अग्निपथ योजना: 24 जून को राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस; युवाओं की अल्मोड़ा से हल्द्वानी पदयात्रा

विरोधों के बीच 24 जून से सरकार अग्निवीर भर्ती शुरू करेगी और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशभर में विरोध दिवस मनेगा। जंतर-मंतर दिल्ली में प्रदर्शन होगा। वहीं कुमाऊँ में युवा पदयात्रा पर हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा ने अग्निवीर भर्ती की शुरुआत के दिन यानी शुक्रवार 24 जून को ही इस योजना के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी विरोध दिवस मनाने का फैसला किया है।

उस दिन “जय जवान जय किसान” के नारे के साथ सभी जिला, तहसील या ब्लॉक मुख्यालय पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन आयोजित कर सेना के सर्वोच्च कमांडर भारत के राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया जाएगा, और केंद्र सरकार का पुतला दहन किया जाएगा।

उत्तराखंड में पद यात्रा; दिल्ली में विरोध प्रदर्शन

अग्निपथ योजना के विरोध में गुरुवार को युवा अल्मोड़ा से पैदल तिरंगा यात्रा लेकर हल्द्वानी रवाना हुए। कुमाऊं के अन्य जिलों से भी युवाओं के हल्द्वानी पहुंचने की उम्मीद है। हल्द्वानी में युवा दमनकारी अग्निपथ के विरोध में धरने पर बैठेंगे।

युवा क्रांति समिति के बैनर तले अग्निपथ योजना के विरोध में गुरुवार को चौघानपाटा में युवा एकत्र हुए। जिसके बाद युवा यहां से लोधिया, क्वारब, खैरना, भवाली, भीमताल, रानीबाग होते हुए पैदल हल्द्वानी रवाना हुए। इस कारवां में जगह-जगह से युवा इसमें हो रहे हैं।

उधर नैनीताल जिले के रामनगर में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 24 जून को लखनपुर चौक पर अग्निवीर  योजना के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा।

दिल्ली में विभिन्न मज़दूर, छात्र व जनसंगठन के नेतृत्व में दिल्ली के जंतर मंतर पर संयुक्त प्रदर्शन करेंगे।

जन संगठनों ने मांग की है कि सेना में 4 साल के ठेके पर भर्ती की अग्निपथ योजना वापस लो, सभी को सम्मानजनक स्थाई रोजगार दो, सरकारी संस्थानों को बेचना बंद करो, ठेका प्रथा पर रोक लगाओ, गिरफ्तार आंदोलनकारियों को रिहा करो, उन पर दर्ज मुकदमे वापस लो!

संयुक्त किसान मोर्चा का आह्वान

देशभर के लगभग 500 किसानों के साझा मंच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सेना में भर्ती की नई अग्निपथ योजना के खिलाफ युवाओं के राष्ट्रव्यापी विरोध को अपना समर्थन घोषित किया है। विरोध प्रदर्शन को शांतिपूर्ण बनाए रखने की अपील करते हुए मोर्चा ने इस योजना को जवान-विरोधी, किसान-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी बताया है।

इस योजना को देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताते हुए मोर्चा ने कहा कि यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और बेरोजगार युवाओं के सपनों के साथ खिलवाड़ है, बल्कि देश के किसान परिवारों के साथ भी धोखा है। इस देश का जवान वर्दीधारी किसान है। अधिकांश सैनिक किसान परिवार से हैं।

सेना की नौकरी लाखों किसान परिवारों के मान और आर्थिक संबल से जुड़ी है। यह देश के लिए शर्म का विषय है की “वन रैंक वन पेंशन” के वादे के साथ पूर्व सैनिकों की रैली से अपना विजय अभियान शुरू करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब “नो रैंक नो पेंशन” की इस योजना को लाद दिया है। सेना में नियमित भर्ती में भारी कटौती उन किसान पुत्रों के साथ धोखा है जिन्होंने बरसों से फौज में सेवा करने का सपना संजोया था।

यह संयोग नहीं है कि इस योजना में “ऑल इंडिया ऑल क्लास” के नियम से भर्ती करने पर उन सभी इलाकों से भर्ती में सबसे ज्यादा कटौती होगी जहां किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया गया था। किसान आंदोलन के हाथों अपनी पराजय से तिलमिलाई हुई इस सरकार का किसानों से बदला उतारने का एक और हथकंडा है।

सरकारी दमन व हठधर्मिता के बीच आंदोलन तेज

ज्ञात हो कि देश के कई हिस्सों में युवा इस जनविरोधी फिक्स्ड टर्म रक्षा भर्ती योजना का विरोध कर रहे हैं। इस आंदोलन का सबसे अधिक असर बिहार में दिख रहा है जहाँ कई ज़िलों में पिछले कई दिनों से इंटरनेट को बंद कर दिया गया।

सरकारी दमन और योजना लागू करने के प्रति मोदी सरकार की हठधर्मिता के बावजूद देशभर में विरोध की आवाज़ तेज होती जा रही है।

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