छत्तीसगढ़: नियमितीकरण की माँग पर सहकारी समिति कर्मी हड़ताल पर, निकली रैली
सहकारी समितियों के कर्मचारियों ने रैली निकाल कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। कर्मचारियों की मांग नियमितीकरण अथवा समान काम के लिए समान वेतन देने की है।
अंबिकापुर। आदिम जाति सेवा सहकारी समिति कर्मचारी संघ के बैनर तले पिछले पांच दिनों से आंदोलन कर रहे सरगुजा संभाग भर के समितियों के कर्मचारी शुक्रवार को अंबिकापुर में जुटे।यहां नियमितीकरण की मांग को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सहकारी समितियों के कर्मचारियों ने रैली निकाल कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन प्रेषित किया। कर्मचारियों की मांग नियमितीकरण अथवा समान काम के लिए समान वेतन देने की है। पिछले पांच दिनों से हड़ताल कर रहे कर्मचारियों ने कहा है कि यदि अब भी उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो वे 22 अगस्त से अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे।
आदिम जाति सेवा सहकारी समिति कर्मचारी संघ के संभागीय अध्यक्ष प्रभाकर सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जन घोषणा पत्र तैयार किया था।जन घोषणा पत्र में सहकारी समिति के कर्मचारियों को भी नियमित करने की बात कही गई थी। कांग्रेस के सत्ता में आते ही सबसे पहले किसानों का अल्पकालीन कृषि ऋण माफ किया गया था। इस कार्य में समिति कर्मचारियों की भूमिका महत्वपूर्ण थी।
सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को खाद, बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के साथ ही समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का कार्य भी कराया जाता है, इसके अलावा किसानों के हितों से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन में समितियों की प्रमुख भूमिका है। इसके बावजूद समितियों में पदस्थ प्रबंधक से लेकर दूसरे कर्मचारी आज भी सम्मानजनक मानदेय की प्रतीक्षा में है। कांग्रेस की सरकार बनने के बावजूद उनकी मांग अब तक पूरी नहीं हो सकी है। संघ के माध्यम से लगातार वे शासन से पत्राचार कर रहे हैं लेकिन न तो नियमितीकरण किया जा रहा है और न ही समान काम के बदले समान वेतन की ही व्यवस्था की जा रही है।
महंगाई के इस दौर में समिति कर्मचारियों को अल्प वेतन में आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि सहकारी समितियों के कर्मचारियों को सड़क पर उतर कर आंदोलन करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि आंदोलन के प्रथम चरण में एक जुलाई से सहकारी समितियों में तालाबंदी आंदोलन किया गया। सभी कर्मचारियों ने एकजुटता का प्रदर्शन किया।पिछले पांच दिनों से सहकारी समितियां बंद है।
आंदोलन के पांचवें दिन उन्होंने रैली निकाल अपनी भावनाओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराया है। यदि इसके बावजूद भी उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो 22 अगस्त से हुए अनिश्चितकालीन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। इसके पहले स्टेट बैंक कलेक्ट्रेट शाखा के सामने संभाग भर के सहकारी समितियों के कर्मचारी धरने में शामिल हुए। धरना स्थल पर ही उनकी मांग को लेकर राज्य सरकार द्वारा उदासीनता बरते जाने का आरोप लगाया गया। सभी कर्मचारियों ने निर्णय लिया कि सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में हम सभी कर्मचारी पूरी एकजुटता के साथ मांग पूरी होने तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे। इस दौरान राज्य सरकार पर उपेक्षा करने का आरोप लगा सहकारी समितियों के कर्मचारियों ने नाराजगी भी जताई।
नईदुनिया से साभार