26 नवंबर ऐतिहासिक संघर्ष का एक वर्ष : दिल्ली मोर्चों पर हजारों किसानों का जमावड़ा

इस दौरान शहीद 683 किसानों के मुआवजे की माँग के साथ स्मारक बनेगा। …आज हैदराबाद में महाधरना हुआ। 28 नवंबर को मुंबई में विशाल किसान-मजदूर महापंचायत होगी।

26-27 नवंबर 2020 को दिल्ली चलो के आह्वान से शुरू हुआ था किसान आंदोलन। अभूतपूर्व किसान आंदोलन के एक वर्ष पूरे होने पर दिल्ली के मोर्चों और राज्यों की राजधानियों और जिला मुख्यालयों पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की तैयारी चल रही है।

किसानों ने ऐतिहासिक पहली जीत हासिल की है, अभी तमाम मुद्दे हल होने बाकी हैं

जून 2020 से तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ जारी ऐतिहासिक किसान आंदोलन अब एक नए मुकाम पर है। 26 नवंबर को दिल्ली की सरहदों पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में डेरा डाले और आंदोलनरत किसानों को एक साल पूरे होने जा रहे हैं।

इस दौरान तमाम उतार-चढ़ाव के बीच यह आंदोलन देशव्यापी आंदोलन बन चुका है। एक कुशल नेतृत्व के साथ एसकेएम ने हर मुकाम पर हठधर्मी, तानाशाह मोदी सरकार को चुनौती दी और आंदोलन को विकसित और व्यापक बनाया।

ऐतिहासिक किसान आंदोलन पर जरूरी पुस्तिका

आंदोलन ने तमाम विभाजनों को खत्म कर मजबूत एकता बनाई

26-27 नवंबर 2020 को “दिल्ली चलो” के आह्वान के साथ शुरू हुआ किसान आंदोलन कल अपने ऐतिहासिक संघर्ष के एक साल पूरा करेगा। एसकेएम ने कहा कि, यह तथ्य कि इतना लंबा संघर्ष छेड़ना पड़ा, भारत सरकार की अपने मेहनतकश नागरिकों के प्रति असंवेदनशीलता और अहंकार एक स्पष्ट प्रतिबिंब है।

दुनिया के स्तर पर इतिहास में सबसे बड़े और लम्बे विरोध आंदोलनों में से एक, इस किसान आंदोलन में बारह महीनों के दौरान, करोड़ों लोगों ने भाग लिया, जो भारत के हर राज्य, हर जिले और हर गांव तक पहुँचा। तीन किसान-विरोधी कानूनों को निरस्त करने के सरकार के निर्णय और कैबिनेट की मंजूरी के अलावा, किसान आंदोलन ने किसानों, आम नागरिकों और देश के लिए कई तरह की जीत हासिल की।

आंदोलन ने क्षेत्रीय, धार्मिक या जातिगत विभाजनों को खत्म करते हुए किसानों के लिए एकीकृत पहचान की भावना भी पैदा की। किसान के रूप में अपनी पहचान और नागरिकों के रूप में अपने अधिकारों के दावे में किसान सम्मान और गर्व की एक नई भावना की देख रहे हैं। इसने भारत में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की जड़ें गहरी की हैं।

आंदोलन ने मेहनतकश सहित समाज के तमाम तबकों को जोड़ा

आंदोलन मुख्य रूप से भाग लेने वाले प्रत्येक प्रदर्शनकारी व्यक्ति के शांतिपूर्ण दृढ़ संकल्प के कारण ही खुद को बनाए रखने और मजबूत करने में सक्षम रहा है। आंदोलन ने ट्रेड यूनियनों, और महिलाओं, छात्रों और युवा संगठनों सहित अन्य प्रगतिशील और लोकतांत्रिक जन संगठनों के सहयोग से भी ताकत हासिल की। भारत के लगभग सभी विपक्षी राजनीतिक दल साल भर के संघर्ष में किसानों के समर्थन में खड़े हुए। इस जन आंदोलन में कलाकारों, शिक्षाविदों, लेखकों, डॉक्टरों, वकीलों आदि सहित समाज के कई वर्गों ने अपना योगदान दिया।

