आपदा बना धनपतियों के लिए अवसर : दुनिया के शीर्ष दस अमीरों की संपत्ति में दो गुने का इजाफा
बहुसंख्यक आबादी और गरीब, 1 फीसदी की बल्ले-बल्ले। ऑक्स्फ़ाम की रिपोर्ट ‘इनइकवल्टी किल्स’ न केवल गरीब देशों बल्कि पूरी दुनिया के शासक वर्ग के कारनामों को उजागर करती है।
हर स्तर पर असमानता की चौड़ी हुई है खाई
असमानता पर आयी ऑक्स्फ़ाम इन्टरनेशनल की रिपोर्ट ‘इनइकवल्टी किल्स’ ने एक भयावह तस्वीर प्रस्तुत की है। 17 जनवरी 2022 को दावोस में हो रही विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक में सार्वजनिक हुई इस रिपोर्ट के निष्कर्ष बेहद चिंताजनक हैं जो बताते हैं मानव सभ्यता अपने उन्नत दौर में किस कदर असमानता की तरफ जा रही है।
इस रिपोर्ट का महत्व पहले आयीं रिपोर्ट्स की तुलना में इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि कोरोना-काल में जब पूरी दुनिया की आर्थिक-व्यवस्था चरमरा गयी या चरमराते हुए दिखलाई गयी उससे इतर यह रिपोर्ट कोरोना काल को अमीरों के लिए ‘आपदा में पैदा हुए अवसर’ के तौर पर सामने रखती है।
यह रिपोर्ट न केवल गरीब देशों बल्कि पूरी दुनिया के शासक वर्ग के कारनामों को भी उजागर करती है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे मानवीय मूल्य मसलन बराबरी और गरिमा से जीवन जीने के तमाम अवसर कुछ पूँजीपतियों की तिजोरियों में बंद किए जा चुके हैं।
ऑक्स्फ़ाम इन्टरनेशनल के कार्यकारी निदेशक गैब्रिला बूचर कहती हैं कि “कोरोना महामारी से निपटने के लिए दुनिया (तमाम देशों) ने जो भी कदम उठाए उससे हर तरह की असमानता को गहरा किया है। यह असमानता से न केवल अस्वस्थ और नाखुश समाज का निर्माण करती है बल्कि यह हिंसक समाज का निर्माण करती है। असमानता मारती है”।
पूरी रिपोर्ट गैब्रिला बूचर की इस बात की ताकीद करती है और हर स्तर पर असमानता की चौड़ी होती खाई के बारे में बताती है।
पूरी दुनिया में 99 फीसदी आबादी की आय घटी, एक फीसदी की बल्ले-बल्ले
यह रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में कोरोना वायरस के प्रसार के एक वर्ष (दिसंबर 2020 से, दिसंबर 2021 तक) दुनिया के दस सबसे अमीर व्यक्तियों की संपत्ति में दो गुने का इजाफा हुआ है। 2020 में इन दस धनपतियों की कुल संपत्ति 70,000 करोड़ डॉलर थी वो दिसंबर 2021 में एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुँच गयी है।
इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के 99 प्रतिशत लोगों की आय में बेतहशा कमी आयी है। लगभग 16 हज़ार करोड़ लोगों को गंभीर गरीबी में पहुंचा दिया गया है। इन दस व्यक्तियों के पास पूरी दुनिया के 310 करोड़ डॉलर यानी पूरी दुनिया की लगभग आधी आबादी के बराबर संपत्ति है।
लैंगिक असामानता, नसली भेदभाव विकट
यह रिपोर्ट बहुत रोचक ढंग से आर्थिक असमानता पर बात करते हुए पूरी दुनिया में व्याप्त लैंगिक और नस्लीय भेदभाव को भी उजागर करती है।
रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के 252 पुरुषों के पास अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों की 300 करोड़ महिलाओं की कुल संपत्ति के बराबर है। एक दुखद बिडम्बना की तरह यह रिपोर्ट कहती है काश काले अमरीकियों की भी जीवन प्रत्याशा सफ़ेद अमरीकियों के जैसी होती तो अभी 3.4 मिलियन काले अमेरिकी आज ज़िंदा होते।
यह इशारा है कि अमेरिका जैसे वियकसित देश में रंगभेद किस कदर गढ़ी जड़ें जमाए हुए हैं और जिसका सीधा प्रभाव उनकी अलग अलग आर्थिक स्थिति पर पड़ता है।
नव-उदारवादी नीतियों से असमानता भयावह
1995 से जब पूरी दुनिया में आर्थिक उदारीकरण, वैश्वीकरण, निजीकरण के नव-उदारवादी इंजन ने गति पकड़ी है दुनिया के 1 प्रतिशत लोगों ने दुनिया के सबसे गरीब 50 प्रतिशत लोगों की कुल संपत्ति का 20 गुना ज़्यादा हासिल कर लिया है।
धनपति करते पर्यावरण को तबाह
