दमन के शिकार जेएनएस मज़दूरों की हुई रिहाई; मज़दूरों का बहादुराना संघर्ष जिंदाबाद!

मंगलवार को संघर्षरत जेएनएस महिला-पुरुष मज़दूरों की दमन के साथ गिरफ़्तारी हुई थी। जन दबाव में देर रात सभी महिलाओं सहित ज्यादातर मज़दूर रिहा हो गए थे, जबकि 7 साथी आज रिहा हुए।

गुड़गांव। बीते मंगलवार को आईएमटी मानेसर स्थित जेएनएस इंस्ट्रूमेंट्स के संघर्षरत महिला-पुरुष मज़दूरों के दमन और गिरफ़्तारी के बाद आज बुधवार को बेल बॉन्ड पर बाकी 7 साथियों (4 मजदूरों और 3 सामाजिक कार्यकर्ताओं) की रिहाई हो गई।

इससे पूर्व बीती रात मारुति और बेलसोनिक यूनियन और तमाम मज़दूरों व जनवादी संगठनों के दबाव में सभी महिलाओं सहित ज्यादातर साथी रिहा कर दिए गए थे।

दरअसल मंगलवार को जेएनएस इंस्ट्रूमेंट कंपनी के लंबे समय से संघर्षरत मजदूरों पर पुलिस द्वारा भारी दमन व लाठीचार्ज कर करीब 150 मज़दूरों को बसों में भरकर उठा लिया गया था, इनमें ज्यादातर महिला श्रमिक थीं। मज़दूरों को आईएमटी मानेसर सेक्टर-7 थाना ले जाया गया गया था। जिसके विरोध में इलाके की प्रमुख यूनियनें, संगठन व मज़दूरों ने एकत्रित होकर विरोध जताया।

क्या है पूरा मामला

हरियाणा के आइएमटी मानेसर (प्लॉट 4, सेक्टर 3) स्थित जेएनएस इंस्ट्रूमेंट्स लिमिटेड मारुति के लिए ऑटोमोबाइल स्पीडोमीटर, ऑटो मीटर आदि बनाती है। फैक्ट्री में करीब 1500 मजदूर 3-4 शिफ्टों में काम करते हैं। यहाँ शोषण के खिलाफ करीब 450 मजदूर (अधिकतर महिलाएं) 3 मार्च 2022 से कंपनी के सामने धरना दे रहे थे।

यूनियन बनाने की पहल लेने के लिए 7 अगुआ महिला मज़दूरों का उत्पीड़न करते हुए प्रबंधन ने उनके स्थानान्तरण का आदेश दे दिया था, जिसके खिलाफ कंपनी गेट के सामने ही धरने की शुरुआत हुई।

हालांकि प्रबंधन, पुलिस और गुंडों की मदद से, मज़दूरों को वहां से हटाने में सफल हुआ। साथ ही महिला मज़दूरों के साथ बदसलूकी की गई व उनके कपड़े फाड़ने का भी प्रयास किया गया।

इसके विरोध में अन्य निकाले गए मज़दूर भी संघर्ष में साथ आ गए और इनकी संख्या क्रमशः बढ़ते हुए करीब 450 हो गई, और इन्होंने कंपनी गेट से करीब 250 मीटर दूर धरना जारी रखा।

शोषण के खिलाफ संघर्ष

भयंकर शोषण-उत्पीड़न से तंग आकर अंततः संगठित होने की ओर बढे जेएनएस के मजदूर, जिनमें अधिकांश महिलायें हैं, पिछले काफी समय से प्रबंधन की बदले की कार्यवाही से पीड़ित हैं। उन्होंने मोदी सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत 28-29 मार्च की हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया और 28 मार्च को कार्य बहिष्कार कर औद्योगिक क्षेत्र में विशाल जुलूस निकाला।

