पश्चिम बंगाल: चाय बागान श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि संबंधी वार्ता फिर बेनतीजा

उत्तर बंगाल के साढ़े चार लाख चाय बागान श्रमिकों का भविष्य दांव पर है। बैठकें महज औपचारिकता बन गई हैं। वर्ष 2015 से अब तक 25 से अधिक बैठकें बेनतीजा हो चुकी हैं।

सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल)। चाय बागानों के श्रमिकों की न्यूनतम दैनिक मजदूरी में वृद्धि तय करने को लेकर लगातार वार्ताओं की औपचारिकताएं हो रही हैं। गुरुवार को एक बार फिर यहां श्रमिक भवन में दिन के दो बजे से लेकर रात आठ बजे तक त्रिपक्षीय बैठक हुई जो बेनतीजा रही।

उल्लेखनीय है कि न्यूनतम मजदूरी तय करने के लिए वर्ष 2015 से अब तक 25 से अधिक बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन मालिकों की हठधर्मिता के कारण बेनतीजा रही हैं। अंतत: बैठक में यही निर्णय हुआ कि आगामी 10 दिनों के अंदर फिर एक त्रिपक्षीय वार्ता होगी।

गत दो अप्रैल को हुई त्रिपक्षीय बैठक में दैनिक मजदूरी को बढ़ा कर 217 रुपये किए जाने को राजी रहे चाय बागान मालिकान इस बार महज तीन रुपए बढ़ते हुए 220 रुपये देने की पेशकश की। मगर, श्रमिक संगठनों के ज्वाइंट फोरम ने इसे मानने से इंकार कर दिया। श्रमिक प्रतिनिधियों ने कहा कि हम लोग पिछली बैठक वाली बात पर ही अडिग है। इस बैठक में हम बस इसलिए सम्मिलित हुए कि देखें कि प्रगति कहां तक हुई।

मालिकों के अड़ियलपन से कोई खास प्रगति न होने से यह बैठक भी बेनतीजा रहा।

गुरुवार की बैठक में शासन-प्रशासन की ओर से पश्चिम बंगाल सरकार के श्रम विभाग के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) सचिव जावेद अख्तर, अतिरिक्त श्रम आयुक्त मोहम्मद रिजवान, सलाहकार पशुपति घोष व अन्य विभागीय अधिकारी, चाय बागान मालिकों के कई यूनियनों के प्रतिनिधि एवं चाय बागान श्रमिकों के 26 यूनियनों के ज्वाइंट फोरम के प्रतिनिधि शामिल हुए।

ज्ञात हो कि फरवरी महीने में जलदापाड़ा में हुई छह सदस्यीय सलाहकार समिति की बैठक में न्यूनतम मजदूरी को 290 से 295 रुपये तक किए जाने प्रस्ताव आया था। मगर, उसके बाद दो अप्रैल की त्रिपक्षीय बैठक में चाय बागान मालिकान 217 रुपये से ज्यादा देने पर राजी नहीं हुए। तब राज्य के श्रम मंत्री बेचा राम मन्ना ने प्रस्ताव दिया कि न 217 और न 290-95, इसे 250 रुपये तय करें। पर, बागान मालिकान वह नहीं माने।

उल्लेखनीय है कि, चाय बागान श्रमिकों की वर्तमान न्यूनतम दैनिक मजदूरी मात्र 202 रुपये है। श्रमिक यूनियनों की ओर से वर्तमान समय, महंगाई आदि का हवाला देते हुए इसको बढ़ा कर कम से कम 660 रुपये किए जाने का प्रस्ताव है। इसे चाय बागान मालिकान पक्ष ने पूरी तरह खारिज कर दिया। वे पहले 217 और अब 220 रुपये तक पहुंचे हैं।

ज्वाइंट फोरम के संयोजक जियाउल आलम पहले ही कह चुके हैं कि चाय बागान मालिकों का रवैया एकदम सही नहीं है। वे अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं। उत्तर बंगाल के लगभग साढ़े चार लाख चाय बागान श्रमिकों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है। मालिकों की मनमानी के चलते ही यहां के लगभग 40 प्रतिशत चाय बागान श्रमिक अपना यह परंपरागत काम छोड़ अन्य राज्यों में जा कर मजदूरी-बेगार करने को मजबूर हो गए हैं। शासन-प्रशासन भी कुछ प्रभावी कदम नहीं उठा रहा है। अब हम लोगों के पास आंदोलन के अलावा और कोई चारा नजर नहीं आ रहा है।

वहीं, चाय बागान मालिकान की दलील है कि न्यूनतम दैनिक मजदूरी को 202 से बढ़ा कर एकबारगी 660 रुपये करने का प्रस्ताव मान पाना मालिकान के लिए संभव नहीं है।

अतिरिक्त श्रम आयुक्त मोहम्मद रिजवान ने कहा कि यह बैठक बहुत फलदायी रही। न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि मुद्दे पर बहुत हद तक प्रगति हुई है। मालिक पक्ष के प्रतिनिधियों ने अन्य मालिकों से बातचीत कर सहमति हेतु और 10 दिन का समय मांगा। इसलिए 10 दिनों के बाद फिर एक त्रिपक्षीय बैठक होगी।

इधर लगातार वार्ताओं की औपचारिकताएं हो रही हैं, उधर बढ़ती महँगाई के दौर में मज़दूरों के हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। इससे मज़दूरों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

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