवरी का काम करते हैं, जिनको 10 मिनट में पार्सल डिलीवरी करनी होती है। अभी उन्हें प्रति डिलेवरी ₹50 मिलता रहा है। जिसमें उनके तेल का खर्च जोड़कर दिन भर में बमुश्किल ₹500 की दिहाड़ी बनती थी।
ब्लिंकिट प्रबंधन ने मज़दूरों के इस पैसे में भी डकैती डाल दी। नए भर्ती मज़दूरों के प्रति पार्सल डिलीवरी के लिए उसने ₹50 की जगह ₹20 देना शुरू किया और अब लंबे समय से कार्यरत पुराने जो श्रमिक हैं उनके लिए भी प्रति पार्सल ₹20 देने का नोटिस जारी कर दिया है।
इस नोटिस के बाद ब्लिंकिट के मज़दूरों में आक्रोश बढ़ गया और उन्होंने आंदोलन की राह पकड़ी और मंगलवार से मज़दूर पूरे कोलकाता में हड़ताल पर चले गए। यह हड़ताल पिछले 4 दिनों से लगातार जारी है जिसमें पुराने के साथ नए श्रमिक भी शामिल हैं।

ब्लिंकिट श्रमिकों की मुख्य माँगें
मज़दूरों की मुख्य मांग है कि पूर्व की भांति उन्हें ₹50 प्रति डिलीवरी जो मिलता था उसे बरकरार रखा जाए।
मज़दूरों का कहना है कि महंगाई के इस दौर में बमुश्किल जीवन यापन हो पा रहा था, उसमें भी प्रति दिलेवरी ₹30 की बड़ी कटौती उनके लिए कहर बनकर आया है। इसलिए वे पूर्व में मिले ₹50 से कम दर पर काम करने को राजी नहीं है।
इसके अलावा भी कई प्रकार की मांगे हैं। एक बड़ी समस्या है कि 10 मिनट के भीतर उन्हें डिलीवरी करनी होती है, जिससे लगातार दुर्घटनाएं होती रहती है। ऐसे में उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वास्थ्य बीमा की भी मांग है।
फिलहाल ब्लिंकिट मज़दूरों की हड़ताल जारी है।
स्विगी (Swiggy) मज़दूरों का आंदोलन
घरों-ऑफिसों-दफ्तरों में आदेश पर खाना नाश्ता से लेकर कई तरीके के सामान पहुंचाने वाले स्विगी मज़दूरों ने लगातार शोषण के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। बुधवार से वे हड़ताल पर चले गए थे।
ज्ञात हो कि स्विगी मज़दूरों को ₹20 न्यूनतम बेसिक पे मिलता है। इसके साथ ₹5 प्रति किलोमीटर इंसेंटिव मिलता है जिसमें पेट्रोल इंसेंटिव भी शामिल है।

स्विगी मज़दूरों की प्रमुख माँग
स्विगी मज़दूरों का कहना है कि यह बेहद कम है और न्यूनतम बेसिक डिलीवरी पे ₹20 से बढ़ाकर ₹35 किया जाए तथा प्रति किलोमीटर इंसेंटिव ₹5 से बढ़ाकर ₹10 किया जाए।
उनका कहना है कि पेट्रोल लगातार महंगा हो गया है, महंगाई लगातार बढ़ गई है, ऐसे में इससे कम में गुजारा नहीं चल सकता है। इसलिए दोनों मिलाकर कुल न्यूनतम ₹45 मिले।
इस मुद्दे को लेकर प्रशासन की मध्यस्थता में स्विगी प्रबंधन और मज़दूरों के बीच में तीन दौर की वार्ताएं हुईं, लेकिन प्रबंधन के की हठधर्मिता के कारण असफल रहीं।
प्रबंधन के आश्वासन पर हड़ताल स्थगित
ऐसी स्थिति में बुधवार सुबह से कोलकाता के 5 जोन- लेक टाउन, चिनार पार्क, दमदम सोदपुर, मध्यम ग्राम और श्याम बाज़ार के स्विगी डिलीवरी मज़दूरों ने हड़ताल कर दी। कोलकाता के बाकी क्षेत्र के मज़दूर इस हड़ताल में शामिल नहीं थे।
2 दिन की हड़ताल के बाद स्विगी डिलेवरी की व्यवस्था चरमराने लगी और प्रबंधन ने आनन-फानन में मज़दूरों के साथ बैठक की। प्रबंधन ने कहा कि चूंकि यह पॉलिसी मैटर है और इसे पूरे देश के पैमाने पर बदलने/इंप्रूव करने की जरूरत है, इसलिए उनको 31 अक्टूबर तक एक महीने का समय चाहिए। तब तक वह इसका समाधान निकाल देंगे।
इसी के साथ उन्होंने इस एक महीने के लिए ₹20 अतिरिक्त सर्च-पे देने का भी आश्वासन दिया।
इस आश्वासन और प्रबंधन द्वारा एक माह समय मांगने को देखते हुए दो दिन की हड़ताल के बाद आज स्विगी मज़दूरों ने अस्थाई तौर पर अपनी हड़ताल को स्थगित कर दी है।
संघर्ष रहेगा जारी
मज़दूरों ने यह भी तय किया है कि दुर्गा पूजा के दौरान पूरे कोलकाता में स्विगी ने जो अपने प्रचार के होल्डिंग्स लगा रखे हैं, उसके समांतर वे अपनी होर्डिंग लगाएंगे और जनता को बताएंगे कि असल में स्विगी अपने श्रमिकों के साथ क्या कर रहा है।
बहराल एक कठिन हालात में एक ही पेशे में लगे अलग-अलग बिखरे और असंगठित मज़दूरों का एक प्लेटफार्म पर आना और अपने हक के लिए आवाज बुलंद करना एक महत्वपूर्ण आगे बढ़ा हुआ कदम है।
निश्चित रूप से यह एकता उन्हें संगठित करने, यूनियनबद्ध होने की दिशा में आगे ले जाएगी और भयावह शोषण के खिलाफ संघर्ष करके अपने लिए वेतन और सुविधाएं बढ़ाने में कामयाब होंगे।