एसकेएम इस आंदोलन के सभी प्रतिभागियों और समर्थकों के प्रति अपनी गहरा आभार व्यक्त करता है, और एक बार फिर दोहराता है कि तीन किसान-विरोधी कानूनों को निरस्त करना आंदोलन की सिर्फ पहली बड़ी जीत है। एसकेएम प्रदर्शनकारी किसानों की बाकी जायज़ मांगों को पूरा किए जाने का इंतजार कर रहा है।

दिल्ली मोर्चों पर बढ़ता कारवां, देशभर में होगा प्रदर्शन

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर, दिल्ली मोर्चा और राज्यों की राजधानियों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के साथ ऐतिहासिक किसान आंदोलन के एक वर्ष को चिह्नित करने के लिए, किसान बड़ी संख्या में एकजुट हो रहे हैं। दिल्ली के विभिन्न मोर्चों पर हजारों की संख्या में किसान पहुंचने लगे हैं।

दिल्ली से दूर राज्यों में इस आयोजन को रैलियों, धरने और अन्य कार्यक्रमों के साथ चिह्नित करने की तैयारी चल रही है। कर्नाटक में हाईवे जाम के कार्यक्रम में किसान अहम हाईवे को जाम करेंगे। तमिलनाडु, बिहार और मध्य प्रदेश में ट्रेड यूनियनों के साथ संयुक्त रूप से सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। रायपुर और रांची में ट्रैक्टर रैलियां होंगी। पश्चिम बंगाल में कल कोलकाता और अन्य जिलों में रैली की योजना है।

कल से दुनिया भर के विभिन्न देशों में भी एकजुटता की कार्रवाई होगी।

हैदराबाद में महाधरना आयोजित

आज हैदराबाद में एक महाधरना आयोजित किया गया, जिसमें तेलंगाना के किसानों ने बड़े पैमाने पर भाग लिया। उपस्थित लोगों ने सभी कृषि उत्पादों पर एमएसपी के कानूनी अधिकार, बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने, किसानों को दिल्ली की वायु गुणवत्ता से संबंधित कानूनी विनियमन के दंडात्मक प्रावधानों से बाहर रखने, विरोध करने वाले हजारों किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने और अजय मिश्रा टेनी की बरखास्तगी और गिरफ्तारी सहित किसान आंदोलन की अभी भी लंबित मांगों को उठाया।

कार्यक्रम में किसान आंदोलन के शहीदों की सूची प्रदर्शित की गई और उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

28 नवंबर को मुंबई में होगी विशाल किसान-मजदूर महापंचायत

28 नवंबर को मुंबई के आजाद मैदान में एक विशाल किसान-मजदूर महापंचायत का आयोजन किया जाना है। महापंचायत का आयोजन संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा (एसएसकेएम) के संयुक्त बैनर तले 100 से अधिक संगठनों द्वारा किया जाएगा, और इसमें पूरे महाराष्ट्र के किसानों, श्रमिकों और आम नागरिकों की भागीदारी देखी जाएगी।

सालभर में शहीद हुए 683 किसानों को मुआवजे की माँग; बनेगा स्मारक

साल भर से चल रहे किसान आंदोलन में अब तक 683 किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। एसकेएम ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में उठाई गई अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि केंद्र सरकार आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने और उनके परिवार के पुनर्वास की घोषणा करे और सिंघू मोर्चा में उनके नाम पर स्मारक बनाने के लिए जमीन आवंटित करे।

आंदोलन के शहीद किसान

27 नवंबर को सिंघू मोर्चा पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी। बैठक में किसान संगठन आगे की कार्रवाई के संबंध में निर्णय लेंगे।

26 नवंबर के विरोध का व्यापक समर्थन

एसकेएम के 26 नवंबर को विरोध के आह्वान का ट्रेड यूनियनों, नागरिक संगठनों और कई अन्य यूनियनों और संगठनों ने समर्थन किया है। साल भर के संघर्ष में कई राजनीतिक संगठन भी किसानों के पक्ष में खड़े हुए हैं। एसकेएम उनके समर्थन के प्रति आभार व्यक्त करता है।

एसकेएम की प्रेस विज्ञप्ति (364वां दिन, 25 नवंबर 2021) के इनपुट के साथ

जारीकर्ता – बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव।

About Post Author