अवैध बंदी के खिलाफ संघर्षरत जायडस वेलनेस मज़दूरों ने किया उत्पाद बहिष्कार का ऐलान

जायडस वेलनेस सितारगंज के 1200 मज़दूर पिछले 102 दिनों से धूप, गर्मी, बारिश, आंधी-तूफान को झेलते हुए कंपनी द्वारा थोपी गई अवैधबंदी के खिलाफ संगठित होकर लड़ रहे हैं।

सितरगंज (उत्तराखंड)। ऊधम सिंह नगर जिले के सिड़कुल, सितरगंज स्थित जायडस वेलनेस कंपनी की बंदी के खिलाफ मज़दूरों का धरना लगातार जारी है। जायडस वेलनेस इंप्लाइज यूनियन के बैनर तले धरना दे रहे महिला व पुरुष मज़दूरों ने मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन करते हुए बंदी को अवैध बताया।

ज्ञात हो कि प्रबंधन ने आर्थिक कारणों का हवाला देते हुए कॉम्प्लान, ग्लूकॉन-डी, कुकीज जैसे महत्वपूर्ण उत्पाद बनने वाली जयडस वैलनेस की सितारगंज यूनिट को दिनांक 18/06/2022 से पूर्ण रुप से बंद करने की घोषणा की थी।

प्रबंधन ने इसके लिए किसी प्रकार की कानूनी प्रक्रिया को नहीं अपनाया, कानूनों के कमजोर ढांचे का लाभ उठाया और चोरी से रातों-रात प्लांट बंद कर फरार हो गया। तबसे मज़दूरों का कंपनी गेट पर बेमियादी धरना जारी है।

इस बीच कई दौर की वार्ताओं के बाद श्रम आयुक्त उत्तराखंड ने इस विवाद को दिनांक 12/09/2022 को औद्योगिक न्यायाधिकरण, हल्द्वानी को संदर्भित कर दिया। इधर 25 सितंबर को आंदोलन के 100 दिन पूरा होने पर मज़दूरों ने जोरदार प्रदर्शन कर अपने संघर्ष को जीत मिलने तक जारी रखने का ऐलान किया।

कॉम्प्लेन, ग्लूकॉन डी आदि का करेंगे बहिष्कार

मज़दूरों ने कहा कि जायडस वेलनेस इम्पलाइज यूनियन सितारगंज के बैनर तले 1200 कर्मकार पिछले 100 दिनों से धूप, गर्मी, बारिश, आंधी-तूफान को झेलते हुए अपने हक़ के लिये कंपनी द्वारा थोपी गई अवैधबंदी के खिलाफ संगठित होकर लड़ रहे है। विगत 100 दिनों से अपने हक और अधिकारों के लिये सभी मजदूर कारखाने के गेट पर डटे हुए हैं।

मज़दूरों का कहना है कि कंपनी प्रबंधन ने अचानक फैक्ट्री बंद करके श्रमिकों के हितों के साथ कुठाराघात किया है। इस बंदी को गैरकानूनी बताते हुये श्रमिकों ने कहा कि कोविड काल में दवा उद्योग को सबसे ज्यादा लाभ हुआ है। ऐसे में घाटे की बात कहना बेमानी है।

श्रमिक नेताओं ने कहा कि फैक्टरी में बड़े-बड़े सपने दिखाकर युवाओं को भर्ती किया गया। उपलब्धियों के ढेरों प्रलोभन दिए गए। मज़दूरों से 12 से 14 साल तक कार्य कराया। श्रमिकों की मेहनत से बड़ा मुनाफा बटोरकर रातोंरात बिना किसी सूचना के फैक्टरी को बंद कर दिया गया और श्रमिकों को बेरोजगार कर सड़क पर छोड़ गए। प्रबंधन ने उनके सुनहरे भविष्य को छीन लिया है।

जायडस वेलनेस इम्पलाइज यूनियन ने ऐलान किया कि श्रमिक व उनसे जुड़े 1200 परिवार फैक्टरी के उत्पादों कॉम्प्लेन, ग्लूकॉन डी आदि का बहिष्कार करेंगे।

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