देशव्यापी काला दिवस : जनविरोधी श्रम संहिताएं, कृषि क़ानून रद्द करो, निजीकरण बंद करो!

मज़दूर विरोधी श्रम संहिताओं के संसद में पारित होने के एक साल पर मासा के आह्वान पर देशभर में विभिन्न श्रम संगठनों ने काला दिवस मनाने के साथ काले क़ानूनों को रद्द करने की माँग की…

लेबर कोड के विरोध में देशव्यापी काला दिवस, मजदूरों का रोष प्रकट

मोदी सरकार द्वारा 29 श्रम क़ानूनों को खत्म कर मज़दूर विरोधी चार श्रम संहिताओं में बदलने के एक साल पूरा होने पर 23 सितंबर को देश के विभिन्न हिस्सों में “काला दिवस” मनाया गया। इस विरोध का आह्वान मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) ने किया था जिसका विभिन्न संगठनों ने समर्थन किया।

इस दौरान देश के विभिन्न इलाकों में मज़दूर विरोधी चारों श्रम संहिताओं, काले कृषि कानूनों, जनविरोधी नीतियों को रद्द करने; निजीकरण, सरकारी संपत्तियों को बेचने व मज़दूरों के दमन पर लगाम लगाने के साथ स्थानीय मज़दूरों की समस्याओं के समाधान के लिए आवाज़ बुलंद हुई।

विभिन्न प्रदर्शनों में वक्ताओं ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने संसदीय परंपराओं और तमाम विरोधों को नजरअंदाज कर, कोविड पाबंदियों के बीच पिछले साल 23 सितंबर को मज़दूर विरोधी तीन श्रम संहिताएं पारित की थी, जबकि मज़दूरी पर श्रम संहिता 2019 में पारित हुई थी। विरोधों के बावजूद इनकी नियमावली भी ज्यादातर बन चुकी है और उसे लागू करने की जोर आजमाइश जारी है।

मज़दूर नेताओं ने कहा कि मज़दूरों द्वारा लंबे संघर्षों के दौरान हासिल 29 श्रम कानूनों को खत्म कर दिया जा रहा है। इससे मालिकों को मनमर्जी मज़दूरों को रखने-निकालने की खुली छूट, स्थाई रोजगार की जगह फिक्स टर्म करने, मनमाने काम के घंटे बढ़ाने, यूनियन और हड़ताल के वैधानिक अधिकारों पर अंकुश लगाने, वेतन निर्धारण के मानदंडों को ध्वस्त करने, श्रम अधिकारियों व श्रम न्यायालय के अधिकारों को ध्वस्त करने सहित तमाम घातक प्रावधान शामिल हैं।

इस दौरान काले कृषि क़ानूनों के विरोध के साथ कहा गया कि ये तीनों कानून देशी-विदेशी कॉरपोरेट पूँजी को फायदा पहुंचाने व जन वितरण प्रणाली को नष्ट करने के उद्देश्य से लाये गये हैं। साथ ही संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 27 सितंबर भारत बंद का सक्रिय समर्थन का आह्वान हुआ।

वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा सार्वजनिक/सरकारी संपत्तियों व उद्योगों को निजी कंपनियों को औने-पौने दामों में बेचा जा रहा है। मोदी सरकार ने जून 2021 में आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश 2021 लाकर हड़ताल पर प्रतिबंध के साथ भारी जुर्माने व मुक़दमें का प्रावधान कर कर्मचारियों से हड़ताल करने के मौलिक अधिकार को ही छीन लिया।

इसी के साथ बेलगाम महँगाई, मज़दूर संघर्षों पर बढ़ते पुलिस हस्तक्षेप, दमन तंत्र व फर्जी मुकदमें व गिरफ्तारियों, श्रम अधिकारियों द्वारा श्रमिक समस्याओं को विलंबित करने व उलझाकर श्रमिकों को लंबे समय तक परेशान करने आदि पर भी रोष प्रकट किया गया।

