नया फरमान: ‘जुमलेबाज’, ‘तड़ीपार’ बोलने पर रोक, संसद भवन में धरना-प्रदर्शन पर भी पाबंदी

पूर्व प्रदर्शन का फ़ोटो

तानाशाह, बहरी सरकार, जयचंद, दलाल जैसे तमाम शब्द असंसदीय घोषित हुए हैं। संसद भवन पर रोक का स्पष्ट मतलब है कि पूरे देश में धरना-प्रदर्शन पर पाबंदी लगाने की तैयारी है।

नई दिल्ली। संसद भवन परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन आदि के लिए नहीं किया जा सकता। राज्यसभा सचिवालय के बुलेटिन में यह बात कही गई है। संसद भवन पर रोक का स्पष्ट मतलब है कि पूरे देश में धरना-प्रदर्शन पर पाबंदी लगाने की तैयारी है।

शुक्रवार को धरना, प्रदर्शन को लेकर यह बुलेटिन ऐसे समय में सामने आया है, जब एक दिन पहले ही लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी असंसदीय शब्दों के संकलन को लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा था।

ज्ञात हो कि लोकसभा सचिवालय ने ‘‘असंसदीय शब्द 2021’’ शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है जिन्हें ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखा गया है। अब लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाए, पिठ्ठू जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं हो सकेंगे। यह “अमर्यादित” आचरण होगा।

हद यह कि मानसून सत्र से पहले राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी द्वारा धरना, प्रदर्शन पर पाबंदी के संबंध में जारी बुलेटिन में इस विषय पर सदस्यों से सहयोग का अनुरोध किया गया है।

बुलेटिन में कहा गया है, ‘सदस्य संसद भवन परिसर का इस्तेमाल धरना, प्रदर्शन, हड़ताल, अनशन या धार्मिक समारोहों के लिए नहीं कर सकते।’

एक दिन पहले ही संसद में बहस आदि के दौरान सदस्यों द्वारा बोले जाने वाले कुछ शब्दों को असंसदीय शब्दों की श्रेणी में रखे जाने के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने सरकार को घेरते हुए कहा था कि सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब ‘असंसदीय’ माने जाएंगे।

‘असंसदीय’ शब्दों की कुछ बानगी

लोकसभा सचिवालय ने ‘असंसदीय शब्द 2021’ शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है, जिसमें जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चांडाल चौकड़ी, गुल खिलाए, तानाशाह, भ्रष्ट, ड्रामा, अक्षम, पिट्ठू जैसे शब्द शामिल हैं।

इस श्रेणी में शा​मिल शब्दों का संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की कार्यवाही के दौरान सदस्य चर्चा में हिस्सा लेते हुए इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।

इस सूची में ‘चमचा’, ‘चमचा​गीरी’, ‘चेला’, ‘शर्म’, ‘दुर्व्यवहार’, ‘नाटक’, ‘पाखंड’ और ‘अक्षम’ जैसे शब्द भी शामिल किए गए हैं. ‘अराजकतावादी’, ‘तानाशाही’, ‘तानाशाह’, ‘तड़ीपार’, ‘जयचंद’, ‘विनाश पुरुष’, ‘निकम्मा’, ‘खालिस्तानी’, ‘दोहरा चरित्र’, ‘नौटंकी’, ‘ढिंडोरा पीठना’, ‘बहरी सरकार’ को भी रखा गया है।

इसके अलावा ‘दंगा’, ‘दलाल’, ‘दादागीरी’, ‘बेचारा’, ‘विश्वासघात’, ‘संवेदनहीन’, ‘मूर्ख’, ‘पिट्ठू’ और ‘यौन उत्पीड़न’ जैसे शब्दों को भी असंसदीय माना जाएगा। ऐसे शब्दों के प्रयोग को अमर्यादित आचरण माना जाएगा और वे सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होंगे।

इस संकलन में अंग्रेजी के कुछ शब्दों एवं वाक्यों को भी शामिल किया गया है, जिनमें ‘कोविड स्प्रेडर’, ‘स्नूपगेट’, ‘आई विल कर्स यू’, ‘बिटेन विद शू’, ‘बिट्रेड’, ‘ब्लडशेड’, ‘ब्लडी’, ‘चीटेड’, ‘शेडिंग क्रोकोडाइल टियर्स’, ‘डंकी’, ‘गून्स’, ‘माफिया’, ‘रबिश’, ‘स्नेक चार्मर’, ‘टाउट’, ‘ट्रेटर’, ‘विच डाक्टर’, ‘अशेम्ड’, ‘अब्यूज़्ड’, ‘चाइ​ल्डिशनेस’, ‘करप्ट’, ‘कॉवर्ड’, ‘क्रिमिनल’ आदि शमिल हैं. ‘डिस्ग्रेस’, ‘ड्रामा’, ‘आईवॉश’, ‘फज’, ‘हूलीगनिज़्म’, ‘हिप्पोक्रेसी’, ‘इनकॉम्पीटेंट’, ‘मिसलीड’, ‘लाई’, ‘अनट्रू’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर भी रोक लगाई गई है।

हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सफाई दी थी कि संसदीय कार्यवाही के दौरान किसी शब्द के प्रयोग को प्रतिबंधित नहीं किया गया है, बल्कि उन्हें संदर्भ के आधार पर कार्यवाही से हटाया जाता है तथा सभी सदस्य सदन की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं।

संसद में पाबंदियों से शुरू, पूरे देश में लगेगी पाबंदी

देश के बिगड़ते हालात, पूँजीपतियों को सौगात और आम जनता की तेजी से बढ़ती तबाही के बीच मोदी सरकार द्वारा देश की शीर्ष संस्था में दबंगाई से जनतान्त्रिक अधिकारों को खत्म करने से स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि सरकार के खिलाफ प्रतिरोध के सभी रास्तों को पूरे देश में खत्म करने की तैयारी है।

यह सांसदों ही नहीं पूरे देश की जनता के सामने एक और बड़ी चुनौती है। इसे समझना पड़ेगा। यह फासीवादी दौर की स्पष्ट अभिव्यक्ति है। इतिहास गवाह है कि ऐसी पाबंदियाँ जनता के प्रतिरोध के सामने न तो टिकी हैं, न टिक पायेंगी।

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