हाईकोर्ट में पत्र याचिका: अवैध तरीके से ध्वस्त हुआ है जावेद की पत्नी परवीन फ़ातिमा का मकान

विरोध में कई हलकों से उठी आवाज़, जेएनयू में प्रदर्शन। गहरा सवाल- किस कानून से चला बुलडोज़र? प्रशासन ने इस मकान की मिल्कियत भी जानने की कोशिश नहीं की।

रविवार दोपहर को प्रयागराज के करेली इलाक़े में अधिकारियों ने वेलफ़ेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता और जेएनयू छात्रा और एक्टिविस्ट आफ़रीन फ़ातिमा के पिता मोहम्मद जावेद के घर पर बुलडोज़र चलाकर ध्वस्त कर दिया। दशकों पुराना उनका घर मलबे का ढेर बना दिया गया क्योंकि पुलिस का मानना है कि वह प्रयागराज में 10 जून को विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के ‘मास्टरमाइंड’ थे।

आफरीन फातिमा के पूरे परिवार की गिरफ्तारी के एक दिन बाद प्रशासन ने उनके प्रयागराज स्थित घर पर बुलडोजर चला दिया। पुलिस की भारी तैनाती के बीच दोपहर में बुलडोजर शहर के करेली स्थित जावेद मोहम्मद की पत्नी के आवास पर पहुंचे।

बुलडोजर से आगे और पीछे के गेट को गिराने के बाद घर के अंदर रखा निजी सामान निकाल कर फातिमा के आवास के बगल में एक खाली भूखंड पर फेंक दिया गया। 3 जेसीबी ने 2 मंजिला इमारत के ध्वस्तीकरण का काम 5 घंटे तक चली कार्रवाई के बाद शर्मनाक और गैरकानूनी तरीके से निपटा दिया।

प्रशासन ने इस कार्रवाई में न तो तय प्रक्रिया का पालन किया और न ही दस्तावेजों के जरिए इस मकान की मिल्कियत यानी स्वामित्व जानने की कोशिश की।

आफरीन फातिमा के पिता जावेद मोहम्मद वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता हैं और सीएए विरोधी आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा रहे हैं। हाल के दिनों में हुई हिंसा के सिलसिले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने जिन 10 दस लोगों को मुख्य साजिशकर्ता करार दिया है उनमें उनका नाम भी है।

फातिमा को उनकी बहन और मां के साथ शनिवार रात हिरासत में लिया गया था। उन्हें अपने वकील से बात करने की भी इजाजत नहीं दी जा रही थी। काफी कोशिशों और बहस के बाद एक्टिविस्ट सीमा आजाद और एक महिला वकील को उनसे मिलने की थाने में इजाजत दी गई।

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सजीशाना और गैरकानूनी है यह बुलडोजर कार्यवाही

एक्टिविस्ट सीमा आजाद ने फेसबुक पर एक पोस्ट में लिखा है कि जिस घर को जावेद मोहम्मद का बताकर बुलडोजर चलाया गया है वह दरअसल जावेद की पत्नी का है और उन्हीं के नाम पर है।

उन्होंने फेसुबक पोस्ट में लिखा है कि, “प्रशासन ने बैक डेट का नोटिस जावेद मोहम्मद के नाम पर भेजा है, जबकि यह घर तो उनकी पत्नी के नाम पर है और जिस जमीन पर बना है वह उनकी पैतृक संपत्ति है। जावेद का इस घर पर कोई कानूनी अधिकार नहीं है। नोटिस में कहा गया है कि इससे पहले 10 मई को एक नोटिस भेजा गया था और 24 मई को सुनवाई के बाद 25 मई को आदेश पारित किया गया है। लेकिन इस पुराने नोटिस और सुनवाई आदि की कोई डिटेल नहीं है, न ही कोई सर्कुलर नंबर या आदेश संख्या का जिक्र इसमें है।”

