नए संग्रामी संकल्प के साथ स्ट्रगलिङ्ग वर्कर्स कोओर्डिनेशन सेंटर (एसडब्लूसीसी) का सम्मेलन सम्पन्न

सम्मेलन में बंगाल सहित देश के श्रमिक जन के मौजूदा हालात व चुनौतियों पर गहन चर्चा हुई। मज़दूर विरोधी नीतियों के खिलाफ मासा के आह्वान पर 13 नवंबर को दिल्ली कूच का आह्वान हुआ।
कोलकाता (पश्चिम बंगाल)। एक बेहद कठिन समय में, जब देश का मज़दूर आंदोलन बेहद चुनौतीपूर्ण दौर में है, तब स्ट्रगलिङ्ग वर्कर्स कोओर्डिनेशन सेंटर (SWCC) पश्चिम बंगाल का पहला सम्मेलन बीते 11 सितंबर को कोलकाता के भारत सभा हॉल मे नए संग्रामी संकल्प के साथ सम्पन्न हुआ।
शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ शुरू सम्मेलन में दिनभर की चर्चा के बाद एसडब्लूसीसी का लक्ष्य, उद्देश्य व संविधान पारित हुआ। अंत मे 37 सदस्यों की कार्यकारिणी समिति का गठन सर्वसहमती से किया गया। इसमें सम्बद्ध 27 यूनियनों के तथा व्यक्तिगत सदस्य प्रतिनिधि शामिल हैं।
इसके साथ ही सम्मेलन में मज़दूर विरोधी लेबर कोड्स, निजीकरण व मज़दूर विरोधी नीतियों के खिलाफ मासा के आह्वान पर 13 नवंबर को राष्ट्रपति भवन दिल्ली चलो अभियान व आक्रोश रैली को सफल बनने का आह्वान किया गया।

यूनियनों-मज़दूरों की जोरदार भागीदारी
एसडब्लूसीसी के इस सम्मेलन में 30 से ज्यादा यूनियन और 250 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। हर यूनियन से कम से कम एक एक प्रतिनिधि ने अपनी बात को रखा और देश-प्रदेश के साथ अपनी स्थानीय व कार्यक्षेत्र की समस्याओं को रेखांकित किया।
भागीदार संगठनों में फुलेश्वर कॉटन मिल यूनियन, बाउरिया कॉटन मिल मज़दूर यूनियन, मिड डे मील मज़दूर यूनियन, बीड़ी यूनियन, बीएसनल संविदा कर्मचारी यूनियन, हावड़ा जड़ी मज़दूर यूनियन, माइन लाइन मज़दूर यूनियन, फलता सेज मज़दूर यूनियन, संग्रामी घरेलू कामगार यूनियन, प्रेमचंद जुट मिल संविदा कर्मचारी यूनियन, पश्चिम बंगाल संग्रामी चाय बगान मजदूर यूनियन, ECL संविदा कर्मचारी यूनियन, होजरी मज़दूर यूनियन के प्रतिनिधियों ने भागीदारी निभाई।
इसके साथ ही हाउस कीपिंग स्टाफ, टेलीकम्युनिकेशन क्षेत्र के स्थायी मजदूर, रिक्शाचालक, सफाई मजदूर आदि ने भी अपनी बातें साझा कीं। विशेष रूप से आमंत्रित संगांठनों मे से पहाड़ी बागान मज़दूर यूनियन की तरफ से साथी सुमेन्द्र तमंग ने और मज़दूर सहयोग केंद्र से साथी मुकुल ने संबोधित किया।
सम्मेलन के दौरान मज़दूर साथियों द्वारा क्रांतिकारी गीतों की प्रस्तुति ने सभागार को और आवेगमय बनने का काम किया।

