विभिन्न रूपों में याद की गईं ज्ञान ज्योति सावित्रीबाई , बच्चों के विविध कार्यक्रम

सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर गुड़गांव में बच्चों की भागीदारी से विविध कार्यक्रम हुए। वहीं गोहाना से लेकर रामनगर तक प्रेरणा ले कर शोषित-पीड़ित जन की आवाज बनने का संकल्प बंधा।

भारत की पहली महिला शिक्षक ज्ञान ज्योति सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस 3 जनवरी को पूरे देश में विविध कार्यक्रम हुए।

सबारंग मेला : सांस्कृतिक प्रस्तुति, विज्ञान व समाज पर बातचीत और कला कार्यशालाएं

गुड़गाँव। सावित्रीबाई फुले जन्मोत्सव समिति और शिक्षा के साथी, गुड़गांव द्वारा बच्चों की क्रियात्मक भागीदारी के साथ गीत, नाटक, डांस, पोस्टर प्रदर्शनी आदि से एक उत्साहवर्धक माहौल में सबारंग मेला सम्पन्न हुआ।

उत्सव में सांस्कृतिक प्रस्तुति, विज्ञान और समाज पर बातचीत और कला कार्यशालाएं शामिल रही। इसी क्रम में विभिन्न विद्यालयों में बच्चों के बीच क्रियाशील प्रतियोगिताएं आयोजित हुईं और कार्यक्रम में बच्चों को प्रमाणपत्र व डायरी वितरित हुआ।

कार्यक्रम का महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि गरीब बस्तियों से बच्चों व महिलाओं की शानदार भागीदारी रही। सावित्रीबाई फुले की स्वीकार्यता लोगों के दिल में बनी। लिंग, जाति, धर्म और धन की असमानताओं के खिलाफ जागरूकता के साथ समानता के उनके अटूट विश्वास से लोगों ने प्रेरणा ली।

जमीनी स्तर पर आमजन, विशेष रूप से बच्चों व महिलाओं ने सावित्रीबाई फुले, फातिमा शेख, ज्योतिराव फुले, फातिमा के भाई उस्मान शेख, उनकी शिष्य मुक्ता साल्वे और अन्य जिन्होंने शिक्षा और महिलाओं व दलित-बहुजनों के अधिकारों के विस्तार के काम में उनका साथ दिया, उनके अतुलनीय योगदान को जाना।

उल्लेखनीय है कि सावित्रीबाई फुले जन्मोत्सव समिति (गुड़गांव) और शिक्षा के साथी 2017 से उनकी याद में इस दिन को अपने साथ पढ़ने और काम करने वाले बच्चों और युवाओं के साथ मनाते आ रहे हैं। इस वर्ष दिसंबर की शुरुआत से ही कार्यक्रम हुए जिसमें छात्रों के साथ सामाजिक विज्ञान और कला का अध्ययन और अभ्यास हुआ।

आयोजन द्वारा लोगों ने जाना कि 3 जनवरी 1831 को जन्मीं सावित्रीबाई फुले ने अपनी सहेली और सहयोगी फातिमा शेख के साथ इस देश में पहली बार महिलाओं और दलितों के लिए स्कूल खोले। उन्होंने अपने पति, शिक्षक और समाज सुधारक, ज्योतिराव फुले के निधन तक उनके साथ कई सामाजिक कुप्रथाओं के परिवर्तन के लिए काम किया। 7 साल बाद प्लेग महामारी के दौरान रोगियों की सेवा करते हुए जान गँवाने वाली सावित्रीबाई अंत तक सक्रिय रहीं।

प्रेरणा ले कर शोषित-पीड़ित लोगों की आवाज बनो!

गोहाना (हरियाणा)। समतामूलक महिला संगठन एवं जन चेतना मंच ने क्रान्तिकारी समाज सुधारक तथा शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के 191वें जन्म-दिवस पर सावित्री बाई फुले चौक पर पुष्पांजलि अर्पित की और उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

डॉ. सुनीता त्यागी ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, कवयित्रि व युगान्तकारी नायिका थी।आज समाज को ऐसे व्यक्तियों की जरूरत है जो उनसे प्रेरणा ले कर शोषित-पीड़ित लोगों की आवाज बन सके और उन्हें पूंजीवादी बन्धनों से मुक्ति दिला सके।

डॉ. सी. डी. शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित उक्त कार्यक्रम में मा. रमेश सैनी, डॉ. अनिल सैनी आदि ने भी विचार रखे। कार्यक्रम में रामकुमार, रामफल, गुलाब सिंह, जगमंदर, अश्विनि कश्यप, सेवा राम, रघुबीर देशवाल, श्याम रबारी, रामधारी, मदन अत्री, राम मेहर, इंद्रावती, मूर्ति, रोशनी, ओम् प्रकाश, राम निवास, अनीता इंदोरा, बबीता, सन्दीप कालरा, प्रदीप त्यागी, इंदिरावती, मन्दीप आदि अनेकों स्त्री-पुरुष मौजूद रहे।

रामनगर (उत्तराखंड) में प्रगतिशील महिला एकता केंद्र व प्रगतिशील भोजनमाता संगठन ने गोष्ठी की।

आम सभा व सांस्कृतिक कार्यक्रम

रामनगर (उत्तराखंड)। महिला एकता मंच द्वारा आम सभा व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन ग्राम वीरपुर लच्छी में किया गया। इस दौरान 1 मई, 2013 में खनन माफिया के हमले में घायल महिलाओं व ग्रामीणों को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। तथा 25 मार्च, 2015 को खनन ट्रेक्टर के कारण मृतक 17 वर्षीय कु. आशा को श्रद्धांजलि दी गयी।

कौशल्या व लक्ष्मी के संयुक्त संचालन में हुई सभा में सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के अधिवक्ता रवीन्द्र गडि़या, महिला एकता मंच की संयोजक ललिता रावत, किसान नेता धर्मपाल सिंह, प्रभात ध्यानी, मुनीष कुमार, ललित उपरेती, तनुजा,शाहिस्ता इंद्रजीत सिंह आदि ने संबोधित किया।

सभा में महिलाओं द्वारा प्रस्तुत गीत ‘औरतें उठी नहीं तो जुल्म बढ़ता जाएगा’ व एवं छात्राओं के गीत पढ़ना लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों से सभा में जोश भर दिया।

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