पर्यावरण को हुए नुकसान का आंकलन करते हुए यह रिपोर्ट एक रोचक लेकिन भयावह पक्ष सामने रखती है कि दुनिया के 20 खरबपति लोग हमारे वायुमंडल में 1 अरब लोगों के बराबर कार्बन का उत्सर्जन करते हैं।
भारत में शीर्ष 98 धनपतियों के पास 55 फीसदी के बराबर संपत्ती
इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में जहां 2020 में अरबपतियों की संख्या महज़ 102 थी वहीं 2021 में अरबपतियों की संख्या 142 हो जाती है। यानी एक साल में महज़ 40 अरबपति इस देश में पैदा हो जाते हैं। और यह तब है जब निचले पायदान पर हाशिये पर पड़ी 50 प्रतिशत आबादी के पास देश की कुल संपत्ति का महज़ 6 प्रतिशत हिस्सा है।
भारत के उच्च 10 प्रतिशत आबादी के पास सन 2020 में देश की कुल संपत्ति का कुल 45 प्रतिशत हिस्सा जमा हो गया है। देश में सबसे धनी मात्र 98 व्यक्तियों के पास कुल इतनी संपत्ति जा चुकी है जितना देश की लगभग 55.2 करोड़ लोगों के पास है। देश के सबसे अमीर मात्र 10 लोगों के पास कुल संपत्ति है जिससे पूरे देश की प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा का कुल खर्चा 25 वर्षों तक पूरा किया जा सकता है।
कोरोना काल में मौजूदा सरकार द्वारा खुलेआम अमीरों के हितों में काम करने का नतीजा भी इस रिपोर्ट में सामने आया है। इसमें बताया गया है कि मार्च 2020 से 30 नवंबर 2021 के दौरान के दौरान भारतीय अरबपतियों की संपत्ति 23.14 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 53.16 लाख करोड़ रुपये हो गई है। भारत में अब अमेरिका और चीन के बाद सबसे ज़्यादा अरबपति हैं।
महज़ एक साल में इस सरकार के सबसे प्रिय गौतम अडानी की संपत्ति में 8 गुना बढ़ोत्तरी हुई है। 2020 में जहां उनके पास 8.9 अरब डॉलर की संपत्ति थी वो 2021 में 50.5 अरब डॉलर की हो गयी है। गौतम अडानी आज दुनिया में अमीरों की सूची में 24वें स्थान पर विराजमान हो चुके हैं।
वहीं मुकेश अंबानी की संपत्ति में भी दोगुनी से ज़्यादा बढ़ोत्तरी दर्ज़ हुई है। 2020 में जहां उनके पास कुल संपत्ति 36.8 अरब डॉलर थी वह 2021 में 85.5 अरब डॉलर पहुँच गयी है।
भारत में स्वास्थ्य-शिक्षा का बजट घटा
जब देश में कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ रहा था देश की पहले से ही जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था दम तोड़ रही थी तब स्वास्थ्य बजट बढ़ाने के बजाय 2020-21 में 10 फीसदी तक घटा दिया गया।
शिक्षा के बजट में भी 6 फीसदी की गिरावट दर्ज़ हुई तो सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं में 1.5 प्रतिशत से 0.6 फीसदी किया गया। यहाँ भी 0.9 प्रतिशत की कटौती देखने को मिली।
‘दुनिया के सामने चिंता की बड़ी वजहें क्या हैं’?
विक्टोरिया मास्टर्सन ने वर्ल्ड एकोनोमिक फोरम की बेवसाइट पर 5 नवंबर 2021 को दुनिया के सामने मौजूद मुख्य चिंताओं पर एक सर्वे प्रकाशित किया था। इसे ‘दुनिया के सामने चिंता की बड़ी वजहें क्या हैं’? (What Worries The World?) नाम दिया गया।
इसके निष्कर्ष में बताया गया था कि गरीबी और सामाजिक असमानता सबसे बड़ी चिंता के तौर पर देखी जा रही है। दुनिया के 33 प्रतिशत लोगों ने यह माना था। इसके बाद बेरोजगारी को एक प्रमुख चिंता के तौर पर देखा गया जिसे दुनिया के 30 प्रतिशत लोगों ने माना। कोरोना वायरस, आर्थिक-राजनैतिक भ्रष्टाचार और बढ़ती हिंसा व अपराधों को क्रमश: तीसरी, चौथी और पाँचवीं चिंता के तौर देखा गया जिसे क्रमश: 29, 28 और 27 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया।
इस सर्वे में शिक्षा, कर, मंहगाई, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन आदि जैसी वैश्विक चिंताओं को भी शामिल किया गया लेकिन दुनिया के नागरिकों ने इन्हें पाँच प्रमुख चिंताओं में नहीं गिना। जलवायु परिवर्तन को दसवें क्रम पर रखा गया तो आतंकवाद और भी कम परेशानी या चिंता का सबब माना गया।