नीमराना: आग का गोला बनी हैवेल्स फैक्ट्री; 14 घंटे सुलगती रही आग

हैवेल्स सहित इस पूरे औद्योगिक क्षेत्र में श्रम कानूनों का कहीं भी पालन नहीं होता है और सुरक्षा मानकों से खिलवाड़ आम बात है। जहाँ भी मज़दूर संगठित होने का प्रयास करते हैं, दमन तेज हो जाता है।

नीमराना (राजस्थान)। अलवर जिले के नीमराना के रीको ओधोगिक क्षेत्र में स्थित हैवेल्स इंडिया लिमिटेड कंपनी की उत्पादन इकाई में भयंकर आग से प्लांट 14 घंटे तक सुलगती रही। 28 जुलाई की रात 9 बजे इकाई में लगी आग पर अगले दिन सुबह 11 बजे के करीब पूरी तरह काबू पाया जा सका।

यहां हैवल्स की सीएफएल, एलईडी और बल्ब बनते हैं। आग की लपटें इतनी भयावह थीं कि 4 किलोमीटर दूर से नजर आ रही थीं। आग किन कारणों से लगी, यह अभी साफ नहीं हुआ है।

फटते रहे गैस सिलेंडर, बढ़ती गई आग

कंपनी के एलईडी व सीएफएल प्लांट में गैस सिलेंडर रखे हुए थे। आग लगने से सिलेंडर लगातार फटते रहे। जिससे आग विकराल होती गई और काबू से बाहर हो गई। आग लगने के 1 घंटे बाद कंपनी का फायर सिस्टम शुरू हुआ।

कम्पनी में करीब चार लाख लीटर पानी का स्टोरेज था, लेकिन कंपनी कर्मचारियों व अधिकारियों ने करीब दस बजे जाकर स्टोरेज टैंक से प्लांट में लगी आग पर पानी का छिड़काव करना शुरू किया। कंपनी में आग लगने के बाद अफरा-तफरी मच गई। 650 श्रमिकों ने भागकर अपनी जान बचाई। कंपनी के बाहर लोगों की भीड़ जमा हो गई।

12 घंटे की शिफ्ट, आग लगाने से मची हड़कंप

औद्योगिक क्षेत्र के इंडियन जोन में स्थित प्लांट में कुल एक हजार मजदूर काम करते हैं। 7 बजे से 7 बजे तक 12-12 घंटे की दो शिफ्ट में अवैध रूप से काम होता है। रात्री पाली शुरू होने के दो घंटे बाद ही यूनिट का एक हिस्सा धधक उठा। तुरंत सायरन बजाया गया और सभी मजदूर काम छोड़कर बाहर आ गए। जिस वक्त आग लगी उस वक्त 650 मजदूर प्लांट में काम कर रहे थे।

राजस्थान-हरियाणा से पहुंचे दमकल

आग की घटना का एक श्रमिक को सबसे पहले पता चला। इसके बाद कंपनी प्रबंधन को आग की सूचना दी गई। वहां से तुरंत फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचित किया गया। इसके बाद नीमराना, बहरोड़, कोटपूतली, जयपुर, अलवर, खुशखेड़ा, भिवाड़ी, हरियाणा से 9 दमकलों को बुलाया गया।

रात 9 बजे लगी आग देखते ही देखते विकराल रूप ले ली और प्लांट का एक हिस्सा जलकर खाक हो गया। दमकलों ने करीब 4 घंटे की कड़ी मशक्कत से आग पर काबू पाया। सुबह 11 बजे ऑपरेशन चलाकर आग पर काबू पाया गया। प्लांट से रह-रहकर चिंगारियां और लपटें उठ रहीं थी।

इस आगजनी पर कंपनी के अधिकारी कुछ नहीं बता पाए। कंपनी ने मीडिया कर्मियों को कवरेज करने से रोका और उनके साथ बदसलूकी की। मीडिया कर्मियों को कंपनी से बाहर निकाल दिया गया। प्रशासनिक अधिकारी व कंपनी प्रबंधन मामले की जानकारी देने से बचते रहे।

जैसा कि हमेशा होता है, आग के कारणों व नुकसान की जांच चल रही है।

अलवर में हैवेल्स के दो प्लांट

2004 में स्थापित हैवेल्स इंडिया की नीमराणा फैक्ट्री में सीएफएल, एचआईडी लैंप और मोटर एवं लाइटिंग फिक्सचर्स बनते हैं। कंपनी का ये प्लांट 1,94,249 वर्ग मीटर में फैला है।

वहीं अलवर में कंपनी की एक केबल और वायर बनाने की भी फैक्टरी है, जो 1996 में स्थापित हुई थी। देश की सबसे बड़ी इंटीग्रेटेट यह केबल फैक्ट्री 4,04,686 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली है।

दुर्घटनाएं आम बात, आवाज़ उठाते ही दमन तेज

हैवेल्स सहित इस पूरे औद्योगिक क्षेत्र में श्रम कानूनों का कहीं भी पालन नहीं होता है और सुरक्षा मानकों से खिलवाड़ आम बात है। छोटी-बड़ी दुर्घटनाएं आए दिन घटित होती हैं, जहाँ मज़दूरों के अंग-भंग होने से लेकर जान जाने की बात सामान्य है।

जहाँ भी मज़दूर संगठित होने का प्रयास करते हैं, यूनियन बनाते हैं या माँग उठाते हैं, वहाँ दमन तेज हो जाता है। होंडा, डाईकिन से लेकर डाइडो इंडिया तक यही कहानी है, जहाँ तमाम मज़दूर अवैध निलंबन, बर्खास्तगी झेल रहे हैं और हक़ के लिए संघर्षरत हैं।

फिलहाल हैवेल्स कंपनी में कोई मानव क्षति की खबर नहीं मिली है। लेकिन जैसा हादसा था, कोई बड़ी घटना भी हो सकती थी, जिसे दुर्घटना का नाम देकर महज जांच की खनापूर्ति बनकर रह जाती!

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