हाईकोर्ट से इंटरार्क प्रबंधन को फिर मिली विफलता, कंपनी से मशीनों की शिफ्टिंग पर रोक

रोक के बाद भी किच्छा प्लांट से मशीन शिफ्ट करने की साजिश जारी। क्या प्रशासन आदेश का पालन कराएगा? सितंबर में सामुहिक हड़ताल और मजदूर किसान महापंचायत की तैयारी जोरों पर।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। इंटरार्क कंपनी सिडकुल पन्तनगर व किच्छा के प्रबंधन द्वारा नियुक्त महंगे वकीलों द्वारा काम का बहाना करके कंपनी से मशीनों को बाहर शिफ्ट करने को लेकर की गई विशेष अपील हेतु लगाए गए प्रार्थना पत्र पर सोमवार को उच्च न्यायालय नैनीताल में सुनवाई हुई। किन्तु उन्हें अपनी इस साजिश को परवान चढ़ाने में उन्हें कामयाबी न मिली।

ज्ञात हो कि 16 अगस्त 2021 से इन्टरार्क मजदूर संगठन सिडकुल पंतनगर एवं किच्छा में मजदूर संगठनों द्वारा अपनी वैधानिक मांगो एवं मजदूर शोषण के विरुद्ध धरना प्रदर्शन जारी है। कंपनी प्रबंधक की हठधर्मिता के कारण अभी तक मजदूरों को उनके हक एवं अधिकार के तहत सम्मानजनक समझौता नहीं मिला है जिससे मजदूरों में काफी असंतोष है।

इंटरार्क मजदूर संगठन द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि पीठ ने उन्हें लताड़ लगते कहा कि मजदूरों/यूनियन संग वार्तालाप करने से ही समस्या का निदान होगा। मनमर्जी से समस्या बढ़ती है। इस तरह से कंपनी प्रबंधन को कंपनी से मशीनों को बाहर शिफ्ट कर कंपनी बन्दी कर उत्तराखंड से बाहर पलायन करने की साजिश को परवान चढ़ाने में कामयाबी नहीं मिली।

यूनियन ने बताया कि कंपनी प्रबंधन द्वारा अपनी इसी नियत और साजिश के तहत वर्तमान में कुछ ही दिनों के भीतर 63 स्थाई मजदूरों को झूठे आरोप लगाकर निलंबित कर दिया गया है। अब तक 95 स्थाई मजदूरों को नौकरी से बर्खास्त अथवा निलंबित किया जा चुका है। अब उसी क्रम में कंपनी से मशीनों को शिफ्ट करने की साजिश रची जा रही है।

किंतु उच्च न्यायालय द्वारा कंपनी प्रबंधन की उक्त साजिश को भांपते हुए कंपनी से मशीनों को बाहर शिफ्ट करने पर स्टे लगा रखा है। फिर भी प्रबंधन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। वह खुद को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऊपर समझकर पुलिस प्रशासन की मदद से कंपनी से मशीनों को बाहर शिफ्ट करने की हरकतें निरन्तर कर रहा है।

नैनीताल हाइकोर्ट ने एसएसपी महोदय को कंपनी से मशीनों को शिफ्ट न करने को दिये अपने उक्त आदेश की पालना सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। किन्तु पुलिस प्रशासन द्वारा उक्त आदेश को ठेंगे पर रखा जा रहा है। पुलिस अधिकारी पुलिस बल के साथ कंपनी गेट पर आकर इंटरार्क कंपनी प्रबंधन के साथ मिलकर मशीनों को कंपनी से बाहर शिफ्ट कर प्रबंधन की भरपूर मदद कर रहे हैं, जिसे फेसबुक पर शेयर भी किया जाता रहा है।

यूनियन ने कहा कि यदि पुलिस प्रशासन स्वयं ही उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना करने में इंटरार्क कंपनी प्रबंधन की मददगार बन जाये तो मजदूर कहाँ जाएंगे। इसी क्रम में प्रबंधन द्वारा कंपनी से मशीन शिफ्ट न करने देने का आरोप लगाकर 9 अगुवा मजदूरों का पूरा वेतन/निलबंन भत्ता काटकर उच्च न्यायालय के उक्त आदेश की सरेआम अवमानना की गई है, किंतु एसएसपी महोदय द्वारा उक्त प्रकरण में अभी तक भी प्रबंधन के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

यूनियन ने कहा कि उपश्रमायुक्त महोदय के तमाम निर्देशों के पश्चात भी प्रबंधन द्वारा उक्त 63 मजदूरों का निलंबन समाप्त कर कार्यबहाली न करना भी इसी कड़ी का हिस्सा है। स्पष्ट है कि प्रबंधन खुद को भारत के कानूनों से ऊपर समझते हैं।

