SGU के सम्मेलन में उठी आवाज़- घरेलू कामगारों के श्रम को ‘काम’ के रूप में मान्यता दो!

घरेलू महिला कामगारों ने कार्यस्थल पर शोषण, यूनियन बनाने, अब तक हासिल की गई जीत और आपस की एकता को और मजबूत बनाने की आवश्यकता के अनुभवों को भी सम्मेलन में साझा किया।

संग्रामी घरेलू-कामगार यूनियन (SGU) ने 16 जून 2022 को अंतर्राष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस पर अपना पहला क्षेत्रीय सम्मेलन, वसंत कुंज, नई दिल्ली में सफलतापूर्वक पूरा किया। घरेलू कामगारों के मुद्दों और मांगो पर चर्चा करते हुए अलग-अलग बस्तियों में विभिन्न आवासों पर एक महीने की क्षेत्रवार बैठकों के बाद यह सम्मेलन आयोजित किया गया था।

16 जून अंतर्राष्ट्रीय घरेलू कामगार दिवस है। इस अवसर पर एसजीयू द्वारा आयोजित सम्मेलन में विभिन्न मज़दूर, नारी व सामाजिक संगठनों के साथ बड़ी पैमाने पर स्थानीय घरेलू कामगारों ने भागीदारी की, अपनी एकता और यूनियन को मजबूत करके अपने हक के संघर्ष को बुलंद करने का संकल्प लिया।

सम्मेलन में दिल्ली के वसंत कुंज के आसपास की विभिन्न बस्तियों से आई घरेलू महिला कामगारों ने अपने काम की परिस्थितियों, हो रहे शोषण और हालत पर अपने अनुभव साझा किए। बताया कि कैसे कार्यस्थल पर उनकी कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है। मालिकों और पुलिस के गाली-गलौच और चोरी के बेबुनियादी इलज़ाम उन्हें सहना पड़ता है।

विभिन्न वक्ताओं ने घरेलू कामगारों के सवैतनिक श्रम को ‘काम’ के रूप में मान्यता देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। कहा कि शहरों में दिखने वाली ऊंची-ऊंची इमारतों और चमकते शीशे के कार्यालय दूर-दराज गावों और इलाकों व समाज में हाशिए से आई इन्ही कामगारों की मेहनत व श्रम से चमक रही हैं, वरना गंदगी से बजबजती नजर आएगी।

सभा की मांगो में ‘चोरी’ जैसे आरोपों पर एकतरफा पुलिस उत्पीड़न को समाप्त करना, प्रति माह 4 दिन का सवैतनिक अवकाश, व्यापक रोजगार आधारित सामाजिक कल्याण और कामकाजी महिलाओं के लिए पेंशन और क्रेच योजनाओं पर सरकारी खर्च जैसे मांग शामिल थी।

घरेलू कामगारों ने अपने-अपने क्षेत्रों से यूनियन बनाने, अब तक हासिल की गई जीत और आपस की एकता को और मजबूत बनाने की आवश्यकता के अनुभवों को भी इस सम्मेलन में रखा।

यह दिन आईएलओ कन्वेंशन के आह्वान पर कई देशों में घरेलू कामगारों के अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। हालांकि भारत भी इसका एक हस्ताक्षरकर्ता है, फिर भी सरकर ने उनके अधिकारों के लिए कोई कानून नहीं बनाया है, यहाँ तक कि नए लेबर कोड में भी इनको न तो कामगार माना गया है, न ही सामाजिक सुरक्षा के दायरे में इन्हें लाया गया है।

सम्मेलन में इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन, इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन-सर्वहारा, इंकलाबी मजदूर केंद्र, मजदूर सहयोग केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, श्रमजीवी नारी मंच, वर्कर्स यूनिटी, के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। युवा सांस्कृतिक कलाकारों ने क्रांतिकारी गीतों के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के अधूरे सपनों को लोगों के बीच रखा।

संग्रामी घरेलू-कामगार यूनियन (SGU) द्वारा महिलाओं की मुक्ति के संघर्ष को उन सामाजिक मानदंडों से आगे ले जाने का संकल्प लिया गया जो उनके श्रम और घर के बाहर की उनकी दासता के नए तंत्र को कम करके आंकते हैं।

SGU ने महिला मुक्ति के संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया, सामाजिक मानदंडों से जो महिलाओं के श्रम को कम मान्यता देती है और उभरते नए तंत्र से जो घर के बाहर भी उनके दासत्व को कायम कर रही है।

शक्तिशाली रेजिडेंट्स एसोसिएशनों, पुलिस अधिकारियों और विधायकों की सांठगांठ के खिलाफ आंदोलन जारी रखने का संकल्प लिया गया, जो घरेलू कामगारों की आवाज को दबाने के लिए मिलीभगत करते रहें हैं।

संग्रामी घरेलू-कामगार यूनियन (SGU) की तात्कालिक माँगें-

  • न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा!
  • अनिवार्य साप्ताहिक सवैतनिक अवकाश!
  • ट्रेड-यूनियन बनाने का अधिकार!
  • विनियमन और शिकायत निवारण के लिए श्रम न्यायाधिकरणों और त्रिपक्षीय प्रक्रियाओं की स्थापना करना!
  • काम से मनमानीपूर्ण बर्खास्तगी ना हो!
  • कोई अपराधीकरण नहीं, ना कोई भेदभाव और ना कोई यौन उत्पीड़न हो!
  • कामगारों के हक़ में विस्तृत कानून बनाया जाए!

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