लेबनान: सरकार की नाकामी के विरोध में ड्राइवरों और परिवहन कर्मियों ने की हड़ताल

ढहती अर्थव्यवस्था, ईंधन की बढ़ती क़ीमतों, सरकारी उपेक्षा आदि के विरोध में परिवहन श्रमिकों ने गुरुवार को “आक्रोश दिवस” के रूप में मनाया और राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आयोजन किया।

लेबनान में हज़ारों ड्राइवरों और परिवहन क्षेत्र के श्रमिकों ने ईंधन की बढ़ती क़ीमतों और अपनी परेशानियों को दूर करने में सरकार की नाकामी के विरोध में गुरुवार, 13 जनवरी को एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आयोजन किया। टैक्सी ड्राइवरों, ट्रक ड्राइवरों और टैंकर ड्राइवरों सहित परिवहन कर्मचारियों ने कई प्रमुख राजमार्गों और विभिन्न शहरों और क़स्बों के भीतर से गुज़रने वाली सड़कों को अवरुद्ध करके देश को ठप कर दिया। कई सार्वजनिक परिवहन और श्रमिक संघों की अगुवाई में इन श्रमिकों ने गुरुवार को “आक्रोश दिवस” के रूप में मनाया और 12 घंटे तक चलने वाले अपने उस विरोध प्रदर्शन को सुबह 5 बजे से शुरू कर दिया।

प्रदर्शनकारी ड्राइवरों ने अपनी चिंताओं की अनदेखी करने और तबाही पैदा करने वाले आर्थिक संकट और मुद्रा के ध्वस्त होने के बीच धीरे-धीरे ईंधन और दूसरे ख़र्चों पर सब्सिडी को ख़त्म करने को लेकर सरकार पर अपना ग़ुस्सा निकाला। विभिन्न ख़बरों की रिपोर्टों में कहा गया है कि उनके विरोध के चलते देश भर में यातायात बाधित हो गया, जिससे काम में देरी हुई और कई कार्यस्थलों, बैंकों, स्कूलों और विश्वविद्यालयों को दिन भर के लिए बंद करना पड़ा।

राजधानी बेरूत, वरदुन, हमरा, डोरा, करंतिना, मकालेस, नाहर अल-कल्ब, सरबा, सिदोन, नामेह, एले, दहर अल-बयार सहित अन्य शहरों में भी विरोध प्रदर्शन किये गये। प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर राजमार्गों और सड़कों को अवरुद्ध करने के लिए अपने ख़ुद के ट्रकों, बसों और दूसरे वाहनों का इस्तेमाल किया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने यातायात को ठप करने के लिए बड़े-बड़े कूड़ेदानों और कूड़े से लदे नगरपालिका के डंपस्टरों का भी इस्तेमाल किया। कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों और आम जनता के बीच झड़प की ख़बरें मिलने के बाद विरोध प्रदर्शनों पर ऩजर रखने के लिए उन इलाक़ों में लेबनानी सेना और सुरक्षा बलों को भारी संख्या में तैनात किया गया। समाचार रिपोर्टों के मुताबिक़, इन विरोध प्रदर्शनों के साथ ही उन ईंधन वितरकों की ओर से भी एक विरोध का आयोजन किया गया, जिन्होंने मुद्रा संकट को हल करने को लेकर सरकार से हस्तक्षेप किये जाने तक अंतर्राष्ट्रीय कार्गो को उतारने से इनकार कर दिया था।

यूनियन एंड सिंडिकेट्स ऑफ़ द लैंड ट्रांसपोर्ट सेक्टर के प्रमुख, बासम तलैस ने स्थानीय मीडिया को बताया कि गुरुवार की कार्रवाई सरकार के ख़िलाफ़ उनके आक्रोश की “शुरुआत” है, जिसने भूमि परिवहन क्षेत्र का समर्थन करने और उल्लंघन बंद किये जाने के अपने वादों को पूरा नहीं किया है। हम राजनीति या कैबिनेट की नाकमी के कारणों को लेकर लापरवाह नहीं हो सकते।

उन्होंने कहा, “हमने इकट्ठा होने और विरोध करने के लिए एक वक़्त और जगह तय किया है और हड़ताल का मक़सद देश को बर्बाद करना नहीं है।” उन्होंने आगे कहा कि “हड़ताल के आख़िर में अगले क़दमों का ऐलान किया जायेगा।”

