पुरानी पेंशन बहाल करो : एक लाख शिक्षकों-कर्मचारियों ने लखनऊ में प्रदर्शन कर भरी हुंकार

कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने महारैली में कहा कि केंद्र सरकार किसान बिल समेत कई गलतियां सुधार चुकी है। अब नई पेंशन व्यवस्था को भी खत्म करे।

लखनऊ। पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर लखनऊ के इको गार्डन में मंगलवार को हर महकमे के कर्मचारियों और पेंशनर्स का हुजूम जुटा। कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने महारैली में सरकार एक और फैसला कर्मचारियों के हित में वापस लेकर पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग उठाई।

जो मिला संघर्षों से मिला, जिसे भाजपा सरकार छीन रही है

कर्मचारी नेताओं ने कहा कि अभी तक जो भी मिला है, संघर्षों से मिला है। कर्मचारियों से कहा कि आप ने यहां आकर सरकार पर दवाब बनाने का काम किया है।

चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे ने कहा कि नई पेंशन जुआ है। इसको किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा। कर्मचारी का हक मारा जा रहा है।

नई पेंशन में 800 से 12000 रुपए तक पेंशन मिलना है। जबकि पुरानी में पेंशन ज्यादा है। महंगाई के दौर में पैसा बढ़ना चाहिए तो सरकार हमारे अधिकार को कम कर रही है।

चुनाव में कर्मचारी भाजपा का करेंगे विरोध

कर्मचारी नेताओं ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि मौजूदा सरकार के पास यह अंतिम मौका है। अगर कर्मचारी हितों का ध्यान नहीं रखा गया तो संगठन राजनीतिक विकल्प चुनने में भी नहीं हिचकेगा।

कर्मचारी और शिक्षक चुनावों में मौजूदा सरकार का विरोध करेंगे। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे ने कहा, सरकार अगर कृषि कानून वापस ले सकती है तो नई पेंशन स्कीम को भी वापस लेना चाहिए। सरकार अपनी एक और गलती स्वीकार ले। नई पेंशन कर्मचारियों के लिए किसी भी तरह से लाभकारी नहीं है।

सरकारी उपेक्षा से नाराज कर्मचारियों ने लंबित माँगें उठायीं

महारैली की अध्यक्षता करते हुए डॉ़ दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा, पहले की सरकारें कर्मचारी संगठनों की मांगों का निराकरण करती थीं, लेकिन यह पहली सरकार है जो कर्मचारियों द्वारा संघर्षों से अर्जित की गई उपलब्धियों को छीन रही है। प्रदेश के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते का 10 हजार करोड़ रुपये का भुगतान भी नहीं हुआ है। एक दर्जन से अधिक भत्ते समाप्त कर दिए गए हैं।

प्रधानाध्यापकों के तमाम पद सरकार ने खत्म कर दिए और बीते पांच साल में एक भी शिक्षक को पदोन्नति नहीं दी गई है। शिक्षामित्र-अनुदेशक भुखमरी की कगार पर हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से लेकर रसोइये तक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। अगर सरकार ने समय रहते शिक्षकों एवं कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली सहित सभी मांगों को पूरा नहीं किया तो आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे और लोकतंत्र का अंतिम अस्त्र भी प्रयोग करने से नहीं चूकेंगे।

एक लाख से ज्यादा कर्मचारियों ने की भागीदारी

रैली स्थल पर 50 हजार कुर्सियां रखी गई थीं। भीड़ का आलम यह रहा कि सुबह 11 बजते-बजते सभी कुर्सियां भर चुकी थीं। इसके बाद आए लोग जमीन पर बैठे। कर्मचारियों की जुटान का आलम यह था कि कई विभागों में सन्नाटा पसरा दिखाई दिया। पुरानी पेंशन बहाली को लेकर 200 से ज्यादा कर्मचारी संगठनों के नेता मंगलवार को एक मंच जुटे।

200 से ज्यादा कर्मचारी संगठन एकजुट

पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर यूपी के 200 से ज्यादा कर्मचारी संगठन एक मंच पर आ चुके हैं। लखनऊ के इको गार्डन में मौजूदा समय एक लाख से ज्यादा कर्मचारी एकत्र हो चुके हैं। इसमें लखनऊ, बाराबंकी, अयोध्या, अंबेडकर नगर, आजमगढ़, बलिया, मऊ, गाजीपुर, बनारस, चंदोली, मिर्जापुर, सोनभद्र, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, बस्ती, आगरा, बरेली, मथुरा समेत कई जिलों के कर्मचारी और अध्यापक मौजूद हैं।

डिप्लोमा इंजिनियर्स महासंघ, यूपी मेडिकल ऐंड हेल्थ मिनिस्टीरियल असोसिएशन, परिवहन कर्मचारी संघ, उद्यान महासंघ, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, कोषागार कर्मचारी संघ, कलेक्ट्रेट मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ, एआईआरएफ/ एनआरएमयू, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ, कस्तूरबा गांधी बालिका शिक्षक संघ, उर्दू अरबिया मदरसा शिक्षक संघ, सेवानिवृत्त पेंशनर्स संघ बेसिक शिक्षा, अधिनस्थ कृषि सेवा संघ सहित कई संगठनों के पदाधिकारियों ने रैली को संबोधित किया।

About Post Author

भूली-बिसरी ख़बरे