ट्विटर अकाउंट पर पाबंदी का विरोध; तीस्ता सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार पर ज़ुल्म निंदनीय -एसकेएम

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि इस संदर्भ में महत्वपूर्ण बात यह है कि केंद्र सरकार ने यह किसान-विरोधी तानाशाहीपूर्ण कदम उठाने के लिए आपातकाल के काले दिन को ही चुना।

ट्विटर अकाउंट पर केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी पर संयुक्त किसान मोर्चा ने कड़ा विरोध जताया है। साथ ही तीस्ता सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार, संजीव भट्ट की रिहाई की माँग की है।

संयुक्त किसान मोर्चा केंद्र सरकार के निर्देश पर किसान आंदोलन से संबंधित ट्विटर अकाउंटों पर लगाई गई पाबंदी का कड़ा विरोध व निंदा करता है। ट्विटर द्वारा बिना किसी चेतावनी के किसान मोर्चा से जुड़े ट्विटर हैंडल @kisanektamorcha समेत करीब एक दर्जन ट्विटर अकाउंट को भारत में बंद कर दिया है। इनमें ट्रैक्टर टू ट्विटर जैसे महत्वपूर्ण एकाउंट भी है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने जारी विज्ञप्ति में कहा है कि इस संदर्भ में महत्वपूर्ण बात यह है कि केंद्र सरकार ने यह किसान-विरोधी कदम उठाने के लिए आपातकाल के दिन को ही चुना। 25/26 जून 1975 की रात, जब देश में आपातकाल लगाई गई थी, भारत के लोकतंत्र में एक काला दिवस माना जाता है। आपातकाल के जन-विरोधी प्रावधान द्वारा भारत सरकार ने तानाशाही रवैया अपनाया, और सरकार की विचारधारा के खिलाफ उठ रही आवाजों को कुचला था।

ठीक उसी तरह आज भाजपा ने सरकार से सवाल करने वाले ट्विटर अकाउंटों की आवाज बंद करने के लिए ट्विटर पर दबाव बनाया है, जिससे ट्विटर ने इन अकाउंट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

एसकेएम ने कहा कि जब किसान आंदोलन शुरू हुआ था तो किसान आंदोलन के खिलाफ तरह-तरह के दुषप्रचार व झूठी खबर फैलाई जा रही थी। किसान आंदोलन में सक्रिय युवाओं ने किसान एकता मोर्चा, ट्रैक्टर टू ट्विटर, आदि विभिन्न तरह के नए उपचारों से किसानों की आवाज को दुनिया के सामने लाने का प्रयास किया। इन अकाउंटों के लाखों की संख्या में फॉलोवर्स थे।

एक साल से अधिक चले किसान आंदोलन के दौरान, इन अकाउंटों ने बहादुरी और लगन से आंदोलन की गतिविधियों की सूचना दी, और सरकार द्वारा आंदोलन और प्रदर्शनकारियों के उत्पीड़न पर आवाज उठाया। इन चैनलों के द्वारा किसानों की आवाज गांव से निकलकर बड़े शहरों व दुनियाभर में आई, और असल मायनों में खेती-किसानी की आवाज ट्रैक्टर से ट्विटर पर आई।

विज्ञप्ति में लिखा है कि सरकार द्वारा इस तरह से किसान-मजदूर के पक्ष की बुलंद आवाज पर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक तो है ही, साथ ही यह आपातकाल का भी एक जीता-जागता उदाहरण है। किसान मोर्चा से जुड़े ट्विटर अकाउंट पर केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी, सरकार द्वारा मानवाधिकारों के खिलाफ हमले के एक बड़े अभियान का हिस्सा है।

इस कड़ी में, 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों के लिए मानवाधिकार की लड़ाई लड़ रहीं सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ व पूर्व प्रशासनिक अधिकारी आरबी श्रीकुमार को 26 जून को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट पर एक और केस कर दिया गया है।

एसकेएम ने केंद्र सरकार द्वारा इस तानाशाही व्यवहार का पुरजोर तरीके से विरोध व निंदा करते हुए कहा कि यह बिल्कुल “उल्टा चोर कोतवाल को डांटे” वाली स्थिति है, जहां न्याय की मांग करने वालों को ही गिरफ्तार किया जा रहा है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने माँग की है कि किसान-मजदूर की बुलंद आवाज किसान एकता मोर्चा व ट्रैक्टर टू ट्विटर समेत तमाम ट्विटर अकाउंट, जिन्हें अलोकतंत्रिक व अतार्किक रूप से बंद किया गया है उन्हें पुनः बहाल किया जाए।

यह भी मांग की है कि तीस्ता सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार व संजीव भट्ट को बेशर्त रिहा किया जाए, और गुजरात दंगों के आरोपियों को सजा देखकर दंगा पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित किया जाए।

जारीकर्ता- डॉ दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहन, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव

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