संघर्ष के 1000 दिन : उत्तराखंड में 3 सीएम बदल गए, लेकिन माइक्रोमैक्स मज़दूरों को न्याय नहीं

गैरक़ानूनी छँटनी के खिलाफ भगवती-माइक्रोमैक्स के श्रमिकों के संघर्ष के 1000 दिन हो गए, राज्य में तीन मुख्यमंत्री बदल गए, लेकिन कोर्ट से जीत के बावजूद न्याय नहीं मिल रहा है।…

वर्तमान मुख्यमंत्री के गृह नगर में न्याय के लिए संघर्षरत माइक्रोमैक्स के मज़दूर

पंतनगर (उत्तराखंड)। गैरक़ानूनी छँटनी के खिलाफ 21 सितंबर को भगवती प्रोडक्ट्स माइक्रोमैक्स के को श्रमिकों के संघर्ष को 1000 दिन पूरे हो गए। श्रमिकों द्वारा ‌सोशियल मीडिया के माध्यम से श्रमिकों समस्याओं के जल्द समाधान की मांग के साथ रोष प्रकट किया।

ज्ञात हो कि 27 दिसंबर 2018 को माइक्रोमैक्स मोबाइल बनाने वाले भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड, सिडकुल, पंतनगर ने 303 मज़दूरों की गैरकानूनी रूप से छँटनी कर दी थी। इसी के साथ कंपनी गैरकानूनी रूप से 47 श्रमिकों को कथित ले ऑफ के बहाने बैठ रखा है, जबकि यूनियन अध्यक्ष को बर्खास्त कर दिया है। तबसे 351 मज़दूर जमीनी लड़ाई से कोर्ट तक की लड़ाई लड़ रहे हैं।

इस बीच 3 मार्च,2020 को औद्योगिक न्यायाधिकरण ने छँटनी को अवैध घोषित कर दिया था और समस्त श्रमिकों को सारे देयकों के साथ कार्यबहाली का आदेश पारित किया गया था। उधर हाईकोर्ट ने भी इसके अनुपालन का निर्देश दिया। इस बीच राज्य में भाजपा सरकार के तीन मुख्यमंत्री बदल गए, मजदूरों ने सबसे गुहार लगाई, लेकिन न्याय नहीं मिल रहा है।

मजदूरों ने कहा कि अब तक राज्य में तीन मुख्यमंत्री बदल गए, लेकिन न्याय न मिलने के कारण वे कंपनी प्रबंधन, जिले से संबंधित वर्तमान मुख्यमंत्री सहित तीनों मुख्यमंत्री, जन प्रतिनिधियों व शासन-प्रशासन-श्रम अधिकारियों के खिलाफ अपना रोष व्यक्त करने को मजबूर हैं।

भगवती श्रमिक संगठन के महासचिव दीपक सनवाल ने कहा कि 27 दिसंबर, 2018 को, कंपनी को 5 से 10 वर्षों से सेवा दे रहे 351 स्थाई महिला-पुरुष श्रमिकों/राज्य के युवाओं को भगवती माइक्रोमैक्स के मदर प्लांट रुद्रपुर ऊधम सिंह नगर के कंपनी प्रबंधन द्वारा गैरकानूनी छंटनी, ले आफ आदि देकर बाहर का रास्ता दिखा रखा है। जबकि औधोगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी द्वारा छंटनी को गैरकानूनी घोषित कर श्रमिकों को सभी हित लाभ प्रदान करने और माननीय उच्च न्यायालय द्वारा भी अवार्ड का परिपालन करने के निर्देश जारी किए हैं।

श्रमिक प्रतिनिधि बन्दना बिष्ट ने कहा कि न्याय के लिए संघर्ष करते 351 श्रमिक व उनके परिवारजनों को राज्य से पलायन करने व भूखमरी की हालात में फूटपाथ में रहने को मजबूर हैं। आज 1000 दिनों से श्रमिकों को कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ।

श्रमिक प्रतिनिधि नंदन सिंह ने कहा कि इस बीच बने तीनों मुख्यमंत्रियों व अन्य जन प्रतिनिधियों को अवगत कराया, गैरकानूनी छंटनी व कोर्ट के आदेश के उपरांत भी न्याय न मिलने व बेरोजगारी के कारण श्रमिकों फुटपाथ में सांप कीटों के साथ रहने की मजबूरी व भुखमरी आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं। लेकिन सबने समाधान को लंबित कर श्रमिक समस्यायों को और बड़ा कर दिया।

श्रमिक प्रतिनिधि ठाकुर सिंह ने कहा कि 1000 दिन हमने जमीन से लेकर कोर्ट तक संघर्ष किया है और आगे भी जबतक न्याय नहीं मिलता हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

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