निजीकरण के खिलाफ राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद देश भर के उपभोक्ता संगठनों को एकजुट करेगी

बिजली निजीकरण के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय पर्दे के पीछे से नए-नए कानून बना रहा है। राज्यों में ट्रांसमिशन नेटवर्क अच्छी हालत में हैं और निजी कंपनियां उसपर कब्जा करना चाहती हैं।

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की निजीकरण की नीति के खिलाफ राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद देश भर के उपभोक्ता संगठनों को एकजुट करेगी। परिषद ने ट्रांसमिशन नेटवर्क को निजी हाथों में सौंपने के प्रयासों को उपभोक्ता हित के खिलाफ बताते हुए इसका हर स्तर पर विरोध करने का एलान किया है।

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिजली निजीकरण की योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय पर्दे के पीछे से आए दिन नए-नए कानून बना रहा है। चाहे उपभोक्ता अधिकार कानून हो या रेवैंप योजना या फिर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की योजना, इन सभी उपभोक्ताओं का कम निजी घरानों को ज्यादा भला होगा। अब ट्रांसमिशन नेटवर्क को भी निजी हाथों में देने की भूमिका तैयार की जा रही है।

वर्मा ने कहा कि सभी राज्यों में ट्रांसमिशन नेटवर्क अच्छी हालत में हैं और निजी घरानों की उस पर नजर है। वे किसी भी तरह ट्रांसमिशन नेटवर्क पर कब्जा करना चाहते हैं। जिससे वितरण क्षेत्र में एकाधिकार कायम कर सकें।

वर्मा ने कहा कि प्रदेश में बीते पांच वर्षों में सर्वाधिक सुधार ट्रांसमिशन सेक्टर में हुआ है। ट्रांसमिशन लाइन हानियां मात्र 3.33 प्रतिशत है, जो यह साबित करता है कि भविष्य में और बेहतर नतीजे आएंगे। केंद्र सरकार जिस तरह से संयुक्त उपक्रम के जरिए निजीकरण की मुहिम में जुटी है, उससे स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि वह पूरे ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण करना चाहती है।

अमर उजाला से साभार

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