राजस्थान : ग्रेनाइट फैक्ट्री में मिट्टी के मलबे में दबने से 3 साल की बच्ची समेत 5 की मौत

ग्रेनाइट फेक्ट्री में हौद बनाने के काम के दौरान मिट्‌टी का मलबा हौद में जा गिरा और वहाँ काम कर रहे मजदूरों के साथ पिता के साथ मौजूद 3 साल की मासूम भी उसमें दब गई।

हादसे-दर-हादसा : फैक्ट्रियाँ बन गई हैं जानलेवा

राजस्थान के जालौर में जिले में ग्रेनाइट फेक्ट्री में चल रहे मिट्टी खुदाई के कार्य के दौरान मिट्टी कटाव में दबने से 3 साल की एक बच्ची समेत 5 लोगों की मौत हो गई। बड़ा हादसा हो गया। यहां मिट्टी धंसने की वजह से एक बच्ची सहित पांच लोगों की जान चली गई।

घटना जोधपुर संभाग के जालौर जिले के भाकली गांव की सरहद पर रीको क्षेत्र के कारखाने में पानी के लिए टैंक (हौद) खोदते समय हुई। हादसे के बाद वहां अफरा-तफरी मच गई। सूचना मिलने पर आपदा टीम मौके पर पहुंची। शवों को बाहर निकाला गया। मृतक 3 बारां जिले और 2 जालोर के निवासी बताए गए हैं।

मिली जानकारी के अनुसार ग्रेनाइट फेक्ट्री में हौद बनाने का काम चल रहा था। हौद की गहराई करीब 6 फुट पहुची थी, तभी मिट्‌टी में कटाव शुरू हुआ। देखते ही देखते मिट्‌टी का मलबा हौद में जा गिरा और यहां काम कर रहे मजदूर दब गए, जिनमे अपने पिता के साथ मौजूद 3 साल की मासूम अनुष्का भी उसमें दब गई। हादसे के समय निर्माणाधीन मजदूर चाय पी रहे थे।

हादसे की सूचना पाते ही स्थानीय पुलिस और प्रशासन लोग मौके पर पहुंचे। जिसके बाद पुलिस ने मृतकों के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। जानकारी के मुताबित प्रशासन मामले की जांच कर रहा है।

जालौर के एसपी श्याम सिंह ने कहा कि मजदूर फैक्ट्री परिसर में वाटर टैंक खोद रहे थे, तभी रेतीली मिट्टी का धसना गिर गया और लोग इसमें दब गए। मृतकों की पहचान विक्रम, राजू कुमार, सौरभ कुमार, दिनेश कुमार रेवत के रूप में हुई है। इनके साथ एक छोटी बच्ची की भी जान चली गई।

ग्रेनाइट असोसिएशन के प्रमुख लाल सिंह ने कहा कि पानी का टैंक जल्द शुरू होने जा रही नई फैक्ट्री में बनाया जा रहा था। मिट्टी धंसने से मजदूर इसमें दब गए। 15-20 मिनट के भीतर दो जेसीबी मंगाए गए और उन्हें निकाला गया, लेकिन तब तक सभी की मौत हो चुकी थी।

दरअसल मुनाफे की आंधी हवस में असुरक्षित परिस्थितियों और मामूली दिहाड़ी पर काम करते मज़दूरों के लिए फैक्ट्रियाँ लगातार जानलेवा साबित हो रही हैं। कई मामले तो दब जाते हैं। जो थोड़े मामले खुल जाते हैं, वहाँ प्रशासनिक जाँच के बहाने ठंडे बस्ते में डाल दी जाति हैं।

और मज़दूर जान जोखिम में डाल कर पापी पेट के लिए मरते-खपाते हैं।

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