बेलसोनिका मज़दूरों ने किया टूलडाउन; प्रबंधन ने 8 दिन वेतन कटौती का लगाया नोटिस

प्रबंधन की गैर क़ानूनी गतिविधियों व लगातार जारी उत्पीड़न के विरोध में मज़दूरों को दोनो शिफ्टो में 2-2 घंटे के टूलडाउन के लिए मज़बूर होना पड़ा। प्रबंधन ने फिर तानाशाही दिखलाई।

गुड़गांव (हरियाणा)। मानेसर स्थित बेलसोनिका प्लांट में उत्पीड़न के विरोध में टूल डाउन करने पर प्रबंधन ने मज़दूरों का आठ दिन का वेतन काटने का एक नोटिस जारी किया है।

दरअसल गुड़गांव के मानेसर में स्तिथ बेलसोनिका कंपनी के मज़दूरों ने सोमवार 1 अगस्त को दोनो शिफ्टो में 2-2 घंटे का टूलडाउन कर प्रबंधन को चेतावनी दी। प्रबंधन द्वारा मज़दूरों को लगातार परेशान किये जाने के विरोध में मज़दूरों को टूलडाउन के लिए मज़बूर होना पड़ा।

जिसके बाद प्रबंधन द्वारा मंगलवार शाम को वेतन कटौती का यह नोटिस चस्पा किया गया है।

ज्ञात हो कि बेलसोनिका कम्पनी के मज़दूरों ने स्थायी काम पर स्थायी रोजगार और समान काम का समान वेतन की मांग उठायी थी। इस कारण बेलसोनिका का प्रबंधन यूनियन से चिढ़ा हुआ है। इसके अलावा वो फैक्ट्री में स्थायी मज़दूरों को हटाकर नीम ट्रेनी, फिक्स टर्म एम्प्लॉयमेंट, ठेके के सस्ते मज़दूर रखना चाहता है। इसलिए वो मज़दूरों को लगातार उकसा रहा है, उनको परेशान कर रहा है।

प्रबंधन विगत 10-12 सालों से यहाँ काम कर रहे ठेका मज़दूरों की जुलाई 2021 से ही छँटनी करना चाहता है ताकि वो स्थायी होने की मांग न कर सके। इसके लिए उन्हें वीआरएस का भी लालच दिया लेकिन कोई भी मज़दूर इस झांसे में नहीं आय। तब प्रबंधन ने मज़दूरों को फर्जी आरोपपत्र दे दिये।

बेलसोनिका मज़दूर यूनियन का कहना है कि प्रबंधन लगातार अस्थाई मज़दूरों की छंटनी कर रहा है। यहां तक कि मज़दूरों को उनकी मूलभूत सुविधाएं देने में भी आनाकानी करता है। प्रबंधन मज़दूरों छोटी-छोटी बातों पर उकसाता रहा है।

पिछले दिनों प्रबंधन ने सियोरिटी गार्ड द्वारा यूनियन के कार्यकारिणी सदस्य पर झूठी रिपोर्ट करने को कहा। जब गार्ड ने मना कर दिया तो उसको नौकरी से ही निकाल दिया।

मज़दूरों में यूनियन के साथ मिल कर अपनी सभी समस्याओं का एक पत्र हरियाणा के मुख्यमंत्री को भेजा है जिसमें मुख्य रूप से प्रबंधन द्वारा यूनियन को दी जाने वाली हिंसक धमकियों का जिक्र किया गया है।

बेलसोनिका के प्रबंधन की नियत साफ है। वह मज़दूरों की यूनियन को तोड़ना चाहता है। मज़दूर भी इस बात को समझ रहे हैँ। इसलिए वे प्रबंधन के खिलाफ डटकर खडे हैँ और संघर्ष कर रहे हैँ।

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