संगठनों द्वारा उठाई गई प्रमुख मांगें-

अलग-अलग स्थानों से देश के राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजे गए, जिनमें स्थानीय विशिष्टता की भी माँगें शामिल थीं। इनमें प्रमुख माँगें हैं-

  • जनहित में चारों श्रम संहिताएं निरस्त करते हुए श्रमिक हित में श्रम क़ानून बनाया जाए,
  • जनविरोधी तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाए सरकारी/सार्वजनिक उद्यमों व संपत्तियों को बेचने पर तत्काल रोक लगे,
  • बिजली संशोधन विधेयक (2020) तत्काल निरस्त हो, आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश 2021 रद्द किया जाए,
  • महँगाई पर तत्काल लगाम लगाया जाए,
  • दमन तंत्र व फर्जी गिरफ्तारियों व मुकदमों पर रोक लगते हुए उसे निरस्त किया जाए,
  • स्थानीय मज़दूर समस्याओं के त्वरित निस्तारण के लिए श्रम अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिया जाए,
  • उदारीकरण-निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियां रद्द हों!

देशव्यापी प्रदर्शन की कुछ झलकियाँ-

एनसीआर

301 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान मोर्चों में से एक गाजीपुर बॉर्डर पर 23 सितंबर का दिन काला दिवस के रुप के रुप में मनाया गया। गाजीपुर बॉर्डर मंच द्वारा मज़दूरों के साथ अपनी एकजुटता प्रदर्शित करते हुये बाह पर काली पट्टी बाँधकर और चारों लेबर कोड्स की प्रतियों को आग के हवाले कर इन्हें तत्काल रद्द करने की मांग की गई।

उत्तराखंड

रुद्रपुर। श्रमिक संयुक्त मोर्चा उधम सिंह नगर के नेतृत्व में आज पूरे जिले में मज़दूर विरोधी चार श्रम संहिताओं के खिलाफ काला दिवस मनाया गया। जिसमें मासा और उसके घटक संगठन इंक़लाबी मज़दूर केंद्र व मज़दूर सहयोग केंद्र तथा दर्जनों यूनियनों व सामाजिक संगठनों के साथ करीब हजार मज़दूरों ने भागीदारी की।

इस दौरान सिड़कुल की कई कंपनियों में मज़दूरों ने विरोध स्वरूप काले फीते बांधकर और लेबर कोड व कृषि कानूनों के खिलाफ बैच लगाकर कार्य किया। इंटरार्क कंपनी सिडकुल पंतनगर से श्रम भवन तक रैली निकालकर उप श्रम आयुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम 9 सूत्री ज्ञापन भेजा गया।

इसके साथ ही सिडकुल की श्रमिक समस्याओं के संबंध में श्रम विभाग की उपेक्षा पूर्ण नीतियों पर आक्रोश प्रकट करने के साथ उसके त्वरित निस्तारण की मांग की गई। मोर्चा ने अगस्त क्रांति दिवस 9 अगस्त को उप श्रमायुक्त को दिए गए 15 सूत्रीय ज्ञापन की याद दिलाते हुए कहा गया कि डेढ़ माह बीत जाने के बावजूद माँगों के निस्तारण की दिशा में अबतक कोई पहल नहीं ली गई है।

मोर्चा ने चेतावनी दी कि यदि श्रमिक समस्याओं पर श्रम विभाग का यही उपेक्षापूर्ण रुख बना रहा और श्रमिकों को न्याय नहीं मिला तो मोर्चा के नेतृत्व में इलाके के मज़दूर आंदोलन करने को बाध्य होंगे, इसकी पूरी जिम्मेदारी श्रम अधिकारियों की होगी।

1003 दिनों से संघर्षरत माइक्रोमैक्स मजदूरों का प्रदर्शन

हरिद्वार। मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के घटक संगठन इंकलाबी मजदूर केंद्र व भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन एवं प्रगतिशील महिला एकता केंद्र व हरिद्वार की विभिन्न ट्रेड यूनियनों और सामाजिक संगठनों ने मिलकर शिवालिक नगर चौराहे पर प्रदर्शन कर काले दिवस के रूप में मनाया और श्रम संहिताओं की प्रतियां जलाईं।

