निर्माणाधीन इमारत से गिर कर मज़दूर की मौत; रात भर चला संघर्ष, 3.5 लाख मुआवजे की घोषणा

पटना में हुई घटना के बाद निर्माण मज़दूर संघर्ष यूनियन (आइएफटीयू-सर्वहारा) के नेतृत्व में आक्रोशित मज़दूरों के रातभर चले संघर्ष के बाद मुआवज़े पर सहमति बनी।

पटना (बिहार)। बीते 3-4 दिसंबर को रात भर चले संघर्ष में मज़दूरों ने एक बार फिर दिखा दिया कि मज़दूरों की संगठित ताकत के सामने बड़े से बड़े मालिक को झुकना ही पड़ता है। मृतक मज़दूर भोला राम के परिवार को सुबह 4:30 बजे तक चले निरंतर संघर्ष के बाद 3.5 लाख रुपये मालिक पक्ष से देने का ऐलान हुआ।

दरअसल 3 दिसंबर को पटना बाईपास के निकट रामकृष्णा नगर इलाके के आदर्श विहार कॉलोनी स्थित तीन मंजिला इमारत में छड़ बांधते वक़्त गिर कर मुजफ्फरपुर के मज़दूर भोला राम की मौत हो गयी। यह घटना दोपहर 3:30 बजे की है। स्थानीय मज़दूरों ने निर्माण मज़दूर संघर्ष यूनियन (सम्बद्ध आइएफटीयू-सर्वहारा) के साथियों को घटना की सूचना दी।

सूचना मिलते ही यूनियन के साथी वहां पहुँच गए। यूनियन के आह्वान पर रामकृष्ण नगर, जगनपुरा, मलाही पकड़ी, हनुमान नगर, आदि इलाकों से मजदूर भारी संख्या में रामकृष्णा नगर चौक पर जुट गए और उचित मुआवजे की मांग उठाई। यूनियन के नेतृत्व में मृतक के परिजनों व मज़दूरों ने लगातार संघर्ष चलाया।

सुबह 4:30 बजे तक चले निरंतर संघर्ष के बाद मृतक मज़दूर भोला राम के परिवार (पत्नी व उनके 5 बच्चों) को 3.5 लाख रुपये मालिक पक्ष से दिलवाने में कामयाबी मिली। श्रम विभाग से आये सरकारी अधिकारियों ने भी वादा किया कि पोस्टमार्टम होते ही सरकारी मुआवजा (1 लाख) भी परिवार को मिल जाएगा, लेकिन परिवार पोस्टमार्टम के लिए तैयार नहीं था। इसके बावजूद उन्हें तीस हजार सरकारी मुआवजा मिलेगा।

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे निर्माण मज़दूर संघर्ष यूनियन (रजि०4227/21) के सौजन्य, कंचन, राधे, मंटु, अर्जुन व अगुआ मज़दूर साथियों, मुख्यतः उमेश कुमार निराला, संजय ठाकुर ,राजेश मंडल, रामदर्शन, मुकेश, सिकंदर, बिरेंद्र, पप्पू, चंद्र मोहन ठाकुर, अमीष, मनोज, संजय आदि, अंत तक मजदूरों का हौसला बढ़ाते रहे। पुलिस प्रशासन की धमकियों, प्रतिकूल परिस्थितियों व सभी बाधाओं से लड़ते हुए वे मृतक मजदूर के परिवार को उचित मुआवजा दिलाने में कामयाब रहे।

यूनियन ने सभी साथियों को क्रांतिकारी लाल सलाम पेश करते हुए कहा कि हमें विश्वास है कि मज़दूरों के संघर्ष की यही चिंगारियां मशाल बनेगी और मज़दूरों के खून की प्यासी इस व्यवस्था को जला कर खाक कर देगी और उसकी राख पर एक शोषणविहीन समाज का निर्माण होगा!

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