“इस पूरी प्रक्रिया के बारे में जावेद के परिवार को कोई खबर नहीं है। असलियत यह है कि नोटिस संपत्ति के असली मालिक के नाम तक पर नहीं है, इससे पूरा मामला संदिग्ध ही नजर आ रही है।”

“नोटिस पर 10 जून की तारीख है लेकिन इसे 11 जून की रात (शनिवार) में उनके दरवाजे पर चिपकाया गया। हालांकि 10 जून से ही लगातार पुलिस वाले उनके घर के आसपास मौजूद थे। इस सबसे जाहिर है कि नोटिस को जल्दबाजी में तैयार कर सप्ताहांत की रात में लगाया गया ताकि परिवार को किसी भी तरह के कानून संरक्षण का मौका न मिले क्योंकि मामला कोर्ट में जाता तो सबकुछ सामने आ जाता। इन सारे तथ्यों से साफ है कि पूरी कार्रवाई किसी खास नीयत से की गई है।”

रविवार को बुलडोजर कार्रवाई से पहले लगाए गए नोटिस में लिखा था कि संडे सुबह 11 बजे तक घर खाली कर दिया जाए। साथ ही पूरे इलाके में भारी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था।

प्रयागराज: 3 जेसीबी, 2 मंजिला इमारत...और 5 घंटे में जमींदोज हुआ मास्टरमाइंड  जावेद का घर - prayagraj violence bulldozer action on javed mohammed house  demolised ntc - AajTak

किस कानून से चला बुलडोजर?

जावेद पर आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं। जावेद की क्या भूमिका थी यह भी नहीं बताया गया है। ऐसे में एक बड़ा सवाल उठता है कि जब दोषियों के भी घर पर बुलडोज़र चलाने का कोई क़ानून नहीं है तो उसके घर को कैसे नष्ट किया जा सकता है जो दोषी है या नहीं यह पता ही नहीं है?

गौरतलब है कि हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने अधिकारियों से कहा था कि ऐसी कार्रवाई करें “उपद्रवियों पर कार्रवाई ऐसी हो, जो असामाजिक सोच रखने वाले सभी तत्वों के लिए एक उदाहरण बने और माहौल बिगाड़ने के बारे में कोई सोच भी न सके।”

अधिवक्ता मंच ने हाईकोर्ट में भेजी पत्र याचिका

योगी प्रशासन द्वारा हुए गैरकानूनी बुलडोजर ध्वस्तीकरण के ख़िलाफ़ इंसाफ के हक़ में विरोध तेज हो गया है।

प्रयागराज के अधिवक्ता मंच जुड़े हाईकोर्ट के छह अधिवक्ताओं केके राय, मोहम्मद सईद सिद्दीकी, राजवेन्द्र सिंह, प्रबल प्रताप, नजमुस साकिब ख़ान और रविंद्र सिंह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस को पत्र याचिका भेजी है। इसमें आरोप लगाया गया है कि अवैध तरीके से जावेद मोहम्मद की पत्नी परवीन फ़ातिमा का मकान ध्वस्त किया गया है। यह भी कहा गया है कि यह मकान परवीन फ़ातिमा को उनके पिता से शादी से पूर्व गिफ्ट के रूप में मिला था।

आफ़रीन ने राष्ट्रीय महिला आयोग से की शिकायत

जावेद मोहम्मद की बेटी आफ़रीन फ़ातिमा ने राष्ट्रीय महिला आयोग को एक ख़त लिखते हुए कहा कि वह अपने परिवार और अपने घर की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं।

पत्र में उन्होंने बताया, “10 जून को 8 बजे पुलिस मेरे पिता को ले गई, उन्हें कहाँ ले जा रहे थे हमें पता नहीं था, उसके बाद रात 12 बजे मेरी डायबिटिक माँ को और छोटी बहन को भी थाने ले गए। देर रात 2 बजे पुलिस फिर से घर आई और हमें भी थाने चलने को कहा जब हमने मना किया तो हमसे घर ख़ाली करके ताला लगा देने को कहा गया।”

