किसान आंदोलन पूरे भारत में होगा तेज; अखिल भारतीय सम्मेलन, 26-27 अगस्त को

एसकेएम ने लिखा है कि सरकार को मजबूर करने का एकमात्र तरीका है कि आंदोलन को और तेज किया जाए और सभी वर्गों के मेहनतकशों को शामिल करके भारत के सभी कोनों में विस्तार किया जाए।

26-27 को सिंघू बार्डर पर होने वाले अखिल भारतीय सम्मेलन के लिए एसकेएम ने विभिन्न किसान, मज़दूर व जनवादी संगठनों का आह्वान करते हुए कहा कि आंदोलन को भारत के सभी कोनों में विस्तार करने की जरूरत है, इसलिए, इस कन्वेंशन का आह्वान किया है। उन्होंने लिखा है कि हम आशा करते हैं कि आपका संगठन इस दिशा में आगे बढ़ने के उपायों में भाग लेने और सुझाव देने में सक्षम होगा।

अखिल भारतीय सम्मेलन के लिए एसकेएम द्वारा जारी पत्र

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा जारी पत्र में लिखा है कि जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं, संयुक्त किसान मोर्चा, पूरे भारत के सैकड़ों किसान संगठनों का प्रतिनिधि मंच है, जो, खेती और भोजन से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों पर नियंत्रित करने के कॉर्पोरेट के प्रयासों के खिलाफ एक गहन संघर्ष के बीच है।

खेती के 3 नए कानूनों के अमल से कृषि से संबंधित सभी गतिविधियाँ, जिसमें पशुपालन भी शामिल है, घरेलू और विदेशी कॉर्पोरेट के एकाधिकार का शिकार हो जाएंगे।

एसकेएम ने कहा कि हमारी समझ और डर यह है, कि ये किसान परिवारों की सीमित स्वतंत्रता को भी पूरी तरह से नष्ट कर देंगे, किसानों के घाटे को बढ़ाएंगे, उन्हें और अधिक कर्जदार बना देंगे, उन्हें उनकी भूमि से विस्थापित करेंगे, उनकी आजीविका के अल्प साधनों से उन्हें वंचित करेंगे और गांव की भूमि को गैर-कृषि उद्देश्य के प्रयोग की परिस्थिति पैदा कर देंगे। इससे जैव विविधता, पर्यावरण सुरक्षा और पारिस्थितिकी का बड़े पैमाने पर क्षरण होगा और बेरोजगारी बढ़ेगी।

इस समझ के साथ, एसकेएम मूल रूप से निम्नलिखित मांगों की प्राप्ति के लिए संघर्ष कर रहा है।

  1. कॉर्पोरेट पक्षधर 3 कृषि कानूनों का निरसन।
  2. सी2$50 फीसदी द्वारा निर्धारित एमएसपी पर सभी फसलों की खरीद के लिए कानूनी गारंटी।
  3. नए बिजली कानून को, जो कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सब्सिडी वाली ऊर्जा की अवधारणा को समाप्त करता है, वापस लेना।
  4. ‘एनसीआर व आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए बना नया कानून, 2021’ को निरस्त करना।

एसकेएम द्वारा जारी पत्र में लिखा है कि हम 26 नवंबर, 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं, इसके अलावा हमने कई इलाकों में बड़े विरोध प्रदर्शन और स्थायी धरना प्रदर्शन किये हैं और कई अखिल भारतीय विरोध कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं जिन्हें लोगों से भारी समर्थन प्राप्त हुआ है।

जबकि केंद्र की आरएसएस-भाजपा सरकार अधिक से अधिक किसान विरोधी, जनविरोधी फैसले अमल करती गयी है, वह और कॉरपोरेट मीडिया किसानों और आंदोलन को बदनाम करने के लिए गलत तथ्य और भ्रामक तर्क पेश करते रहे हैं। इनकी उदारवादी नीतियों ने देश के सभी तबकों को प्रभावित किया है।

इसके बावजूद हमारा आंदोलन किसानों, भूमिहीन श्रमिकों, आदिवासियों के सभी वर्गों की एक व्यापक और लंबे समय से चली आ रही एकता स्थापित करने और आरएसएस-भाजपा सरकार के फासीवादी हमले को चुनौती देने में तथा लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति के लिए जगह बनाने में सफल रहा है। इस हमले में औद्योगिक श्रमिकों, छोटे दुकानदारों, शिल्पकारों, आदिवासियों, छात्रों, महिलाओं, दलितों, ओबीसी वर्गों और अन्य के जीवन, आजीविका और स्वतंत्रता पर हमले शामिल हैं।

इस परिस्थिति में सरकार को मजबूर करने का एकमात्र तरीका है कि आंदोलन को और तेज किया जाए और सभी वर्गों के मेहनतकश लोगों और उनके संघर्षरत संगठनों को शामिल करके भारत के सभी कोनों में इसका विस्तार किया जाए। चुनावी हार ने भी इस सरकार को लोगों की कीमत पर कॉरपोरेट की सेवा करने के अपने दृढ़ संकल्प से नहीं रोका है।

एसकेएम ने विभिन्न किसान, मज़दूर व जनवादी संगठनों का आह्वान करते हुए कहा कि इसलिए, हमने इस कन्वेंशन का आह्वान किया है। हम आपकी मदद और सुझाव चाहते हैं। हम आशा करते हैं कि आपका संगठन इस दिशा में आगे बढ़ने के उपायों में भाग लेने और सुझाव देने में सक्षम होगा।

अखिल भारतीय सम्मेलन की आयोजन समितिः

26 व 27 अगस्त, 2021 को एसकेएम के अखिल भारतीय सम्मेलन की आयोजन समितिः आशीष मित्तल, संयोजक; कृष्णा प्रसाद; बल्देव सिंह निहालगढ़; प्रेम सिंह गहलावत; प्रेम सिंह भंगु; बिजू स्वदेशी; हरपाल सिंह; डा0 सतनाम सिंह अजनाला; धरमेन्द्र मलिक; सत्यवान; अविक साहा।  

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