बेलगाम महँगाई से त्रस्त जनता: यूरोपीय देशों में लगातार बढ़ रहे हैं विरोध प्रदर्शन

ईधन सहित जरूरी सामानों की बढ़ती कीमतों से बेलगाम महँगाई, तबाह करने वाली जलवायु नीतियों आदि के खिलाफ यूरोप के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनों का नया सिलसिला बढ़ रहा है।

नवउदारवादी नीतियों से जनता की बढ़ती तबाही के बीच दुनिया के तमाम देशों में जनता का रोष लगातार फूट रहा है और विरोध प्रदर्शन की खबरें लगातार आ रही हैं। इसी क्रम में यूरोपीय महाद्वीप के विभिन्न देशों से भी आंदोलन की खबरें आ रही हैं।

चेक गणराज्य में सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज

यूरोपीय महाद्वीप में स्थित देश चेक गणराज्य में सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज हो गए हैं। शनिवार 4 सितंबर को सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ रैली में दूर-दराज के हजारों प्रदर्शनकारियों ने हिस्सा लिया। पुलिस का अनुमान है कि प्राग के सेंट्रल वेंसस्लास स्क्वायर पर नाराज प्रदर्शनकारी जनता की संख्या करीब 70 हजार है। विरोध का नेतृत्व प्रत्यक्ष लोकतंत्र पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी सहित कुछ राजनीतिक दलों ने किया।

सरकार के अविश्वास प्रस्ताव के एक दिन बाद सिटी सेंटर के वेंसलास स्क्वायर में विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसमें विपक्ष के दावों के बीच मुद्रास्फीति और ऊर्जा की कीमतों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी। यूरोप का ऊर्जा संकट राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ावा दे रहा है क्योंकि बढ़ती ऊर्जा की कीमतों ने मुद्रास्फीति को बढ़ावा दिया है, जो पिछले तीन दशकों में नहीं देखा गया है।

प्रदर्शनकारियों ने रूढ़िवादी प्रधान मंत्री पेटार फिआला के नेतृत्व वाली मौजूदा गठबंधन सरकार के इस्तीफे की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने यूक्रेन में युद्ध को लेकर रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का समर्थन करने के लिए सरकार की निंदा की और उस पर ऊर्जा की बढ़ती कीमतों से निपटने में असमर्थ होने का आरोप लगाया।

साथ ही, प्रदर्शनकारियों ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु तटस्थता तक पहुंचने के लिए नाटो और यूरोपीय संघ और 27 देशों की योजनाओं की भी आलोचना की।

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जर्मनी में किसानों द्वारा जलवायु नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन

यूरोपीय संघ की जलवायु नीतियों के खिलाफ 1 सितंबर को जर्मनी के दर्जनों शहरों में विशाल विरोध प्रदर्शन हुए। जर्मनी के किसानों ने स्टटगार्ट, हैम्बर्ग, हनोवर, ड्रेसडेन, वुर्जबर्ग, मेंज और कई अन्य शहरों में ट्रैक्टर लेकर रोष प्रदर्शन किया और स्टटगार्ट में ट्रैक्टरों से कृषि मंत्रालय को घेर लिया।

किसानों के अनुसार, ये जलवायु नीतियां यूरोपीय कृषि क्षेत्र को नष्ट कर रही हैं। सोशल मीडिया पर किसानों के विरोध प्रदर्शन से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं। ज्यादातर किसान ट्रैक्टर चलाकर इसका विरोध कर रहे हैं।

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यूरोप में महंगाई ने 11 साल का रिकॉर्ड तोड़ा: जनता सड़कों पर

यूरोप महंगाई से जूझ रहा है। यहां महंगाई की दर पिछले 11 साल के रिकॉर्ड 8.9% के स्तर पर है। यूरोजोन में शामिल इन देशों के आंकड़ों में 19 देशों में ये हालात हैं। बाकी देशों में महंगाई की दर और भी ज्यादा है। पूर्वी यूरोप के देश एस्टोनिया में सबसे ज्यादा 23% महंगाई दर है।

इसके खिलाफ जनता में सरकारों के प्रति गुस्सा बना हुआ है। कई जगहों पर लोगों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन भी किया है। इससे सरकारें घबराई हुई हैं।

ब्रिटेन में प्रधानमंत्री पद के चुनावों में महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा बना।

फ्रांस में भी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को भी लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

पोलैंड में महंगाई की दर पिछले दो दशकों के दौरान रिकॉर्ड 18% हो गई है। पोलैंड में सबसे ज्यादा 3 लाख से ज्यादा यूक्रेनी शरणार्थी आए हैं, जिन्होंने राजधानी वॉरसा में पनाह ली हुई है। दूसरे बड़े शहर रेजेजॉव में लगभग एक लाख यूक्रेनी शरणार्थियों के आने से यहां अब स्थानीय लोगों ने विरोध भी शुरू कर दिया है।

यूरोपीय कमीशन ने अगस्त में जारी अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि यूरोप में 30 साल तक की उम्र के 58% युवाओं में बढ़ती महंगाई और रोजगार के अवसरों में कमी से असंतोष बढ़ रहा है। पूर्वी यूरोप के कम विकसित देशों के साथ-साथ पश्चिमी यूरोप के विकसित देशों में भी युवाओं में गुस्सा है। कोरोना काल के बाद हालात और खराब हो गए हैं।

ऐसे हालत में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला बढ़त जा रहा है।

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