ईरान: हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन हुआ तेज, पुलिस पुलिस दमन के बीच अब तक 40 महिलाओं की मौत

आज पूरी दुनिया की महिलाएं हिजाब के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। ईरानी महिला महसा अमिनी की मौत के बाद हिजाब के खिलाफ ईरान में महिलाओं का प्रदर्शन लगातार उग्र होता जा रहा है।
ईरान में हिजाब के खिलाफ जारी प्रदर्शन अब हिंसक होता जा रहा है। ईरान में अब तक पुलिस के साथ हिंसक झड़प में 40 महिला प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है।
उग्र होते प्रदर्शनों को देखते हुए ईरान सरकार ने इंटरनेट पर रोक लगा दी है। साथ ही ईरान के खुफिया मंत्रालय ने गुरुवार को चेतावनी दी कि विरोध प्रदर्शनों में भाग लेना अवैध है और प्रदर्शनकारियों पर केस चलाया जाएगा।
इसके बाद भी महिलाएं पुलिस की फायरिंग, आंसू गैस के गोले दागने और लाठी चार्ज की कार्रवाई से बेखौफ होकर हिजाब के खिलाफ सड़कों पर डटी हुई हैं। पुलिस प्रदर्शन कर रही महिलाओं की सामूहिक गिरफ्तारियां भी कर रही है।
ईरान (Iran) में हिजाब (Hijab) पहनना अनिवार्य है। ऐसा ना करने पर सज़ा का भी प्रावधान है। लेकिन आज पूरी दुनिया की महिलाएं हिजाब के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। ईरानी महिला महसा अमिनी की मौत के बाद हिजाब के खिलाफ ईरान में महिलाओं का प्रदर्शन पहले से ज्यादा उग्र हो गया है।
हालही में सोशल मीडिया पर ईरानी महिलाओं द्वारा हिजाब जलाने का वीडियो बहुत तेजी से वायरल हुआ। इस वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि महिलाएं अपने अपने हिजाब हो जला रही हैं और जश्न मन रही है।
आप को बता दें कि 13 सितंबर को महासा अमीनी अपने परिवार के साथ तेहरान घूमने आई थी। महासा अमीनी ने हिजाब पहना हुआ था। ईरान की मॉरलिटी पुलिस टीम का कहना है कि महासा अमीनी ने हिजाब को ठीक से नहीं पहना हुआ था इसलिए उनको गिरफ्तार किया था। और उनकी एक प्राकृतिक मौत है।
वहीं महासा अमीनी के परिवार वालों का आरोप है कि पुलिस ने महासा को जबरदस्ती पकड़कर बुरी तरह से मारा पीटा था। हिजाब नियमों के नाम पर पुलिस, महासा अमीनी को पुलिस स्टेशन ले गई। पुलिस स्टेशन में महासा को बुरी तरह से टार्चर किया। जब उनकी हालत बहुत ज्यादा बिगड़ गई, तब उसे अस्पताल ले जाया गया। कुछ समय तक कोमा में रहने के बाद उनकी मौत हो गई।
ईरान की महिलाओं ने हिजाब (Hijab) के खिलाफ अपना गुस्सा, कुछ इस तरह से जाहिर किया है। इन महिलाओं ने विरोध के तौर पर अपने बाल काट दिए । कुछ ने अपने हिजाब (Hijab) को ही आग लगा दी। हिजाब को ये महिलाएं अपनी जिदंगी से दूर कर देना चाहती हैं।
ईरान की पत्रकार और कार्यकर्ता मसीह अलीनेजाद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने शरिया कानून की शक्ल में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाई है। दरअसल अलीनेजाद ने अपने ट्वीटर हैंडल के जरिए महिलाओं को हिजाब पहनने पर मजबूर करने वाले शरिया कानूनों के खिलाफ एक कैंपेन शुरू किया है।
