कारोलिया यूनियन अध्यक्ष-मंत्री निलंबित; अनशनकारी मज़दूरों की अस्पताल में स्थिति नाज़ुक

11 साथियों की कार्यबहाली के लिए बेमियादी अनशन के 24 दिन होने और प्लांट में टूल डाउन के बावजूद प्रशासन बेसुध है, उधर प्रबंधन ने यूनियन अध्यक्ष व मंत्री को भी निलंबित कर दिया।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। करोलिया लाइटिंग प्राइवेट लिमिटेड सिड़कुल, पंतनगर के प्रबंधन ने यूनियन बनाने से प्रतिशोधवश 11 श्रमिकों को अवैध रूप से बर्खास्त कर दिया था। इस शोषण व दमन के खिलाफ गांधी पार्क, रुद्रपुर में 29 दिनों से लगातार धरना-प्रदर्शन व 24 दिनों से अनिश्चितकालीन अनशन जारी है।

उधर इस अन्याय के खिलाफ प्लांट में 15 अप्रैल से मज़दूरों का 3 घंटे का टूल डाउन आंदोलन जारी है। इस बीच प्रबंधन ने यूनियन अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह और मंत्री अशोक सिंह मेहता को आंदोलन के लिए 28 अप्रैल से निलंबित कर दिया है।

यूनियन बनाने से दमन झेलते मज़दूर

दरअसल, प्लांट में करोलिया लाइटिंग एंप्लाइज यूनियन पंजीकृत होने के बाद प्रबंधन द्वारा द्वेष भावना से श्रमिकों/यूनियन पदाधिकारियों का उत्पीड़न, निलंबन, निष्कासन आदि लगातार जारी है। मज़दूर दो साल से निरंतर संघर्षरत हैं।

प्रबंधन ने कोविड-19 जांच का निवेदन करने पर पिछले साल यूनियन उपाध्यक्ष सुनील कुमार यादव को फर्जी आरोप लगाकर निलंबित और फिर बर्खास्त कर दिया था।

इसी आरोप में 23 दिसंबर को प्रबंधन ने 10 अन्य मजदूरों- मदन सिंह, विनोद भट्ट, शैलेश कुमार, नीरज कुमार दुबे, हरीश भंडारी, वीरेन्द्र सिंह, देव सिंह, दिनेश चन्द्र, मिथिलेश यादव, सौरभ कुमार को भी गैरकानूनी रूप से बर्खास्त कर दिया।

अब प्रबंधन ने यूनियन अध्यक्ष व मंत्री को निलंबित किया है। उधर प्रबंधन यूनियन के मांग पत्र को भी दरकिनार कर दिया। मामला सहायक श्रम आयुक्त के समक्ष लंबित है।

यह उल्लेखनीय है कि कई पदाधिकारी संरक्षित कर्मकार हैं और माँगपत्र पर सहायक श्रम आयुक्त के समक्ष आईआर कार्यवाही जारी है। इसके बावजूद बर्खास्त करने, निलंबित करने, यहाँ तक कि आरोप पत्र देने से पहले प्रबंधन ने श्रम अधिकारियों से अनुमति नहीं लिया है, जोकि श्रम कानून का खुला उल्लंघन है।

यह भी ज्ञात हो कि कंपनी में महज 33 स्थाई श्रमिक हैं, जिनमें 13 श्रमिक शोषण का शिकार होकर बाहर हो गए हैं। श्रम अधिकारियों व प्रशासन की नाक के नीचे पूरा प्लांट अवैध ठेका प्रथा में चल रहा है। और प्रबंधन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।

अनशनकारियों की हालत नाजुक; प्रशासन मूक दर्शक

इस बीच अस्पताल में भर्ती अनशनकारी मज़दूरों की हालत लगातार खरब होती जा रही है। लेकिन निष्ठुर प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। उलटे एएलसी प्रबंधन की भाषा बोल रहे हैं, जबकि पुलिस व प्रशासन मज़दूरों के ही दमन पर उतारू है।

बता दें कि आज शनिवार को देव सिंह का चौबीसवाँ दिन, शैलेश का बीसवाँ दिन, वीरेन्द्र सिंह का चौदहवाँ दिन, मिथिलेश का तेरहवाँ दिन और धरना स्थल पर हरीश सिंह भंडारी का तीसरे दिन अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल जारी है।

मज़दूर न्याय मिलने तक हौसले के साथ संघर्ष पर अडिग हैं।

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