कार निर्माता फोर्ड इंडिया के दोनों प्लांट होंगे बंद, 10 हजार श्रमिकों की जाएंगी नौकरियां

अमेरिकी वाहन कंपनी फोर्ड ने भारत में कारों की उत्पादन बंद करने की घोषणा कर दी है। इससे चेन्नई और साणंद स्थित दोनों प्लांटों और रिटेल शॉप पर काम करने वाले 40 हजार श्रमिक बेरोजगार होंगे।

चार सालों में पाँचवीं विदेशी ऑटो कंपनी ने मुनाफा कमाकर किया पलायन

अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड ने भारत में दो दशक से अधिक तक बिजनेस करने के बाद देश से निकलने का फैसला किया है। कंपनी देश में कारों की मैन्युफैक्चरिंग बंद करेगी। इसका गुजरात में साणंद प्लांट इस वर्ष की चौथी तिमाही और तमिलनाडु में चेन्नई का प्लांट अगले वर्ष की दूसरी तिमाही तक बंद कर दिया जाएगा।

भारी मुनाफा कमाकर और मजदूरों के पेट पर लात मारकर 2017 के बाद से जनरल मोटर्स, मैन ट्रक्स, हार्ले डेविडसन और यूएम लोहिया के बाद फोर्ड इंडिया भारत से पलायन करने वाली पांचवीं सबसे बड़ी कंपनी है, इसके अलावा कई फ्लाई-बाय-नाइट ईवी प्लेयर हैं। यह मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ की हक़ीक़त है।

हजारों श्रमिक होंगे बेरोजगार

फोर्ड इंडिया के इस फैसले से करीब 4,000 स्थाई कर्मचारियों सहित हजारों अस्थाई मज़दूर बेरोजगार होंगे। इसके साथ ही 150 डीलर प्रभावित होंगे, साथ ही करीब 300 बिक्री केन्द्रों पर काम करने वाले 40000 से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी भी संकट में है।

अस्थाई श्रमिकों के बारे में कोई चर्चा नहीं

इस बंदी से प्रभावित स्थाई श्रमिकों के बारे में पैकेज की बात होगी, हालांकि एक उम्र तक काम करने के बाद मुआवजे का कोई मतलब नहीं। लेकिन हजारों अस्थाई ठेका, कैजुआल, ट्रेनी व सर्विस सेंटरों, रिटेल पॉइंट्स में काम करने वाले मज़दूरों के सामने संकट सबसे गहरा है, जिनकी कहीं कोई गिनती नहीं। ज़िंदगी के कीमती साल व नौकरी तो गई ही, कोई मुआवज़ा भी नहीं मिलेगा।

इस मामले में फोर्ड इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अनुराग मेहरोत्रा का कहना है कि प्रभावित कर्मचारियों को एक समान और उचित पैकेज की पेशकश की जाएगी। लेकिन यह केवल दोनों प्लांटों में काम करने वाले स्थाई श्रमिकों के बारे में है।

फोर्ड इंडिया ने कहा, “पुनर्गठन से लगभग 4,000 कर्मचारियों के प्रभावित होने की आशंका है। फोर्ड चेन्नई और साणंद में कर्मचारियों, यूनियनों, आपूर्तिकर्ताओं, डीलरों, सरकार और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम करेगी, ताकि निर्णय के प्रभावों को कम करने के लिए एक निष्पक्ष और संतुलित योजना विकसित की जा सके।”

दूसरी ओर यूनियन के एक अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया, “कंपनी ने अपने दो भारतीय संयंत्रों को बंद करने का फैसला किया है। प्रबंधन ने हमारे भविष्य के बारे में हमसे बात नहीं की है. शायद सोमवार को अधिकारी हमसे बातचीत करेंगे।”

मज़दूर बेरोजगार, लेकिन धंधा चलता रहेगा

फोर्ड ने साल 1995 में भारत में प्रवेश किया था और तब से देश भर में नए और मौजूदा ग्राहकों के लिए मैन्युफैक्चरिंग सुविधाओं के साथ बिक्री और सेवा केंद्रों का एक नेटवर्क स्थापित करने के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया है।

फोर्ड का कहना है कि उसकी भारतीय यूनिट को पिछले दशक में 2 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। उसने देश की एक बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा के साथ ज्वाइंट वेंचर कर अपने बिजनेस को मजबूत करने की कोशिश की थी। इसमें फोर्ड के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स का प्लेटफॉर्म और इंजन बनाने के लिए इस्तेमाल होना था। हालांकि, यह ज्वाइंट वेंचर इस वर्ष की शुरुआत में टूट गया और इसके लिए कोई कारण भी नहीं बताया गया।

हालांकि कंपनी ने बताया है कि वह अपनी कारों के लिए स्पेयर पार्ट्स और सर्विसिंग उपलब्ध कराना जारी रखेगी। कंपनी अपने दिल्ली, चेन्नै, मुंबई, सानंद और कोलकाता डिपो को मेंटेन करने रखेगी और डीलरशिप के साथ मिलकर काम करेगी। कंपनी मस्टैंग और फोर्ड रेंजर जैसे प्रीमियम मॉडल्स का इम्पोर्ट जारी रखेगी।

साफ है कि मुनाफा बटोरकर कंपनी देश से पलायन करेगी, लेकिन धंधा चलता रहेगा। पीड़ित वे मज़दूर होंगे, जिन्होंने अपने खून-पसीने से इस कंपनी को लाभकारी बनाया।

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