न्याय मांगते, बारिश में भीगते मज़दूरों के बच्चे, नहीं मिले डीएम, देर रात गेट पर चिपकाया ज्ञापन

प्रशासन ने कलेक्ट्रेट के गेट बंद करावा दिया। भयानक बारिश में भीगते बच्चों व महिलाओं से डीएम ज्ञापन लेने नहीं पहुंचे। नाराज बच्चों ने तीनों गेटों पर ज्ञापन चस्पा कर दिया।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। वेतन वसूली और गैर कानूनी कृत्यों पर रोक न लगने की माँग पर बाल सत्याग्रह के तहत श्रम भवन रुद्रपुर से कलक्ट्रेट तक रैली निकालकर पहुंचे बच्चों से भयभीत जिला प्रशासन ने कलेक्ट्रेट के तीनों गेट बंद करावा दिया। भयानक बारिश में बच्चे महिलायें और मज़दूर भीगते रहे, लेकिन डीएम ऊधम सिंह नगर देर रात तक ज्ञापन लेने नहीं पहुंचे। नाराज बच्चों ने रात 9 बजे तीनों गेटों पर ज्ञापन चस्पा कर दिया।

इस बीच 30 जून को नैनीताल उच्च न्यायालय में इंटरार्क कंपनी सिडकुल पंतनगर की तालाबन्दी को गैरकानूनी घोषित कर उत्तराखंड शासन द्वारा दिये आदेश पर प्रबन्धन द्वारा लगाई गई याचिका पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट द्वारा श्रमिक पक्ष एवं उत्तराखंड शासन को जवाब देने को तीन हफ्ते का समय दिया गया है।

पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत 29 जून को इंटरार्क कंपनी सिडकुल पन्तनगर में कार्यरत मजदूरों के बच्चे महिलाओं, मजदूरों, मजदूर व किसान यूनियन के पदाधिकारियों एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ में बड़ी संख्या में श्रम भवन रुद्रपुर पहुंचे और जोरदार प्रदर्शन किया।

बाल पंचायत को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि 22 जून 2022 को सहायक श्रमायुक्त द्वारा इंटरार्क सिडकुल पन्तनगर में गैरकानूनी तालाबन्दी के शिकार 356 मजदूरों की 16 मार्च से 31 मई 2022 के वेतन रिकवरी हेतु करीब एक करोड़ पिचासी लाख रुपये की आरसी काटकर अग्रीम कार्यवाही के लिए जिलाधिकारी महोदय भेजा, किन्तु जिला प्रशासन द्वारा अबतक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई, जो कि औद्योगिक शांति (समय पर वेतन भुगतान) अधिनियम -1978 का खुला उल्लंघन और अवमानना है।

कलेक्ट्रेट रुद्रपुर में प्रदर्शन करते बच्चे, महिलएं, मज़दूर

बच्चों ने कहा कि हाईकोर्ट के 1 अप्रैल 2022 को इंटरार्क कंपनी की तालाबन्दी को उत्तराखंड शासन ने 30 मई को गैरकानूनी घोषित किया जा चुका है। 1 जून को बाल पंचायत के दौरान कुमाऊँ आयुक्त महोदय द्वारा सार्वजनिक रूप से बच्चों को वचन दिया था दो दिनों के भीतर मजदूरों को 3 माह का वेतन भुगतान करा दिया जायेगा औऱ कंपनी खोल सबको काम पर बहाल करा दिया जायेगा। किन्तु अभी तक मजदूरों को न्याय न मिला है।

कहा कि जिला प्रशासन व श्रम विभाग के असंवेदनशील रवैय्ये के कारण 3 माह से वेतन न मिलने से हमारे पापा समेत 356 मजदूर अपने छोटे-छोटे बच्चों और बूढ़े माता संग भुखमरी का सामना कर रहे हैं। हम बच्चों का स्कूल छूटने की नौबत आ गई है।

बच्चों ने कहा कि इंटरार्क कंपनी के किच्छा प्लांट में प्रमाणित स्थाई आदेशों का उल्लंघन कर करीब 700 कैजुअल मजदूरों की गैरकानूनी भर्ती कर दी गई है। वहीं यूनियन से जुड़े करीब 40 मजदूरों को विगत 3 माह के भीतर झूठेआरोप लगाकर निलंबित कर दिया गया है। अनेकों शिकायतों के बावजूद श्रम अधिकारी प्रबन्धन के खिलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं।

भयंक बारिश, देर रात का वक़्त, ज्ञापन लेने नहीं पहुंचे डीएम

कार्यक्रम के अंत में श्रम भवन रुद्रपुर से कलेक्ट्रेट तक पदयात्रा निकाली गई और जिलाधिकारी को प्रेषित ज्ञापन में चेतावनी दी गई कि यदि एक हफ्ते के भीतर मजदूरों को वेतन न दिलाया गया और कंपनी के किच्छा प्लांट में प्रमाणित स्थाई आदेशों के उक्त उल्लंघन पर रोक न लगाई गई तो तल्ली ताल डांठ  नैनीताल से उत्तराखंड हाईकोर्ट तक पदयात्रा निकालकर निर्णायक संघर्ष शुरू किया जायेगा। और 14 जुलाई को कंपनी के किच्छा प्लांट के निकट आयोजित मजदूर-किसान महापंचायत में इसे भी मुद्दा बनाया जायेगा।

कार्यक्रम का संचालन डॉली ने किया। बाल पंचायत को इंटरार्क मजदूर संगठन ऊधमसिंह नगर के अध्यक्ष दलजीत सिंह, इंटरार्क मजदूर संगठन किच्छा के महामंत्री पान मुहम्मद, इंकलाबी मजदूर केंद्र के अध्यक्ष कैलाश भट्ट, बंगाली एकता मंच से संस्थापक सुब्रत कुमार विश्वास, भगवती श्रमिक संगठन से मुकेश चन्द जोशी आदि ने संबोधित किया। प्रदर्शन में इन्टरार्क मजदूर संगठन के सैकड़ों मजदूर महिला व बच्चों आदि शामिल थे।

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