कोलकाता: सीएम ने किया टाला पुल का उद्घाटन लेकिन उजाड़े गए लोगों का पुनर्वास कब होगा?

बस्तिवासी श्रमजीवी अधिकार रक्षा समिति की लडाई जारी है। बस्तिवासी हर शहर के सही निवासियों मे आते हैं। उनको घर, जमीन और जरूरतमंद चीज़ो का अधिकार मिलना चाहिए।

कोलकाता (पश्चिम बंगाल)। पुनर्निर्मित टाला पुल का भव्य उद्घाटन कोलकाता में दुर्गा पूजा समारोह शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया। उसी दिन पुराने टाला पुल के नीचे 70-80 साल से रहने वाले बेदखल बस्तिवासी पुनर्वास के आश्वासन का इंतजार कर रहे थे। वे सुनवाई के लिए एक ही मौके का इंतजार कर रहे थे।

टाला ब्रिज का खुलना श्यामबाजार दमदम, आर.जी.कर मेडिकल कॉलेज क्षेत्र से रोजाना आने-जाने वाले सभी लोगों के लिए एक बड़ी राहत है। बस्ती के निवासी भी इस बात पर सहमत हैं, इसीलिए उनका कहना था कि वे उद्घाटन कार्यक्रम में बाधा नहीं डालना चाहते थे।

इस चकाचौंध भरे शहर में, विकास के शोर में, इस शहर में रहने वाले आम लोग, जो यहां काम करते हैं और यहां अपनी दैनिक आजीविका कमाते हैं, किसी का ध्यान नहीं जाता, अनसुना रह जाता है, अदृश्य रहता है। संघर्ष है अपनी बात सुनाने के लिए, दिखाई देने के लिए और अपनी आवाज खुद दर्ज करने के लिए।

पीड़ित बस्तिवासियों की व्यथा

एकमात्र मांग उचित पुनर्वास की थी। पिछले तीन वर्षों से, हर एक परिवार प्लास्टिक के बने आश्रयों में रह रहा है, बारिश का पानी गिर रहा है, हर जगह सांप चूहे हैं। इस शहर में अपना दैनिक जीवन जीने, शहर में मजदूरी करने और अपनी नियमित आजीविका कमाने वालों के लिए जीवन बेहद कठिन रहा है। कुछ लोडिंग अनलोडिंग वर्कर का काम करते हैं, कुछ एम्बुलेंस चलाते हैं, कुछ श्यामबाजार क्रॉसिंग पर चाय बेचते हैं, कुछ पास के फ्लैटों और घरों में घरेलू मजदूरों के रूप में काम करते हैं।

प्रशासन और पुलिस ने बार-बार बस्तिवासीयो पर पुल के पास किसी प्रकार का कोई कार्यक्रम न करने का दबाव बनाया। पुलिस ने बस्तिवासी श्रमजीवी अधिकार रक्षा समिति के छह साथियों को भी पास की एक बस्ती से उठाया, जहां वे लोगों को संगठित करने और उन्हें प्रदर्शन में लाने के लिए गए थे।

हम जाएं कहाँ: वायदा पूरा करो!

इन सबके बाद विरोध प्रदर्शन हुआ। सिर पर छत की उचित मांग के लिए महिलाएं, पुरुष और बच्चे एक साथ उचित पुनर्वास के लिए आए। डीसी नॉर्थ ने मौके पर आकर कहा कि आज एक बैठक का आयोजन किया जाएगा जहां बस्तिवासी अपनी मांग मेयर से रखेंगे।

पीड़ित महनटकाश परिवारों ने कहा- अगर प्रशासन अपना वादा पूरा करता है तो हम सतर्क रहेंगे। यदि वे झूठा वादा करते हैं, रहने वाले शहर को बंद करना जानते हैं। पिछले दो दिनों से बस्तिवासी लगातार सड़क पर हैं।

अंत में उदघाटन कार्यक्रम के बाद कोलकाता निगम के मेयर फिरहाद हकीम बस्तीवासियों की ओर से प्रतिनिधियों के साथ बैठे। उन्होंने और सीएम ममता बनर्जी ने मंच से वादा किया था कि 145 परिवारों को उनके सिर पर छत के साथ कंक्रीट के घर उपलब्ध कराए जाएंगे, जिसकी मांग वे पिछले तीन साल से कर रहे हैं।

संघर्ष जारी है

बस्तिवासी श्रमजीवी अधिकार रक्षा समिति की लडाई चल रही है। यह अंत नही बल्कि शुरुआत है। लड़ाई अभी और भी लंबी है। बस्तिवासी हर शहर के सही निवासियों मे आते हैं। उनको घर, जमीन और जो भी जरूरतमंद चीज़ो का अधिकार मिलना चाहिए।

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