कठिन हालत में संग्रामी केंद्र की जरूरत
वक्ताओं ने कहा कि पिछले 20 सालों में पश्चिम बंगाल के मज़दूर आंदोलन के इतिहास में एक बड़ा परिवर्तन हुआ है। पिछले शताब्दी के 7-8 दशक में जिन कारखानों में लड़ाकू मज़दूर आन्दोलन का एक लहर था वह क्रमश: बेहद कमजोर स्थिति में पहुँच गया।
वक्ताओं ने कहा कि भूमंडलीकरण के नाम पर तीन दशक से जारी उदारीकरण की नीतियों से एक के बाद एक कारखाने बंद होते चले गए। दो प्रमुख उद्दयोग क्षेत्र जूट एवं इंजीनियरिंग उद्दयोग तबाह हो गए। चाय व कोयला उद्दयोग भी बर्बाद होते गए। स्थाई श्रमिकों के बदले ठेका श्रमिकों की गैरकानूनी नियुक्ति, छँटनी-बंदी, पुलिसिया दमन आदि मज़दूरों का शोषण तत्कालीन वामफ्रंट सरकार के दौरान तेजी से होता रहा। श्रमिकों का मजदूरी व कानूनी अधिकार लगातार संकुचित होता गया, निजीकरण तेज हुआ।
उदारीकरण, निजीकरण की बेलगाम नीतियों से पूरे देश की तरह पश्चिम बंगाल में भी बैंक, बीमा, टेलीकॉम, प्रतिरक्षा, परिवहन सहित अन्य सरकारी क्षेत्रों में जो सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा अर्जित हुई थी, वह छीन लेने का प्रक्रिया तेज हुई। जबरिया वीआरएस के लिए मज़दूरों-कर्मचारियों को निकालने, व्यापक रूप से ठेका प्रथा चालू करने का जोर बढ़त गया।
वक्ताओं ने तमाम उदाहरणों से बताया कि कैसे इस दौरान सत्ताधारी वामपंथी सहित केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने मज़दूर आंदोलन को पीछे धकेला। सत्ता तंत्र व मालिकों के गठबंधन ने स्वतःस्फूर्त मज़दूर आंदोलनों और स्वतंत्र यूनियनों को निर्मम दमन व तिकड़मों से कुचलने का काम किया। जयश्री टेक्सटाइल, ए स्टॉक, हिंदुस्तान लीवर, विक्टोरिया जुट, हिंदुस्तान मोटर्स आदि कारखानों में करीब 3 दशक यही जुल्म चलता रहा।
राज्य में तृणमूल कांग्रेस के पिछले 10 साल के दौर में मज़दूर अधिकारों को कुचलने के साथ छँटनी-बंदी की रफ्तार और तेज हुई है और श्रमिक आन्दोलन और भी कठिन अवस्था में पहुँच गया है।
पिछले 8 साल से मोदी जमाने में देश के मज़दूरो के ऊपर नई उदारवादी शोषण बेलगाम हो गई है। देश के बड़े पूंजीपतियों के हित में श्रम क़ानूनी अधिकारों को छीनने, सरकारी-सार्वजनिक संपत्तियों को अडानियों-अंबनियों को औने-पौने दामों में बेचने की रफ्तार आक्रामक रूप से तेज हो गई है।
भाजपा सरकार के पूरे काल में मेक इन इंडिया, इज़ डुइंग बिजनेस, नोटबंदी, जीएसटी, नई कृषि कानून, लेबर कोड – एक के बाद एक प्रहार श्रमजीवी जनता के ऊपर पड़ रहा है। संपूर्ण रूप से ये देश की श्रमिजीवी जनता को एक नये तरह का दास बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
वक्ताओं ने बताया कि जूट, कॉटन, होजरी, गारमेंट, इंजीनियरिंग, कोयला, चाय, स्पंज आयरन, बीड़ी उद्दयोग, हॉकर, परिवहन, सफाई कर्मी, 100 दिन का काम, आशाकर्मी, आई सी डी एस, मिड डे मिल, गृह परिचारिका, खेतिहर मजदूर – सभी जगह श्रमिकों की स्थितियाँ विकट हैं। आईटी – आईटीईएस क्षेत्र के मज़दूर पिछले 5-6 सालों में लगातार छँटनी के शिकार बन रहे हैं। स्वीगी, जोमाटो, ओला, उबेर इत्यादि गिग / प्लेटफार्म वर्कर बुरी स्थितियों में खट रहे हैं और बुनियादी अधिकारों से भी वंचित हैं।
सम्मेलन में इस बात पर आम सहमति थी कि राज्य तथा देश के मज़दूरों-कर्मचारियों के सामने इस चौतरफा हमलों के खिलाफ एक एकताबद्ध प्रतिरोध स्थापित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। एक समझौताहीन, जुझारू और निर्णायक आंदोलन ही इसका मुक़ाबला कर सकता है। एसडब्लूसीसी इसी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने और देश में मज़दूर आंदोलन की संग्रामी धारा से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयासरत रहने को दृढ़ है।




