हल्द्वानी। प्रगतिशील भोजनमाता संगठन उत्तराखंड नैनीताल ने बुद्ध पार्क तिकोनिया में 29 श्रम कानूनों को 4 श्रम संहिता में बदल दिए जाने के विरोध में सभा की।

पंतनगर। इंकलाबी मज़दूर केन्द्र, ठेका मज़दूर कल्याण समिति व प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा पंतनगर के टा कालोनी मैदान से मज़दूर बस्तियों से होते हुए शहीद स्मारक पंतनगर तक जुलूस निकाला गया और सभा करके मज़दूर विरोधी कानून रद्द करने की मांग की गई।

हरियाणा

गुड़गाँव। मासा के घटक संगठनों इंक़लाबी मज़दूर केंद्र व मज़दूर सहयोग केंद्र ने विभिन्न ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर डीसी ऑफिस गुरुग्राम में प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया।

इसी के साथ बैलसोनिक के मज़दूरों ने काला फीता बांधकर विरोध जताया।

कैथल। मासा के घटक संगठन जन संघर्ष मंच हरियाणा, मनरेगा मजदूर यूनियन, निर्माणकार्य मज़दूर मिस्त्री यूनियन व आंगनबाड़ी वर्कर एंड हेल्पर यूनियन ने मजदूर विरोधी चारों लेबर कोड के खिलाफ काली पट्टियों व काले झंडों के साथ काला दिवस मनाया। प्रदर्शन जवाहर पार्क से मिनी सचिवालय तक किया गया।

प्रदर्शन में आ रहे जनैदपुर गाँव के मनरेगा मजदूर जसपाल पर वहां के सरपंच द्वारा कातिलाना हमले की तीखी निंदा की गई और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की गई।

कैथल में महिला एवं बाल विकास मंत्री के आवास पर धरने पर बैठी आंगनबाड़ी वर्कर ने भी मजदूर विरोधी लेबर कोड और अपनी मांगों को लेकर काला दिवस मनाया और अंत में पेहवा चौक तक प्रदर्शन किया। जिला उपायुक्त कैथल के मार्फत राष्ट्रपति भारत सरकार के नाम ज्ञापन भेजा जिसमें प्रमुख माँगों के अलावा मनरेगा कानून के उल्लंघन पर रोक, स्कीम कर्मी जैसे आंगनबाड़ी वर्कर व हेल्पर की मांग पूरी करने आदि माँग शामिल है।

कैथल जिला के गांव बाबा लदाना के सैकड़ों मजदूर गरीब परिवारों ने भी अपने ही गांव में मजदूर विरोधी श्रम कानूनों के विरोध में मासा द्वारा घोषित काला दिवस कार्यक्रम आयोजित किया। ये गरीब परिवार 5 सितंबर 2021 से वर्ष 2011-12 में महात्मा गांधी बस्ती योजना के अंतर्गत दिए गए रिहायशी प्लाटों का कब्जा न दिए जाने के विरोध में अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं परंतु प्रदेश की मजदूर विरोधी सरकार ने अभी तक उनकी कोई सुध नहीं ली है।

कुरुक्षेत्र। मासा की घटक जन संघर्ष मंच हरियाणा ने कुरुक्षेत्र में मनरेगा मज़दूर यूनियन, निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन के साथ मिलकर ब्लैक डे के रूप में काली पट्टियां बांध कर रोष प्रदर्शन किया। पुराना बस स्टैंड थानेसर से मोदी व खट्टर सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए मुख्य बाजार, सब्जी मंडी, मोती चौक, कच्चा घेर से होते हुए अंबेडकर चौक पर पहुँचकर जबरदस्त प्रदर्शन किया।