जनरल लेबर यूनियन के प्रमुख, बेचारा अल-असमर ने विरोध प्रदर्शन का समर्थन करते हुए एक बयान में कहा कि उनकी कार्रवाइयां “लोगों के प्रति अधिकारियों की भूमिका और अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए एक आवाज़ देने की तरह थीं।”

प्रधान मंत्री नजीब मिकाती की अगुवाई वाली लेबनानी सरकार ने बार-बार बढ़ती सामान्य मुद्रास्फीति और अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले लेबनानी पाउंड के मूल्य में आयी गिरावट के बीच परिवहन क्षेत्र के श्रमिकों को उनके काम से जुड़े ख़र्चों, ख़ासकर ईंधन की लागत से निपटने में मदद करने के लिए मुआवज़े और सब्सिडी के रूप में सहायता का वादा किया है।

पिछले कुछ सालों में अपने मूल्य का तक़रीबन 95% खो चुका लेबनानी पाउंड काले बाज़ार में एक डॉलर के लिए 31,500 की विनिमय दर पर बेचा जा रहा है, जो कि आधिकारिक तौर पर 1500 से 1 की अनुमानित दर से काफ़ी ज़्यादा है। 2019 में शुरू हुए इस मुद्रा संकट ने भारी मुद्रास्फीति और भोजन, दवाओं और ईंधन जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी पैदा कर दी है। इस स्थिति ने ग़रीबी और निराशा में धकेलते हुए लाखों लेबनानी नागरिकों की आय और बचत को ख़त्म कर दिया है।

लेबनान की अर्थव्यवस्था दशकों से सरकारी उपेक्षा, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन और सालों से चलते युद्ध और राजनीतिक अस्थिरता के कारण संघर्ष कर रही है। अर्थव्यवस्था में आयी इस और बड़ी गिरावट ने तक़रीबन एक-एक आर्थिक क्षेत्र और जीवन के हर एक पहलू को प्रभावित किया है। देश में व्यापक बेरोज़गारी, भोजन और अन्य बुनियादी वस्तुओं की ज़बरदस्त कमी, लंबे समय तक और नियमित होने वाली बिजली कटौती, और ख़ास तौर पर स्वास्थ्य और शिक्षा के अहम क्षेत्रों में सार्वजनिक सेवाओं की कमी जैसे आर्थिक मुद्दों का अंबार देखा जा रहा है। हाल के आंकड़ों के मुताबिक़, 80% से ज़्यादा आबादी अब ग़रीबी में गुज़र-बसर कर रही है और राष्ट्रीय सरकारी क़र्ज़ और सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात तक़रीबन 98 बिलियन अमरीकी डॉलर के राष्ट्रीय ऋण के साथ 170% से भी ज़्यादा होकर दुनिया में सबसे ज़्यादा हो गया है। इस समय देश में आम मुद्रास्फीति की दर 174% है, हालांकि, खाद्य पदार्थों के लिहाज़ से मुद्रास्फीति की यह दर 557% के साथ दुनिया में सबसे ज़्यादा है।

सरकार ने नियमित रूप से ख़र्च में कटौती और रोटी, गेहूं, दवाओं और ईंधन जैसी ज़रूरी चीज़ों पर सब्सिडी में कटौती कर दी है।इससे आगे आने वाले दिनों में आम नागरिकों की आर्थिक स्थिति और ख़राब होने की संभावना है। सरकार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और अन्य अनुदान देने वालों से अरबों डॉलर की विदेशी सहायता हासिल करने की उम्मीद में इन कठोर उपायों को जारी रखे हुए है, जिसका इस्तेमाल देश के लिए आर्थिक सुधार और बचाव योजना के लिए किया जाना है। हालांकि, सरकार बजट में कटौती करने पर जो वित्तीय सहायता दे रही है,वह सशर्त है। इस सहायता का एक बड़ा हिस्सा विदेशी क़र्ज़ को चुकाने में जायेगा, जिससे यह साफ़ नहीं हो पायेगा कि इस एवज़ में लेबनानी अर्थव्यवस्था को कितना दुरुस्त किया जायेगा और आम लोगों पर पड़ रहे बोझ को कितना हल्का किया जा सकेगा।

न्यूजक्लिक से साभार

About Post Author

भूली-बिसरी ख़बरे