चुनाव में भाग लेने के बजाय जन संघर्ष को मजबूत बनाएं : बीकेयू एकता (उग्राहां)

भारती किसान यूनियन (बीकेयू एकता उग्राहां) ने किसानों के ज्वलंत मुद्दों पर संघर्ष जारी रखने का आह्वान किया है।

चंडीगढ़ (25 दिसंबर) पंजाब के कुछ किसान यूनियनों के आने वाले चुनाव लड़ने के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारती किसान यूनियन (बीकेयू एकता उग्राहां) ने कहा कि संघर्षरत किसान यूनियनों को सत्ता के लिए वोट की राजनीति में उलझने के बजाय किसानों के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।

संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां और महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कला ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के संघर्ष ने यह भी साबित कर दिया है कि संसद या विधानसभाओं में बैठकर किसानों के अधिकारों और हितों को बचाया और सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है। इसे जनता के बीच सार्वजनिक स्तर पर खुले में जनसंघर्ष के जरिए ही प्राप्त किया जा सकता है।

नेताओं ने कहा कि अभी भी केवल तीन कृषि कानूनों को निरस्त किया गया है जबकि एमएसपी और कुल ऋण माफी जैसे प्रमुख मुद्दे लंबित हैं और अभी तक हल नहीं हुए हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए किसानों को हमेशा जन संघर्षों पर निर्भर रहना चाहिए। किसान आंदोलन के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ हैं और किसान नेताओं को अपनी सारी ऊर्जा व्यापक आधार बनाने पर केंद्रित करनी चाहिए और इन चुनौतियों का सामना करने और हल करने के लिए अपने संघर्षों को मजबूत करना चाहिए।

प्रवक्ता ने कहा कि उनके संगठन का रुख बिल्कुल स्पष्ट है कि वे न तो चुनाव में भाग लेंगे और न ही किसी पार्टी का समर्थन करेंगे। उन्होंने चुनाव के बहिष्कार का भी कोई आह्वान नहीं किया है। हम वर्तमान चुनावी राजनीति को लोगों के लिए एक पथभ्रष्ट और भ्रामक गतिविधि मानते हैं और इसलिए उनकी एकता बनाए रखने के लिए आह्वान किया जाएगा। इसके अलावा किसानों के मुद्दों के साथ-साथ मज़दूर-मेहनतकशों के मुद्दों और बुनियादी मुद्दों पर भी ध्यान दिया जाएगा और इन मुद्दों के समाधान के लिए जनता को संघर्षों पर भरोसा करने का आह्वान किया जाएगा।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसानों की एकता को बनाए रखने और मज़बूत बनाने के लिए हमेशा प्रयास करेंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव में भाग लेने वाले संगठनों के प्रति उनका रवैया भी किसानों की समस्याओं के समाधान और व्यावहारिक रूप से किसानों के हितों की रक्षा के प्रति उनके दृष्टिकोण के आधार पर तय किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष में उभरे राष्ट्रव्यापी संयुक्त किसान मोर्चा की स्थिति और स्टैंड यह है कि एसकेएम किसी भी तरह से चुनाव में भाग नहीं लेगा। इसलिए किसान संगठनों का चुनाव में भाग लेने का निर्णय व्यक्तिगत रूप से उन संगठनों का निर्णय है और इसका संयुक्त किसान मोर्चा से कोई लेना-देना नहीं है।

किसान नेताओं ने बताया कि पंजाब सरकार की ओर से मानी गई मांगों को अमलीजामा पहनाने और कर्जमाफी जैसे ज्वलंत मुद्दों को स्वीकार करने के लिए संगठन राज्य के 15 जिलों में डीसी या एसडीएम कार्यालयों के सामने दिन-रात पक्का मोर्चा लगा रहा है।

सुखदेव सिंह कोकरी कलां
महासचिव।
25.12.2021

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