एसडब्लूसीसी का लक्ष्य एवं उद्देश्य
- ये केंद्र राज्य के संगठित क्षेत्र के स्थाई, ठेका, कैजुअल, बदली आदि समस्त श्रमिकों-कर्मचारियों तथा असंगठित क्षेत्र में निर्माण श्रमिक, बीड़ी श्रमिक, परिवहन श्रमिक, मनरेगा श्रमिक, गृह परिचारिका, खेतीहर मजदूर, स्कीम श्रमिक (मिड डे मिल, आईसीडीएस, आशा, आंगनवाड़ी आदि) के ट्रेड यूनियन अधिकार प्रतिष्ठा की लड़ाई का एक समन्वय केंद्र है।
- केंद्र उपरोक्त सभी तरह के श्रमिकों को समान मर्यादा के आधार पर संगठित करेगा एवं उनके सभी तरह के ट्रेड यूनियन अधिकार प्रतिष्ठा की लड़ाई को आगे ले जाने के लक्ष्य में अपने को संलग्न करेगा।
- विभिन्न क्षेत्र में कार्यरत रजिस्टर्ड एवं अनरजिस्टर्ड स्वतंत्र यूनियनें तथा व्यक्तिगत मज़दूर इस केंद्र के सदस्य हो सकते हैं। अगर यूनियन न भी हो तो मज़दूर अगर ट्रेड यूनियन अधिकार पाने के लक्ष्य में कोई मंच या कोर ग्रुप गठन करते हैं तो वे भी इस केंद्र के सदस्य हो सकते हैं।
- ये केंद्र व राज्य सरकार की सभी श्रमिक विरोधी व जन विरोधी नीतियों एवं कार्य के खिलाफ आवाज़ उठायेगा एवं उच्चतम लड़ाई संगठित करने का प्रयास करेगा।
- श्रमिक हित में नये श्रम कानून, स्थाई काम में स्थाई मज़दूर की नियुक्ति, ठेका प्रथा समाप्ति, उपयुक्त मज़दूरी, सामाजिक सुरक्षा का अधिकार व कार्यक्षेत्र में काम की सुरक्षा का अधिकार, छँटनी-बंदी की गैर कानूनी घोषणा, पूरे साल काम की गारंटी या काम न देने पर उपर्युक्त बेरोजगारी भत्ता की मांग पर ये केंद्र राज्य के सभी तरह के मजदूरों को एकजुट करके लड़ाई चलाने के लिये प्रयास करेगा।
- संगठित या असंगठित क्षेत्र के हर हिस्से के श्रमिकों के उद्दयोग या पेशा की लड़ाई के लिये ये केंद्र पूर्ण सहयोग का वायदा करता है। यूनियन या व्यक्ति श्रमिक की लड़ाई में ये केंद्र कानूनी एवं प्रत्यक्ष लड़ाई से पूर्ण सहायता करने के लिये उत्तरदायी रहेगा।
- औद्योगिक क्षेत्र में ठेका श्रमिकों के ऊपर चल रहे अमानविक व्यवहार, शोषण या वंचना के खिलाफ ये केंद्र विशेष रूप से सजग रहेगा एवं इसके खिलाफ सतत संघर्ष करेगा।
- नारी श्रमिकों के प्रति चले आ रहे विशेष रूप की वंचना के खिलाफ ये केंद्र हर दम सजग रहेगा एवं कार्य क्षेत्र में हो रहे भेदभाव के खिलाफ लड़ाई को संगठित करेगा।
- राज्य के आईटी-आईटीईएस, गिग / प्लेटफार्म एवं गृह परिचारिकाओं को कामगार का दर्ज देने की मांग पर लड़ाई संगठित करने के लिये ये केंद्र विशेष रूप से पहल करेगा।
- ये केंद्र राज्य व देश के अन्य संग्रामी ट्रेड यूनियनो के साथ दीर्घकालीन संयुक्त संपर्क एवं संयुक्त आन्दोलन गठन करने के लिये पहल करेगा।
- ये केंद्र समाज में सभी तरह के भेदभाव के खिलाफ विरोध जताएगा एवं अन्य संग्रामी शक्तियों के साथ मिलकर एकताबद्ध लड़ाई स्थापित करने में पहल करेगा।

नवनियुक्त कार्यकारिणी व पदाधिकारी
सम्मेलन में 37 सदस्यीय कार्यकारिणी का गठन हुआ जिसमें अध्यक्ष उपेन्द्र रावत; उपाध्यक्ष प्रदीप रॉय, दिनेश चंद्र सिन्हा, बेला अदक बागची, सुवेन्दु बिस्वास व फकरुद्दीन खान; महासचिव अमिताभ भट्टाचार्य; सचिव मुनमुन बिस्वास, सोमनाथ नायक व अजय बक्सी; सहायक सचिव मिथुन दास व पुष्प मण्डल; कोषाध्यक्ष प्रेमानन्द दान व सौम्या चट्टोपाध्याय चुने गए।