29 मार्च को जोरदार प्रदर्शन

29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन सभी संघर्षरत मज़दूर सुबह से ही जेएनएस कंपनी गेटों के सामने बैठ गए और तीनों गेटों को सफलतापूर्वक जाम कर दिया। मज़दूरों के समर्थन में हुंडई मोबिस (धारूहेड़ा) के 40 संघर्षरत मजदूर पहुंच गए और जोरदार जुलूस भी निकाला।

साथ ही मानेसर के बेलसोनिका, मुंजाल शोवा, एफएमआई, नपीनो, सुजुकी बाइक, मारुति सुजुकी कंपनियों के यूनियन प्रतिनिधि भी वहां समर्थन में पहुंच गए। इसके साथ IFTU (सर्वहारा), इंकलाबी मजदूर केंद्र, AICWU, HMS के कार्यकर्ता भी वहां मौजूद थे।

मज़दूरों के जुझारू रवैये और भारी समर्थन से दबाव में आकर प्रबंधन संघर्षरत मज़दूरों से वार्ता के लिए मजबूर हो गई। मज़दूरों का 15-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल वार्ता के लिए गया, हालांकि कंपनी ने किसी भी स्थाई मज़दूर को वापस लेने से साफ इनकार कर दिया और वार्ता असफल हो गई।

भारी दमन और गिरफ्तारियाँ

वार्ता असफल होने के बाद जब सभी मज़दूर बाहर आए तो पुलिस ने अचानक उनपर बर्बर लाठीचार्ज  शुरू किया और बेरहमी से धक्कामुक्की व खींचतान कर महिला मज़दूरों सहित करीब 150 मज़दूरों को बसों में भर लिया। आईएमके के साथी योगेश व हरीश एवं AICWU के साथी शाम को भी जबरन गिरफ्तार कर लिया गया।

यहाँ तक कि आस पास खड़े कार्यकर्ताओं व आम जनता, जो वारदात की फोटो वीडियो ले रहे थे, के साथ भी पुलिस ने धक्कामुक्की की व उन्हें लाठियां मारी।

सभी गिरफ्तार मज़दूरों-कार्यकर्ताओं को मानेसर सेक्टर-7 थाने ले आया गया। जहाँ मारुति, बेलसोनिक सहित इलाके की तमाम यूनियनों के नेता, मज़दूर और तमाम मज़दूर व सामाजिक संगठनों के साथी भी पहुँच गए और प्रशासन पर दबाव बनाया।

रात में 12 बजे तक सभी महिला मज़दूरों को धमकी देते हुए और कुछ कागजात पर जबरन हस्ताक्षर करा कर रिहा किया गया। लेकिन 4 (पुरुष) मजदूरों और 3 सामाजिक कार्यकर्ताओं (योगेश, हरीश, शाम) को रात भर थाने में ही रखा गया।

काफी जद्दोजहद के बाद आज सुबह जानकारी मिली कि सातों साथी मानेसर सेक्टर-2 थाने के लॉकअप में है। पुलिस ने इनके खिलाफ धारा-147, 149, 188, 341 और 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर दी।

बाद में उन्हें मानेसर डीसीपी कार्यालय, नौरंगपुर लाया गया। आईएमके, IFTU (सर्वहारा), मज़दूर सहयोग केंद्र, AICWU, और मारुति व बेलसोनिका यूनियन के साथी डीसीपी ऑफिस पर मौजूद रहे। अंततः बेल बाँड भरवाकर सभी को रिहा किया गया।

दमन का चौतरफा विरोध

इस पुलिसिया दमन का चौतरफा विरोध हुआ। कई जगह पुलिस-प्रशासन के पुतले फूंके गए। मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) ने जेएनएस मज़दूरों के बहादुराना संघर्ष को क्रांतिकारी सलाम पेश करते हुए मज़दूरों और मज़दूर कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा की गई बर्बरता और अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी एवं प्रबंधन के मजदूर-विरोधी रवैये की कड़ी भर्त्सना की है।

मासा ने सभी मज़दूर-वर्गीय एवं जनपक्षधर लोगों व संगठनों से जेएनएस मजदूरों के संघर्ष के समर्थन में आवाज बुलंद करने का आह्वान किया है।

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