गोहाना। जन संघर्ष मंच हरियाणा (घटक मासा), समतामूलक महिला संगठन, आंगनवाड़ी वर्कर्स एवं हैल्पर्स यूनीयन और कर्मचारी महासंघ से सम्बद्ध जन स्वास्थ्य व रोड़वेज कर्मचारियों ने मज़दूर विरोधी श्रम संहिताओं के ख़िलाफ़ गोहाना शहर में विरोध प्रदर्शन कर ‘काला दिवस’ मनाया। समता चौक से शुरू जुलूस शहीद भगत सिंह व दीनबन्धु छोटू राम की प्रतिमा-स्थलों से गुजरते हुए जवाहर लाल नेहरु पार्क में जनसभा में तब्दील हो गई।

जींद में मासा के आव्हान पर जन संघर्ष मंच हरियाणा के नेतृत्व में मज़दूरों ने प्रदर्शन किया व उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन भेजा।

फरीदाबाद। में इंक़लाबी मज़दूर केंद्र, ठेका मज़दूर यूनियन व अन्य यूनियनों ने लेबर चौक पर प्रदर्शन कर जुलूस निकाला।

राजस्थान

जयपुर। मासा के आह्वान पर क्रांतिकारी नौजवान सभा द्वारा 7 नंबर चौराहा, मज़दूर चौकटी, जगतपुरा और इंडिया गेट सीतापुरा जयपुर में काला दिवस मनाया गया। मजदूर चौकटी जहां हजारों की तादाद में असंगठित मजदूर रोज़ काम के लिए आते है, जिन्हें मुश्किल से 10 या 15 दिन महीने में काम मिल पाता है। और इंडिया गेट जहां लाखो की तादात में संगठित क्षेत्र के अधिकारों से वंचित मज़दूर तमाम फैक्ट्रियों में मामूली दिहाड़ी 12 से 16 घंटो तक काम करते है। 

तेलंगाना

तेलंगाना राज्य में हैदराबाद व अन्य इलाकों में मासा के घटक आईएफटीयू के नेतृत्व में मजदूरों ने काल दिवस मानते हुए प्रदर्शन किया।

हैदराबाद के जवाहरनगर में नगर पालिका श्रमिकों का धरना।

नागरम हैदराबाद में नगर पालिका श्रमिकों का धरना।

जीदीमेटल हैदराबाद में बीड़ी श्रमिकों का विरोध प्रदर्शन।

येलंदु तेलंगाना में विरोध कार्यक्रम आयोजित हुए।

उत्तरप्रदेश

मऊ में इंकलाबी मज़दूर केंद्र ने काला दिवस के तहत कलेक्ट्रेट पर जोरदार प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। प्रदर्शन में क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन व ग्रामीण मज़दूर यूनियन ने भी भागीदारी की।

बरेली में इंकलाबी मज़दूर केन्द्र द्वारा मासा के आह्वान पर काला दिवस मनाते हुए।

बलिया के बहादुरपुर और इनामीपुर में इंकलाबी मज़दूर केंद्र ने काला दिवस मनाया, जिसमें क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन ने भी भागीदारी की।

बिहार

पटना। मासा घटक आईएफटीयू (सर्वहारा) के आह्वान पर, पटना कई लेबर चौक पर महिला व पुरुष मज़दूरों ने काला दिवस मानते हुए कार्यक्रम किया और नियोजन भवन पर प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया।

रोहतास। ग्रामीण मज़दूर यूनियन, बिहार के नेतृत्व में विभिन्न गांवों में विरोध प्रदर्शन हुए।

उड़ीसा

भुवनेश्वर में टीयूसीआई ने काला दिवस मानते हुए प्रदर्शन किया। पारले लिंगराज बिस्किट फैक्ट्री के मज़दूरों ने प्रदर्शन किया।

दिल्ली

इफ्टू (सर्वहारा) ने राजधानी दिल्ली के मायापुरी औद्योगिक क्षेत्र एवं मजदूर बस्ती में विरोध प्रदर्शन, माइकिंग व पर्चा अभियान।

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