श्रमभवन पर मज़दूरों का हल्ला बोल; श्रम विभाग को मालिकों की मनमर्जी का कार्यालय मत बनाओ!

स्पष्ट आदेशों के बावजूद भगवती-माइक्रोमैक्स व इन्टरार्क मज़दूरों को न्याय न मिलने पर मोर्चा की चेतावनी- यदि मनमानी चलती रही तो मज़दूर किसी बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। श्रमिक संयुक्त मोर्चा उधम सिंह नगर के बैनर तले आज 9 जून को श्रम भवन रूद्रपुर मैं हल्ला बोल कार्यक्रम हुआ और सहायक श्रम आयुक्त को ज्ञापन सौंपा गया।

यूनियन नेताओं ने दो टूक कहा कि जो श्रम कार्यालय श्रमिक समस्याओं के निस्तारण का होना चाहिए वह नियोक्ताओं के हित साधन का केंद्र बन गया है। श्रम अधिकारी तरह-तरह से मुद्दों को उलझाने, लटकाने, विलंबित करने या समाधान की जगह कोर्ट भेजने तक सीमित रह गए हैं।

इस दौरान हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद भगवती-माइक्रोमैक्स व उत्तराखंड शासन के स्पष्ट आदेश के बावजूद इन्टरार्क मज़दूरों की सवेतन कार्यबहाली न करने, कारोलिया लाइटिंग के समझौते का अनुपालन न करवाने, तमाम कंपनियों के माँगपत्रों व श्रमिक समस्याओं का समाधान न निकालने आदि सवालों को लेकर मोर्चा द्वारा श्रम अधिकारियों से जवाब-तलब किया गया।

दिनभर चली सभा में वक्ताओं ने मोदी सरकार द्वारा लंबे संघर्षों से हासिल श्रम कानूनों को खत्म करके चार लेबर कोड लाकर मज़दूरों को अधिकार विहीन व पंगु बनने का हथियार बताया। तेज होते निजीकरण, बेलगाम महँगाई व बेरोजगारी की चर्चा की। संघ-भाजपा द्वारा मज़दूरों को उलझाने के लिए धर्मोनमाद की चालों को समझने और अपने हक के लिए मज़दूर वर्ग की व्यापक एकता बनाकर संघर्ष तेज करने का आह्वान किया।

लोकेश पाठक ने बताया कि भगवती-माइक्रोमैक्स में गैरकानूनी छँटनी मामले में शुरू से ही श्रम विभाग का रवैया श्रमिकों के हित के विपरीत रहा है। माननीय औद्योगिक न्यायाधिकरण से 303 श्रमिकों की छँटनी अवैध घोषित होने के बावजूद पिछले ढाई साल से श्रम विभाग कार्यबहाली की जगह उलझाता रहा।

अब माननीय उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद उसके अनुपालन में समस्त श्रमिकों की न तो सवेतन कार्यबहाली कराई जा रही है, न ही देयकों की आरसी काटी जा रही है। 47 श्रमिकों के गैरकानूनी ले-ऑफ का मुद्दा भी लगातार लटका हुआ है। माँग किया कि न्यायालय के आदेशों के परिपालन में तत्काल समस्त श्रमिकों की सवेतन कार्यबहाली कराने के साथ उनके बकाया वेतन की लंबित आरसी काटी जाए।

शिव नारायण मिश्र ने कहा कि इंटरार्क सिडकुल पन्तनगर की तालाबन्दी को उत्तराखंड शासन द्वारा अविधिक घोषित कर दिया गया है। इसलिए तालाबन्दी के शिकार समस्त मजदूरों के विगत 3 माह के वेतन की वसूली करने को तत्काल आर सी काटकर वेतन भुगतान सुनिश्चित किया जाये माँगपत्रों पर तत्काल सुनवाई हो, LTA व बोनस कटौती पर रोक लगा सम्पूर्ण बकाया राशि एरियर समेत भुगतान किया जाये, 15 दिसंबर 2018 के समझौते को लागू कर समस्त 26 बर्खास्त मजदूरों की सवैतनिक कार्यबहाली की जाये, यूनियन को मान्यता दी जाए।

उन्होंने कहा कि इंटरार्क किच्छा में प्रमाणित स्थाई आदेशों के उल्लंघन पर तत्काल रोक लगाकर कैजुअल मजदूरों की गैरकानूनी भर्ती पर रोक लगे और दो माह के भीतर निलंबित सभी 36 मजदूरों की कार्यबहाली की जाये, माँगपत्रों पर तत्काल सुनवाई की जाये, 15 दिसंबर 2018 के समझौते को लागू कर 2 बर्खास्त एवं 4 निलंबित मजदूरों की सवैतनिक कार्यबहाली कराई जाये, बोनस और LTA कटौती पर रोक लगाकर सम्पूर्ण बकाया राशि का एरियर समेत भुगतान कराया जाये, यूनियन को मान्यता दी जाये।