तालाबंदी के दौरान मजदूरों के वेतन की वसूली एवं उक्त मामले की सुनवाई हेतु अगली तिथि 5 सितंबर 2022 को निर्धारित की गई है। तालाबंदी के दौरान के मजदूरों के वेतन की वसूली को हाईकोर्ट द्वारा जल्दी सुनवाई को नियत करना मजदूरों के लिये राहत भरी खबर है।

यूनियन नेताओं ने बताया कि इंटरार्क यूनियन की याचिका पर कंपनी में ठेका मजदूरों की गैरकानूनी भर्ती पर रोक लगाने हेतु उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर श्रमायुक्त महोदय उत्तराखंड के आदेश पर इंटरार्क कंपनी सिडकुल पन्तनगर व किच्छा में छापेमारी की कार्यवाही हुई थी और कंपनी प्रबंधन और ठेकेदारों की गैरकानूनी गतिविधियां संज्ञान में आई थी। श्रम विभाग ने कंपनी प्रबंधन व ठेकेदारों के खिलाफ कार्यवाही भी की थी।

इस दौरान कुछ समय के लिये ठेका मजदूरों को कंपनी ने ब्रेक देकर उक्त गैरकानूनी काम को रोक दिया था। किंतु मामला ठंडा होते ही वर्तमान समय में कंपनी द्वारा खुलेआम ठेका मजदूरों की भर्ती कर उन्हें खतरनाक मशीनों एवं मुख्य उत्पादन गतिविधियों में नियोजित कर जान से खिलवाड़ किया जा रहा है जबकि कंपनी भारी इंजीनियरिंग उद्योग है। प्रबंधन बेखौफ होकर शासन प्रशासन, श्रम विभाग की शह पर बेखौफ होकर मजदूरों के जानमाल से खिलवाड़ कर रहा है।

बताया कि उपश्रमायुक्त महोदय ने भारी इंजीनियरिंग उद्योग होने के कारण 2 फरवरी 2018 को आदेश जारी कर कंपनी में फिक्स टर्म प्रथा को प्रतिबंधित कर दिया था। किंतु वर्तमान में कंपनी में भारी तादाद में फिक्स टर्म मजदूरों को भर्ती कर खतरनाक मशीनों और मुख्य उत्पादन क्षेत्रों में नियोजित किया जा रहा है। साफ है कि प्रबंधन के लिए भारतीय कानूनों की रत्ती भर परवाह नहीं है। ऐसे में शासन प्रशासन को कंपनी प्रबंधन के विरुद्ध तत्काल कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए।

यूनियन ने कहा कि पंतनगर एवं किच्छा प्लांट में श्रमिकों का शोषण एवं उत्पीड़न लगातार जारी है। परिसर के भीतर कार्यरत श्रमिकों के ऊपर नए नए नियम व कानून रोज थोपे जा रहे हैं। श्रमिकों के पानी पीने, वॉशरूम जाने एवं लंच करने की तमाम प्रक्रियाओं में जटिलता पूर्ण नियम कानून को समायोजित किया जा रहा है, जिससे श्रमिकों में भय का माहौल पैदा हो रहा है। प्रबंधक द्वारा श्रमिकों को लगातार यूनियन छोड़ने की धमकी व झूठे आरोपों को लगाकर कंपनी परिसर से बाहर कर देने की धमकी लगातार दी जा रही है, जिससे मजदूरों में आक्रोश व्याप्त हो रहा है।

धरना स्थल पर सभा को संबोधित करते हुए मजदूर नेताओं द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि कंपनी प्रबंधक के किसी भी बर्ताव से मजदूर डरने वाले नहीं है और अपने हक व अधिकारों की लड़ाई को जीत कर रहेंगे।

इंटरार्क मजदूर संगठन ऊधमसिंह नगर व इंटरार्क मजदूर संगठन किच्छा मजदूरों के ऊपर हो रहे उक्त शोषण व अत्याचार पर रोक लगाने, कंपनी बन्दी कर उत्तराखंड से बाहर पलायन कर मजदूरों की छंटनी करने की साजिश के खिलाफ मजदूरों ने आर पार का संघर्ष करने का मन बना लिया है।

सितंबर माह में दोनों प्लांटों के मजदूरों की सामुहिक हड़ताल करने और किच्छा प्लांट के मजदूरों के धरनास्थल पर मजदूर किसान महापंचायत के आयोजन की योजना पर तेजी से काम हो रहा है।

धरना स्थल पर सैकड़ों मजदूर उपस्थित रहे।

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