अपने ट्वीटर थ्रेड में पहले तो वो हिजाब पहने नजर आ रही हैं। उन्होंने हिजाब की तरफ इशारा करते हुए कहा, “इस्लामिक रिपब्लिक, तालिबान और आईएसआईएस हमें इसी तरह देखना चाहता है।” लेकिन फिर उन्होंने उस हिजाब को उतारा और कहा, ‘यह मेरा असली रूप है।
ईरान में मुझसे कहा गया कि अगर मैं हिजाब उतारती हूं तो मुझे बालों से लटका दिया जाएगा, मुझ पर कोड़े बरसाए जाएंगे, जेल में डाल दिया जाएगा, जुर्माने लगेंगे, हिजाब नहीं पहनने पर पुलिस हर रोज मेरी पिटाइ करेगी, मुझे स्कूल से बाहर निकाल दिया जाएगा, साथ ही अगर मेरा रेप होता है तो वह मेरी गलती होगी।”
उन्होंने आगे कहा कि मुझे सिखाया गया था कि अगर मैं अपना हिजाब निकालती हूं तो मैं अपनी मातृभूमि पर एक महिला की तरह नहीं रह सकूंगी।’
गौरतलब है कि ईरान एक ऐसा देश है, जहां राजशाही के दौरान महिलाओं को ज्यादा आजादी थी, लेकिन 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद महिलाओं को धार्मिक कट्टरवाद का गुलाम बना दिया गया।
जिन महिलाओं ने विरोध किया, उनको कैद किया गया और जिन्होंने मजबूरीवश इसे अपना लिया, उन्हें ईरान की आदर्श नारी के तौर पेश किया गया।
आपको जानकर हैरानी होगी कि ईरान एक ऐसा देश हैं, जहां 21वीं सदी की टेक्नॉलिजी का इस्तेमाल, 7वीं सदी के नियमों को जबरन थोपने के लिए किया जा रहा है।
वर्ष 2015 में ईरान के नागरिकों का बायोमैट्रिक कार्ड बनाया गया। इसे आप ईरान का आधार कार्ड समझ सकते हैं। इस कार्ड की जानकारी को Facial Recognition तकनीक से जोड़ दिया गया।
ईरान के लगभग सभी सरकारी दफ्तरों, बस, ट्रेन, रेलवे स्टेशन और सार्वजनिक जगहों पर Facial Recognition तकनीकी वाले कैमरे लगाए गए। जैसे ही कोई महिला, बिना हिजाब (Hijab) के नजर आती है, उसकी जानकारी सरकारी संस्थाओं के पास आ जाती है। हिजाब नियमों का उल्लंघन करने वाली महिलाओं की पहचान के बाद उन पर कार्रवाई की जाती है।
ईरान की महिलाएं, हिजाब (Hijab) का विरोध काफी समय पहले से ही कर रही हैं। इसी साल 12 जुलाई को ईरान में देशभर की महिलाओं ने एक अभियान चलाया था। इस अभियान में महिलाओं ने बिना हिजाब के अपने वीडियोज़, सोशल मीडिया पर पोस्ट किए थे।
हिजाब के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की तारीख को 12 जुलाई रखने के पीछे भी एक बड़ा कारन था दरअसल ईरान में 12 जुलाई को हिजाब और शुद्धता का राष्ट्रीय दिवस मनाता है।
लेकिन ईरान की महिलाओं ने तय किया था, कि इसी दिन वो हिजाब का विरोध करेंगी। इस घटना के बाद 15 अगस्त को हिजाब कानून में एक नया बदलाव कर दिया गया।
नए नियम के मुताबिक किसी महिला ने अगर सोशल मीडिया में बिना हिजाब वाली तस्वीर पोस्ट की तो उसे नौकरी से निकाला जा सकता है। सरकारी सुविधाएं बंद की जा सकती हैं। 10 दिन से लेकर 2 महीने तक की कैद हो सकती है। 50 हजार से 5 लाख ईरानी रियाल तक का जुर्माना और 74 कोड़े मारने तक की सज़ा भी मिलेगी।
ईरान की महिलाएं जहां हिजाब उतार रही हैं, उसे फाड़ रही हैं, जला रही हैं। अपने बाल काट कर हिजाब का विरोध कर रही हैं। वहीं भारत के कर्नाटक में कुछ स्कूली छात्राओं ने सिर्फ इसलिए प्रदर्शन किया था क्योंकि उन्हें हिजाब पहनकर स्कूल आने से रोका गया था। दरअसल स्कूल प्रशासन ने उन्हें स्कूल यूनिफॉर्म में आने को कहा था।
वर्कर्स यूनिटी से साभार