राजस्थान: बिजली बिलों में मनमानी लूट और पुलिस दमन के खिलाफ विशाल जन आक्रोश सभा
भादरा की सड़क पर जन सैलाब देखकर प्रशासन की हठधर्मिता टूटी, प्रशासन ने वार्ता की और दो बिंदुओं पर समझौता हुआ। बाकि बिंदुओं पर आंदोलन जारी रखने का निर्णय हुआ।
भादरा, हनुमानगढ़ (राजस्थान)। पूरे राजस्थान में बिजली बिलों में मनमानी लूट के खिलाफ लगभग तीन साल से इलाके में जारी आंदोलन पर बीती 28 मई को हुए पुलिस दमन और 700 से ज्यादा मज़दूर किसानों के कनेक्शन काटे जाने के खिलाफ बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति हनुमानगढ़ द्वारा आज 14 जून को विशाल जन आक्रोश सभा का आयोजन किया गया।
पूर्व घोषित कार्यक्रम में इलाके के विभिन्न गांव के सेंकड़ों लोगों समेत कई राजनैतिक संगठनों ने एक साथ राजस्थान सरकार, बिजली विभाग, पुलिस और प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश व्यक्त किया।
कमरतोड़ बिजली दरों को कम करने, स्थाई शुल्क-फ्यूल चार्ज जैसे अनाप-शनाप शुल्क व कर जोड़कर बनाए जाने वाले मनमाने बिजली बिलों को कम करने, तेज़ चलने वाले मीटरों को बदलने, बिजली विभाग के निजीकरण पर रोक लगाने, कोरोना काल के बिजली बिल माफ करने तथा प्रत्येक परिवार के लिए हर माह 300 यूनिट निशुल्क बिजली दिए जाने जैसी जनता की जायज़ मांगों को तीन साल तक अनसुना करने के बाद, प्रशासन द्वारा आंदोलन को कुचलने की कोशिश से लोग खासे नाराज़ नज़र आए।
लोगों का कहना है कि बिजली के बिलों का अंबार लगना विभाग, सरकार और जनप्रतिनिधियों की ज़िद्द और हिटलरशाही का नतीजा है, इसका इलज़ाम आंदोलकर्ताओं पर लगा कर संघर्ष को बदनाम करने और उसके इतिहास को मिटाने की जो कोशिश की जा रही है, वो निंदनीय है।
लोगों का मानना है कि जाति, क्षेत्र, धर्म और पार्टीबाजी के परे, जनसरोकार के मुद्दों की राजनीति ही सही जनसंघर्ष की राजनीति है।
तीन साल से आंदोलन, पुलिस के दमन से आक्रोश
गौरतलब है कि बीते तीन साल से इलाके में सेंकड़ों उपभोक्ताओं ने बिजली के बिल देना इसलिए बंद कर दिया क्यूंकि उनका मानना है कि लोगों से जानबूझ कर गैरवाजिब बिल वसूले जा रहे हैं। जिस उपभोक्ता का विद्युत खर्च 200 रूप का होता है, उसे स्थाई शुल्क और अन्य कर जोड़कर 1000 रुपए का बिल थमा दिया जाता है।
ये सरासर बिजली कम्पनियों के फायदे के लिए जनता को लूटने की व्यवस्था है और कुछ नहीं।
लंबे समय से लोग सरकार को राजस्थान की जनता की आवाज़ सुनने के लिए मजबूर करने के लिए विभिन्न तरीकों से आंदोलन कर रहे हैं, वार्ता कर रहे हैं, ज्ञापन भी दे रहे हैं। लेकिन सरकार नीतिगत मामला बोल कर तीन साल से अनसुना कर रही है।
बीती 28 तारीख को आंदोलन का गढ़ माने जाने वाले नेठराणा गांव में एक दिन से भी कम समय के मौखिक नोटिस पर बिजली विभाग सेंकड़ों पुलिस वालों के साथ गांव में आया और लोगों के कनेक्शन काटने शुरू कर दिए। लोगों के शांतिपूर्ण विरोध में जान बूझकर विभाग ने पुलिस दमन के सहारे बिखराव पैदा किया और पाबंदियों, गिरफ्तारियों और झूठे मुकदमों से आंदोलनकर्ताओं को डराने और आंदोलन को खत्म करने की कोशिश की।
इस से नेठराणा गांव ही नहीं, इलाके की सारी जनता में खासा आक्रोश फ़ैल गया और आज उसी आक्रोश का प्रदर्शन भादरा में विशाल रैली और जनसभा करके किया गया। रैली और सभा में नेठराना, खचवाना, भरवाना, गोगामेड़ी, मलखेडा, रतनपुरा, रामगढ़, बरवाली, जनाणा, परलीका, साहूवाला, सरदारगडीया, मूंसरी, गाधी बड़ी, चिड़िया गांधी, भोजासर, बीड भादरा गाँव से लोग आए।
सभा से पहले भादरा शहर में विभिन्न गांव से आई जनता जोरदार नारेबाजी के साथ रैली निकाल कर एसडीएम कार्यालय पहुंची। कार्यालय पर आयोजित सभा में मंच से ऐलान किया गया कि बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति जनता के अधिकारों का मंच है।
एसडीएम ने सभा स्थल पर लिया ज्ञापन, हुई वार्ता
एसडीएम और तहसीलदार ने खुद सभा में आ कर अंदोलकर्ताओं के हाथ से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन लिया। इतने दिनों से जो प्रशासन किसी वार्ता के लिए तैयार नहीं थी, आज भादरा के सड़क पर जन सैलाब देखकर वार्ता के लिए तैयार हो गया। वार्ता में प्रशासन और बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ बिजली उपभोक्ता संघर्ष समिति 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भाग लिया।
दो बिंदुओं पर हुआ समझौता
दो चरण वार्ता चलने के बाद दो बिंदुओं पर समिति और प्रशासन के बीच समझौता हुआ-
- अभी तक पिछले तीन सालों में जितनी भी पेनल्टी और ब्याज लगे हैं, उन्हें माफ करने पर समझौता बना। स्थानीय प्रशासन जोधपुर डिस्कॉम को इस बाबत प्राथना पत्र लिखेगा।
- आगामी शुक्रवार को गोगामेड़ी में बिजली विभाग और संघर्ष समिति के बीच एक वार्ता तय हुई है जिसमें इस बात पर चर्चा विचार होगा कि बकाया बिल लोग कितनी किश्तों में कितने समय में दे पाएंगे।
सभा में हनुमान मास्टरजी (लोक राज संगठन), बजरंग सारण, नरेंद्र सालवी (क्रांतिकारी नौजवान सभा, राजस्थान), ओम जी भरवाना, गंगा, ममता, राजेन्द्र कुमार, बसंत बेनीवाल, संजीव बेनीवाल, ऋतु, रामनिवास (मज़दूर सहयोग केंद्र, गुड़गांव), राजेन्द्र आसन्न, मुकेश चोपड़ा (भीम आर्मी), कार्तिक डूडी, के डी चौधरी, डॉ सी पी चौधरी (पूर्व आईएएस), कृष्ण जी रामगढ़, भवानी रामजी, रेवत राम, साहिल, राम स्वरूप स्वामी, मुकेश सेवदा, ओम जी साहू, जगदीश ढाका, गुलाम हुसैन, जगदीश पूनिया मलखेड़ा, धन्ना राम, विक्रम सिंह गोगामेड़ी, ओम सांगर रामगढ़, सुभाष नेठराना, दीपचंद (जिला परिषद सदस्य), रोहताश, मोहन जी कस्बा इत्यादि ने अपने विचार व्यक्त किए।