परिवार को नहीं मिला कोई नोटिस

आफरीन फातिमा के भाई मोहम्मद उमाम जावेद ने बताया था कि पुलिसकर्मियों का एक दल उनके घर पहुंचा था और परिवार को ‘बुलडोजर से कार्रवाई’ करने की धमकी दी थी।

उन्होंने बताया, ‘आज (11 जून) रात फिर अलग अधिकारियों का एक दल हमारे पास आया था। उन्होंने हमें प्रताड़ित किया और तुरंत घर छोड़ने की चेतावनी दी थी। हमें बताया गया है कि वे देर रात 2 बजे हमारा घर खाली करने के लिए वापस आएंगे।’

दिए गए नोटिस में परिवार के घर को अवैध निर्माण बताया गया है और उसमें लिखा है, ‘मामले में परिवार को 10 मई को एक नोटिस भेजा गया था और उस पर 24 मई को सुनवाई होनी थी, लेकिन परिवार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।’

मोहम्मद उमाम ने नोटिस को पूरी तरह से निराधार बताते हुए कहा, ‘हमें कुछ भी नहीं मिला और हमारे पास पांच मंजिल या उससे ऊपर के निर्माण के बारे मे कोई जानकारी नहीं थी।’

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#StandWithAfreenFatima

रवीश कुमार ने #StandWithAfreenFatima के साथ ट्वीट किया कि मज़लूमों के लिए बेबाक़ी से लड़ाई लड़ने वाली आफरीन फातिमा के पिता, माता और बहन को आधी रात में पुलिस पहले गिरफ्तार कर ले जाती है और फिर तानाशाह सरकार के हुकुम से उनका घर ढा दिया जाता है। आफरीन के परिवार पर जो पहाड़ टूट रहे है वो कोई अपने घर, जमीन-जायदाद के लिए लड़ाई लड़ने से नहीं बल्कि समाज में मजलुमो के लिए बेबाक़ी से लड़ने की वजह से है।

आज आफ़रीन के परिवार के साथ खड़े होने और इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ने की सख्त ज़रूरत है।

जेएनयू में हुआ विरोध प्रदर्शन

जावेद मोहम्मद के घर पर रविवार को बुलडोजर चलने की शर्मनाक कार्रवाई के बाद देर शाम जावेद की बेटी जेएनयू छात्रा आफरीन फातिमा के समर्थन और योगी सरकार की बुलडोजर नीति के खिलाफ जेएनयू में प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शन जेएनयू छात्र संघ की ओर से किया गया।

आफरीन ने सीएए विरोधी आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। आफरीन फातिमा ने कहा कि वह अपने पिता, मां और बहन की सुरक्षा के लिए बेहद चिंतित हैं। फातिमा ने बताया कि आधी रात को महिलाओं और छोटे बच्चों को जबरदस्ती घरों से निकाला जा रहा था।

भाजपा नेताओं के आपत्तिजनक टिप्पणी का विरोध

उल्लेखनीय है कि भाजपा नेताओं नूपुर शर्मा और नवील जिंदल द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के विरोध में ​बीते 10 जून को इलाहाबाद में हुए प्रदर्शन के बाद प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस ने 60 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है।

वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता और सीएए विरोधी प्रदर्शनों में एक प्रमुख चेहरा रहे जावेद मोहम्मद को यूपी पुलिस ने 10 अन्य लोगों के साथ मुख्य सजिशकर्ता बनाया है। बीते 10 जून को उन्हें उनके करेली स्थित आवास से हिरासत में ले लिया गया था।

इसके बाद 11 जून को उनके आवास को गिराने का नोटिस परिवार को सौंपा गया था, जिसके बाद पुलिस कथित तौर पर प्रयास कर रही है कि परिवार अपना घर छोड़ दे, क्योंकि इस समय परिवार की महिला सदस्य घर में रह रही हैं।

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