अशोक ने कहा कि करोलिया लाइटिंग सिडकुल पंतनगर में 5 मई, 2022 को त्रिपक्षीय समझौता कराने व 15 दिनों में समझौते के अनुपालन का समझौता होने के बावजूद 1 महीने से ज्यादा का समय बीत गया लेकिन अधिकारियों द्वारा उसका अनुपालन नहीं कराया जा रहा है।

वक्ताओं ने कहा कि ब्रिटानिया, यजाकी, डेल्टा, पारले, मंत्री मेटल्स सहित तमाम कंपनियों के मांग पत्र लंबित है, उनका सर्वमान्य समझौता कराने की जगह श्रम अधिकारियों द्वारा प्रायः मामलों को श्रम न्यायालय में भेजने की जल्दीबाजी लगी रहती है, जोकि क्षोभ का विषय है।

वक्ताओं ने बताया कि एएलसी द्वारा नियम-4 का गलत हवाला देकर धरना-प्रदर्शन पाबंद करने की कोशिश तो की जाती है, लेकिन उसी नियम के तहत प्रबंधन पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। मोर्चा द्वारा पूर्व में श्रमिक समस्याओं के संबंध में विभिन्न ज्ञापन दिए गए, लेकिन आज तक न तो उनका निस्तारण हुआ, न ही उनकी प्रगति से मोर्चा को अवगत कराया गया।

नेताओं ने क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि तमाम कानून सम्मत बातें श्रमिक प्रतिनिधियों द्वारा उठाए जाने पर श्रम अधिकारियों द्वारा न्याय हित में श्रमिकों की बात की पुष्टि करने की जगह श्रमिकों से ही प्रावधान माँगे जा रहे हैं। श्रम अधिकारी श्रमिकों पर तरह-तरह से बेमतलब दबाव बनाते हैं।

यूनियन नेताओं ने आरोप लगाया कि यूनियनों के चुनाव के बाद उनकी जांच परीक्षण में अतिशय विलंब लगाया जाता है। संरक्षित कर्मकार के प्रमाण पत्र देने में विलंब किया जाता है। और इस तरीके से श्रमिक हितों की अनदेखी करके न्याय से वंचित किया जा रहा है।

वक्ताओं ने कहा कि सिडकुल की कंपनियों में गैरकानूनी ठेका प्रथा अपने चरम पर है। फैक्ट्रियों में असुरक्षित परिस्थितियों में काम के कारण आए दिन दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं और श्रमिकों के अंग-भंग होने से लेकर जान जाने की बात सामान्य बन चुकी है। लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।

सहायक श्रमआयुक्त को दिए गए ज्ञापन के माध्यम से मोर्चा ने कहा कि श्रम विभाग श्रमिकों का कार्यालय ना होकर मालिकों की मनमर्जी का कार्यालय बन गया है। चेतावनी दी कि यदि श्रमिक समस्याओं का जल्द समाधान नहीं हुआ तो सिडकुल के मज़दूर किसी बड़े आंदोलन की दिशा में जाने को मजबूर होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी श्रम अधिकारियों की होगी।

सभा को श्रमिक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष दिनेश तिवारी, इंकलाबी मजदूर केंद्र से कैलाश भट्ट, मजदूर सहयोग केंद्र से मुकुल, करोलिया लाइटिंग इम्पलाइज यूनियन से हरेन्द्र सिंह, इंटरार्क मजदूर संगठन से दलजीत सिंह, भगवती श्रमिक संगठन से दीपक सनवाल, एडविक कर्मचारी संगठन से हरपाल, मंत्री मेटल्स वर्कर्स यूनियन से निरंजन लाल, नेस्ले कर्मचारी संगठन से चन्द्र मोहन लखेड़ा, राने मद्रास इम्प्लाइज यूनियन से दिनेश चन्द्र तिवारी, राकेट रिद्धि सिद्धि कर्मचारी संगठन से धीरज जोशी, ब्रिटानिया श्रमिक संघ से आनंद तिवारी, श्री राम होंडा श्रमिक संगठन से अमर सिंह, इंटरार्क मजदूर संगठन किच्छा से पान मोहमद, महिन्द्रा कर्मकार यूनियन से सचिन सिंह, महिन्द्रा सीआईई श्रमिक संगठन से दीपक, थाई सुमित नील ऑटो कामगार संगठन से गया प्रसाद, ऑटो लाईन यूनियन से विश्वजीत तिवारी, ऐरा श्रमिक संगठन से सुनील कुमार, हैंकल मजदूर संघ से कमल पाण्डे, समाजसेवी सुब्रत विश्वास आदि ने संबोधित किया। संचालन मोर्चा महासचिव चंद्र मोहन ने संबोधित किया।

About Post Author