रुद्रपुर: वादाखिलाफी पर श्रमभवन में फिर बाल पंचायत, इन्टरार्क मज़दूरों के बच्चों ने दी चेतावनी

यदि एक सप्ताह में इन्टरार्क पंतनगर व किच्छा मजदूरों की समस्याओं का समाधान व गैरकानूनी कृत्यों पर रोक नहीं लगा तो 29 जून को पुनः श्रम भवन रुद्रपुर में बाल पंचायत होगी।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। कार्यबहाली, वेतन भुगतान, गैरक़ानूनी गतिविधियों को रोकने आदि माँगों के साथ पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज 22 जून को इन्टरार्क कंपनी सिडकुल पन्तनगर व किच्छा में कार्यरत मजदूरों के बच्चे सैंकड़ों की संख्या में महिलाओं, मजदूरों, किसानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं संग श्रम भवन रुद्रपुर में जोशोखरोश के साथ पुनः बाल पंचायत किया।

ज्ञात हो कि अपने मज़दूर पिताओं के हक़ के लिए बच्चे 1 जून को कुमाऊँ कमिश्नर, नैनीताल का घेराव करके ज्ञापन दिया था। उनके दिए वचन को पूरा कराने के लिए बीते 6 जून, 8 जून, 15 जून और आज 22 जून को श्रम भवन में बाल पंचायत कर एएलसी को ज्ञापन देकर सवेतन कार्यबहाली कराने की फिर माँग की।

बच्चों ने चेतावनी दी कि यदि एक सप्ताह के भीतर श्रम विभाग व जिला प्रशासन द्वारा मजदूरों की समस्याओं का समाधान करने और इन्टरार्क कंपनी किच्छा में चल रही गैरकानूनी कृत्यों पर रोक लगाने को निर्णायक कदम न उठाये गये तो 29 जून 2022 को पुनः श्रम भवन रुद्रपुर में बाल पंचायत की जायेगी और निर्णायक कदम उठाये जाएंगे। जिसकी समस्त जिम्मेदारी इन्टरार्क कंपनी प्रबन्धन, सहायक श्रमायुक्त और जिला प्रशासन की होगी।

बाल पंचायत को सम्बोधित करते हुए बच्चों ने कहा कि उत्तराखंड शासन द्वारा 30 मई को इंन्टरार्क कंपनी की तालाबन्दी को गैरकानूनी घोषित कर दिया है। 1 जून 2022 को उक्त के क्रम में कुमाऊँ कमिश्नर महोदय ने बच्चों को वचन दिया था कि दो दिन में सभी मजदूरों को 3 माह का पूरा वेतन भुगतान कराया जायेगा और कंपनी की तालाबन्दी खत्म कर सभी मजदूरों को काम पर बहाल करा दिया जायेगा।

कहा कि इसी तरह से सहायक श्रमायुक्त द्वारा 15 जून को बाल पंचायत के दौरान हम बच्चों को वचन दिया था कि 21 जून को कलैक्ट्रेट रुद्रपुर में जिलाधिकारी द्वारा कंपनी प्रबंधन को तलब किया गया है और 21 जून को सबको वेतन भुगतान करा दिया जायेगा। जिसकी खबर 16 जून को सभी अखबारों में प्रकाशित हुई थी।

किन्तु सहायक श्रमायुक्त और जिलाधिकारी द्वारा 21 जून को भी उक्त मजदूरों को वेतन न दिलाया गया। जिला प्रशासन द्वारा पीड़ित मजदूरों को वेतन दिलाने और कंपनी की तालाबन्दी खत्म कराने के स्थान पर हम छोटे -छोटे बच्चों संग वादाखिलाफी की जा रही है।

कुमाऊँ मण्डल के सबसे बड़े अधिकारी कुमाऊँ कमिश्नर द्वारा एवं ALC व जिलाधिकारी द्वारा हम बच्चों को दिये वचनों को भी पूरा न करने का प्रकरण छल कपट की नीति का ही परिचायक है। जिससे उत्तराखंड शासन व प्रशासन की साख को गंभीर क्षति पहुँचेगी और जनता का विश्वास प्रशासनिक अधिकारियों व शासन प्रशासन से उठ जायेगा। जिससे अराजकता उत्पन्न होगी।

यह उत्तराखंड राज्य व हमारे प्यारे भारत देश के लिए गंभीर स्थिति उत्पन्न करेगी। जिसके लिए श्रम विभाग और जिला प्रशासन ही मुख्य रूप से जिम्मेदार होंगे।

बताया कि कंपनी के किच्छा प्लांट में 36 मजदूरों को झूठा आरोप लगाकर विगत 3 माह के भीतर ही गैरकानूनी रूप से कंपनी के स्टेंडिंग ऑर्डर का उल्लंघन कर निलंबित कर दिया गया है। भारी इंजीनियरिंग उद्योग होने के बावजूद किच्छा प्लांट में अवैध रूप से करीब 700 कैजुअल मजदूरों को खतरनाक मशीनों व मुख्य उत्पादन गतिविधियों में नियोजित किया गया है जिससे आये दिन मजदूर विकलांग हो रहे हैं।

कहा कि 15 दिसंबर 2018 को हुए लिखित समझौते के बावजूद भी 28 बर्खास्त व 4 निलंबित मजदूरों की अब तक भी कार्यबहाली न की गई है। L.T.A. व बोनस भी काट दिया गया है। 4 साल से मजदूरों का वेतन भी न बढ़ाया गया है। किन्तु बड़े ही दुख व शर्म की बात है कि इसके बाद भी श्रम विभाग और जिला प्रशासन मौन है। इससे हम बच्चे आज दाने दाने को मुहताज हैं, हमारा स्कूल छूटने की नौबत आ गई है।

बाल पंचायत के कार्यक्रम का संचालन डॉली ने किया।

कार्यक्रम में इन्टरार्क मजदूर संगठन के अध्यक्ष दलजीत सिंह, कोषाध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार, महामंत्री सौरभ कुमार, इंकलाबी मजदूर केंद्र के अध्यक्ष कैलाश भट्ट, सुरेंद्र रावत, इन्टरार्क मजदूर संगठन किच्छा के महामंत्री पान मोहम्मद, लक्ष्मण सिंह, बंगाली एकता मंच के सुब्रत कुमार विश्वास, जोतशना साहू, ध्रुव, राखी, अभिनंदन, अभिषेक, उत्कर्ष, पूजा, कुमकुम, महिमा, प्रशांत, आयुष, सग्रेया, डौली, प्रतीक मिश्रा, परिवर्तनकामी छात्र संगठन के चंदन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के शिवदेव सिंह, भगवती (माइक्रोमैक्स) के दीपक सैनवाल, मजदूर सहयोग केंद्र के अध्यक्ष मुकुल, भारतीय किसान यूनियन के प्रभारी बलजिंदर सिंह मान, एरा श्रमिक संगठन के सुनील देवल, ऑटो लाइन एंप्लाइज यूनियन के महामंत्री प्रकाश मेहरा, बच्चे, महिलाएं मजदूर आदि भारी संख्या में मौजूद थे।

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