यूपी : माँगों को लेकर कर्मचारी-शिक्षक आक्रोशित; 27 को मशाल जुलूस, 9 दिसंबर को कार्यबन्दी

योगी सरकार की उपेक्षा से 22 लाख कर्मचारी-शिक्षक आक्रोशित हैं। सरकार के आर्थिक संकट में 1 दिन का वेतन देने वाले कर्मियों का दर्द न सुनने का खामियाजा उन्हें चुनाव में भुगतना पड़ेगा।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कर्मचारी-शिक्षक जनवरी 2020 से जुलाई 2021 तक के फ्रीज डीए का एरियर देने व 12 सूत्रीय मांगपत्र की पूर्ति हेतु 27 नवंबर को प्रदेश के जनपद मुख्यालय पर मशाल जुलूस निकालेंगे और 9 दिसम्बर को कार्यबन्दी करेंगे। इसमें प्रदेश की समस्त आवश्यक सेवाएं स्वास्थ्य, परिवहन, वन, सिंचाई, रोडवेज़ सहित लगभग 200 सामवर्गो के कर्मचारी शामिल होंगे।

27 नवंबर को जिला मुख्यालयों पर मशाल जुलूस

गुरुवार को राजधानी के बलरामपुर अस्पताल में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की बैठक अध्यक्ष सुरेश रावत की अध्यक्षता में हुई। जिसमें 12 सूत्रीय मांगपत्र की पूर्ति व फ्रीज डीए का एरियर दिए जाने को लेकर 27 नवंबर को जनपद मुख्यालय पर मशाल जुलूस निकालने की तैयारी पर भी चर्चा हुई। कर्मचारी शिक्षक जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजेंगे, जिसमे राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद महत्वपूर्ण भागीदारी करेगा।

सरकार की अनदेखी से शिक्षक-कर्मचारियों में आक्रोश

परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि मोर्चा के नेताओं द्वारा मांगों पर निर्णय करने हेतु निरंतर पत्र भेजा गया। इसके बाद 20 सितंबर से 30 सितंबर तक सभी मंत्री गण, विधानसभा सदस्य, विधान परिषद सदस्य के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर आग्रह किया गया कि मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक करके उन मांगों पर तत्काल निर्णय कराएं, जो लंबे अरसे से लंबित हैं।

मग़र, प्रदेश सरकार द्वारा मांग पूरी करना तो दूर वार्ता तक नहीं की गई। जिससे कर्मचारियों में काफ़ी रोष व्याप्त है।

उन्होंने बताया, “09 दिसम्बर को कार्यबन्दी में प्रदेश की समस्त आवश्यक सेवाएं स्वास्थ्य, परिवहन, वन, सिंचाई, रोडवेज़ सहित लगभग 200 सामवर्गो के कर्मचारी शामिल होंगे।” अतुल मिश्रा ने कहा, सभी शिक्षक कर्मचारी सरकार के उपेक्षित रवैया का पुरज़ोर विरोध करते हुए आगामी विधानसभा चुनाव में जवाब देंगे।

सुरेश रावत ने कहा कि विगत सभी मुख्यमंत्रियों एवं मुख्य सचिव ने मोर्चा व परिषद के साथ बराबर बैठके की और सार्थक निर्णय हुए। लेकिन, खेद है कि वर्तमान मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव की ओर से कर्मचारियों एवं शिक्षकों के प्रति उदासीनता रही है। भेजे गए ज्ञापन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

राजकीय नर्सेस संघ के महामंत्री व परिषद के प्रवक्ता अशोक कुमार ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार कर्मचारियों के बकाये का भुगतान 6% व्याज के साथ किया जाना चाहिए। कर्मचारियों ने कोविड काल में अपने प्राणों की बाजी लगाकर कार्य किया। हर कर्मचारियों का लाखों रुपया का नुकसान हुआ है।

22 लाख कर्मचारी शिक्षक आक्रोशित

फार्मेसिस्ट फेडरेशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष व परिषद के प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार की उपेक्षा के कारण प्रदेश के 22 लाख कर्मचारी शिक्षक आक्रोशित हैं। जब सरकार आर्थिक संकट में थी, तो कर्मचारियों ने 1 दिन का वेतन दिया और भीषण महंगाई से कर्मचारी परिवार संकट में है, तो फ्रीज डी.ए. का बकाया एरियर भी नहीं दे रही है। जिसका खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।

चार वर्षों से रुका हुआ है वेतन समिति का निर्णय

लैब टेक्नीशियन संघ के प्रवक्ता व परिषद के मीडिया प्रभारी सुनील कुमार ने कहा कि सरकार वेतन समिति के निर्णय को 4 वर्ष से रोके हुए हैं। जिससे सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

पुरानी पेंशन की भी नहीं हो रही है बहाली

संगठन प्रमुख केके सचान ने कहा कि स्थानीय निकायों, राजकीय निगमों, विकास प्राधिकरण, स्वायत्तशासी संस्थाओं के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को समानता नहीं मिल रही है। सेवा नियमावली सिंचाई, वाणिज्य कर, वेतनरी फ़ार्मसिस्ट एवं अन्य विभागों की लंबित हैं। एनएमए संघ के अध्यक्ष सतीश यादव ने कहा कि पुरानी पेंशन की बहाली भी भारत सरकार एवं राज्य सरकार नहीं कर रही है। जिससे युवाओं में बहुत असंतोष है।

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