गुजरात में आंदोलनों की लहर: मांगों को लेकर सड़क पर उतरे विभिन्न कर्मचारी और किसान

गांधीनगर में पुरानी पेंशन बहाली के लिए शिक्षकों-कर्मचारियों से लेकर मेडिकल कर्मी, वनरक्षक, विद्या सहायक, मिड डे मील, ठेका श्रमिक, LRD महिला, किसान आदि आंदोलनरत हैं।

अपनी मांगों को पूरा किए जाने की मांग को लेकर गुजरात के गांधीनगर में कई सारे सरकारी कर्मचारी और किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं. कर्मचारियों की मांग है कि उनका ग्रेड पे बढ़ाया जाए. जो कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर हैं उनके सरकारी की सभी सुविधाएं जी जाएं. वहीं किसानों की मांग कम दर पर बिजली दिए जाने की है.

गुजरात में साल के अंत में विधानसभा चुनाव ( Gujarat Election 2022 ) होने वाले हैं. इस बीच गुजरात का गांधीनगर आंदोलनों का हॉट स्पॉट बना हुआ है. वर्तमान में गांधीनगर की धरती पर 10 से ज्यादा अलग-अलग आंदोलन चल रहे हैं.

वर्तमान में गुजरात में बीजेपी की भूपेन्द्र पटेल की सरकार है. सरकार के खिलाफ आंदोलन करने के लिए कई सरकारी विभाग के कर्मचारी संगठन गांधीनगर में मौजूद हैं. पूरे गुजरात के अलग-अलग जगहों से वनरक्षक, वनपालक सहित दूसरे सरकारी कर्मचारी वेतन में बढ़ोतरी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.

गांधीनगर में आए वनरक्षकों की मांग है कि उनकी ग्रेड पे जो 1800 रुपये महीने है उसे बढ़ा कर 2800 रुपये प्रति महीना कर दी जाए. वहीं, गुजरात में वनपालक की पदों पर नौकरी करने वालों की डिमांड है कि उनका ग्रेड पे 2800 रुपये से बढ़ा कर 4200 रुपये प्रति महीना कर दिया जाए. वनरक्षक और वनपालकों का कहना है कि इस महंगाई में सरकारी की ओर से जो सैलरी मिल रही है वो बेहद कम है. इसलिए हमारे ग्रेड पे में बढ़ोतरी की जाए.

वनकर्मी प्रवीण सिंह का कहना है कि, सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों में वनकर्मियों के अलावा अन्य विभागों के वर्ग चार के कर्मचारी शामिल हैं. इन सभी को सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर रखा हुआ है और सभी को 1800 का ग्रेड पे दे रही है. कर्मचारियों की मांग है कि सरकार कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम खत्म करे. जिससे सभी को सरकारी नौकरी का फायदा मिल पाए.

कोरोना महामारी के दौरान जिन फ्रन्टलाइन वर्कर्स का सरकार ने सम्मान किया था. अब वे आरोग्य कर्मचारी ही ग्रेड पे दिए जाने की मांग पर अड़े हैं. इनका कहना है कि गुजरात में सब से कम ग्रेड पे हमें दिया जाता है. आरोग्य कर्मचारी को यहां पर एडमिनिस्ट्रेटिव कर्मचारी के तौर पर जाना जाता है, अब उनकी मांग है कि उन्हें भी मेडिकल टेक्निकल स्टाफ के तौर पर गिना जाए और ग्रेड पे दिया जाए. साथ ही

इन कर्मचारियों की मांग है कि कोरोना के दौरान हम लोगों ने चौबीसों घंटे काम 160 दिनों तक काम किया है. इसलिए कोरोना वाॉरियर्स का भी भत्ता हमें दिया जाए. पूरे गुजरात में ऐसे करीबन 10 हजार से भी ज्यादा पैरामेडिकल कर्मचारी हैं जो इस वक्त हड़ताल पर हैं.

प्रदर्शन कर रहे भारतीय किसान संघ की मांग है कि राज्य सरकार सभी किसानों को समान दर पर बिजली मुहैया कराए. साथ ही हॉर्स पावर कनेक्शन वाले किसानों से अधिक शुल्क नहीं लिया जाए.

गुजरात सरकार ने इन आंदोलनों को रोकने के लिए पांच मंत्रियों की एक कमेटी बनायी है. इस कमेटी के जरिए सरकार इन आंदोलनों को रोकने का प्रयास कर रही है लेकिन कमेटी की ओर से की जा रही कोशिशें रंग लाती नजर नहीं आ रही हैं.

ये सरकारी संगठन कर रहे हैं आंदोलन

– मेडिकल कर्मचारिओं का आंदोलन

– वनरक्षक का ग्रेड पे आंदोलन

– किसान आंदोलन

– शिक्षकों का ओल्ड पेंशन स्कीम आंदोलन

– LRD महिला आंदोलन

– विद्या सहायक भरती आंदोलन

– मिड डे मील कर्मचारी आंदोलन

– पूर्व आर्मी जवानों का आंदोलन

– सरकारी कर्मचारिओं का OPS को लेकर आंदोलन

– सरकारी कर्मचारिओं में कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारिओं का आंदोलन

आज तक से साभार

About Post Author

भूली-बिसरी ख़बरे