एमपी : कर्ज के बोझ से दबे एक और किसान ने की खुदकुशी

हर वर्ष भारत में हज़ारों किसान किसी न किसी कारण आत्महत्या करते है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार वर्ष 2017 में 10655 किसानों ने की आत्महत्या।

सरकारें बनती है तो महिला सुरक्षा, हॉस्पिटल में बेहतर व्यवस्था, स्कूल में अच्छी शिक्षा, किसानों के ऋण काम करने या माफ करने के दावे करती हैं। किसानों की फसल और ऋण माफ भी होते हैं लेकिन इस तरह होते हैं की किसान खुदकुशी करने पर मजबूर हो जाता हैं। मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में एक अन्य दाता ने कर्ज नहीं चुका पाने और फसलों को नुकसान पहुंचाने के बाद कथित तौर पर आत्महत्या कर ली।

किसान की उम्र 37 वर्षीय बताई जा रही है। मृत युवा किसान का नाम जितेंद्र पाटीदार था। उसने अपने खेत में एक पेड़ से लटक कर आत्महत्या की है। बताया जा रहा है की किसान ने कर्ज नहीं चुका पाने या फसलों का बारिश न होने से नुकसान होने की वजह से यह कदम उठाया है। इस मामले में जांच चल रही जांच के बाद पूरा मामला और कारण स्पष्ट हो जाएगा।

शनिवार को एक पुलिस अधिकारी ने बताय कि एक युवा किसान जितेंद्र पाटीदार (37 वर्षीय) शुक्रवार को मेंगांव थाना क्षेत्र के पंढनिया गांव में अपने खेत में एक पेड़ से लटका मिला। शुक्रवार शाम को खबर आई कि एक किसान ने खुदकुशी कर ली है। उपमंडल दंडाधिकारी (sub-divisional magistrate) सत्येंद्र सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन और कृषि विभाग के अधिकारियों की टीम तत्काल मौके पर पहुंची। सत्येंद्र सिंह ने बताया कि जिले में पिछले साल की तुलना में कम बारिश दर्ज की गई थी, लेकिन हाल ही में हुई बारिश से फसलों की स्थिति सुधरी है।

हर वर्ष भारत में हज़ारों किसान किसी न किसी कारण आत्महत्या कर लेते है। 2 जनवरी, 2020 को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Record Bureau- NCRB) ने वर्ष 2017 में कृषि क्षेत्र में आत्महत्या से संबंधित आँकड़ो को प्रकाशित किया है। जिसके अनुसार वर्ष 2017 में कृषि में शामिल 10,655 लोगों ने आत्महत्या की है। आत्महत्या करने वालों में 5,955 किसान और 4,700 खेतिहर मज़दूर थे।

मीडिया विजिल से साभार

About Post Author