इंटरार्क प्रबंधन के एकपक्षीय निर्णय पर लगी रोक, प्रबंधन पर अवमानना का नोटिस

वेतन समझौते की जगह कथित अंतरिम राहत देने पर मजदूरों में आक्रोश

माँगपत्रों के लंबित रहते इंटरार्क कंपनी में श्रमिकों के खाते में कथित सहायता राशि डालने पर एएलसी ने रोक लगा दी और प्रबंधन द्वारा वार्ता मिनिट्स में हस्ताक्षर न करने पर नोटिस जारी करने का निर्देश भी दिया।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। चार साल से वेतन समझौता ना करने व तीन माँगपत्रों के लंबित रहते इंटरार्क कंपनी के पंतनगर और किच्छा प्लांटों में कथित सहायता राशि के नाम पर श्रमिकों के खाते में मनमाने रुपए डालने का मुद्दा तूल पकड़ गया है।

जहाँ एक तरफ दोनों प्लांट के मज़दूर इसके खिलाफ आक्रोशित होकर संघर्ष के मैदान में उतर पड़े हैं, वहीं दूसरी ओर श्रमिकों की आपत्ति के बाद प्रबंधन पर सहायक श्रम आयुक्त ने सीधी कार्यवाही की अनुशंसा कर दी है।

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एएलसी ने लगाई रोक, प्रबंधन के खिलाफ जारी किया नोटिस

इंटरार्क किच्छा प्लांट के प्रकरण में श्रमिक पक्ष की आपत्ति के बाद आज 5 अगस्त को सहायक श्रम आयुक्त उधम सिंह नगर के समक्ष वार्ता में श्रमिक पक्ष/यूनियन द्वारा कथन किया गया की वर्ष 2019-20 का माँगपत्र श्रम न्यायालय में लंबित है तथा 2020-21 और 2021-22 के माँगपत्र पर आई आर कार्यवाही जारी है।

ऐसे में प्रबंधन द्वारा एकपक्षीय रूप से कथित सहायता राशि के नाम पर श्रमिकों के खाते में रुपए ₹1000, ₹1100 और ₹1200 डालने का नोटिस कंपनी में चस्पा कर दिया गया। दूसरी तरफ इंटरार्क का प्रबंधन कथित रूप से एक लिखित कथन लेकर आया था और मामले को और लंबित करने के लिए अगली तिथि की माँग कर रहा था।

यूनियन की आपत्ति के बाद एएलसी महोदय ने लिखित कथन की जगह पर वर्तमान मुद्दे पर स्पष्ट रूप से स्थिति रखने के लिए प्रबंधन से कहा और प्रबंधन द्वारा सहायता राशि डालने को अनुचित बताया। कंपनी की ओर से आईआर/एचआर प्रबंधक जगत प्रकाश उपस्थित थे।

पक्षों को सुनने के बाद एएलसी महोदय ने प्रबन्धन को निर्देशित किया कि वह एकपक्षीय रूप से कोई निर्णय ना ले एवं माँगपत्र के संबंध में आपसी वार्ता द्वारा समाधान करने के पश्चात ही कोई धनराशि श्रमिकों के खाते में स्थानांतरित करेंगे।

संराधन/आईआर कार्रवाई के मिनिट्स में उपस्थित प्रबंधक ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया, जिससे नाराज आईआर अधिकारी/एएलसी ने प्रबंधन को अलग से इस अवमानना के लिए नोटिस जारी करने का निर्देश भी जारी किया।

दमन के बीच मज़दूर लंबे समय से हैं संघर्षरत

उत्तराखंड में इंटरार्क के दो प्लांट हैं- एक सिड़कुल, पंतनगर में और दूसरा किच्छा में। संघर्ष से दोनों प्लांटों में यूनियन बनी थी और दोनों यूनियनें जुझारू हैं। वर्ष 2018 में एक लंबा संघर्ष चल था, तबसे फर्जी मुकदमों के साथ दोनों प्लांट के 32 मज़दूर गैरक़ानूनी बर्खास्तगी और किच्छा प्लांट के यूनियन अध्यक्ष, महामंत्री सहित चार पदाधिकारी निलंबित चल रहे हैं।

दोनों प्लांटों में 2018 के बाद से कोई समझौता वार्ता नहीं हुई है। जबकि दोनों प्लांट की यूनियनों ने प्रत्येक वर्ष माँगपत्र दिया है। प्रबंधन की हठधर्मिता के कारण वर्ष 2019-20 का माँगपत्र श्रम न्यायालय में संदर्भित होने के बाद से लंबित है। जबकि 2020-21 और 2021-22 के माँगपत्र पर कार्यवाही जारी है।

इस बीच कोविड के बहाने पिछले डेढ़ साल से प्रबंधन आर्थिक स्थिति का रोना रोता रहा। हालांकि उत्पादन जबरदस्त रूप से जारी है।

उधर जुलाई 2020 में कंपनी प्रबन्धन ने कोरोना लॉक डाउन का फायदा उठाकर एक साजिश के तहत इन्टरार्क के दोनों प्लांटों (पंतनगर व किच्छा) के 195 मजदूरों का चेन्नई ट्रांसफर करने का फतवा जारी कर दिया था। जिसका मजदूरों ने जबरदस्त विरोध किया। अंततः मजदूरों को इसमे कामयाबी मिली और कोर्ट के आदेश से स्थानांतरण आदेश निरस्त हुआ।

माँगपत्र पर समझौते की जगह अनुचित श्रम अभ्यास

दोनों प्लांट में यूनियनों द्वारा 13 जुलाई को दिए गए वर्तमान माँगपत्र पर सुनवाई करने की बजाय प्रबंधन उकसावेपूर्ण कार्यवाही कर औद्योगिक अशांति का वातावरण पैदा करने की कोशिश की।

प्रबंधन द्वारा मैनेजमेंट और स्टाफ़ की वेतन बढ़ोत्तरी की गई, जबकि मजदूरों के वेतन में 1000 से 1200 रुपये की अंतरिम राहत की घोषणा की गई थी। प्रबंधन द्वारा दोनों प्लांटों में लगाए गए नोटिस में लिखा है कि यूनियन पदाधिकारियों द्वारा माँगपत्र पर हठधर्मिता का प्रदर्शन करते हुए अडे़ रहने की वजह से माँगपत्र पर कोई सम्मानजनक समझौता संपन्न नहीं हो सका।

इस कथित अंतरिम राहत लेने से दोनों प्लांट की यूनियनों और सभी मजदूरों ने इनकार कर दिया और कंपनी गेट पर प्रदर्शन किया। साथ ही दोनों यूनियन ने सहायक श्रमायुक्त से अवमानना व अनुचित श्रम व्यवहार पर रोक लगाने की अपील की।

यूनियन नेताओं का कहना है कि नोटिस बोर्ड पर चस्पा नोटिस में झूठा आरोप लगाया गया है और प्रबंधन द्वारा अब तक वार्ता की अगली तारीख तक नहीं बताई गई है। प्रबंधन ने यूनियनों को विश्वास में लिए बिना ही श्रमिकों को 1000/- ,1100/-व 1200/- रुपये प्रतिमाह अंतरिम राहत देने की एकतरफा घोषणा की है।

दोनों प्लांट की यूनियनों द्वारा इस एकतरफ़ा अंतरिम राहत के विरोध में सहायक श्रमायुक्त को आपत्ति पत्र दिया गया था। किच्छा प्लांट की यूनियन की आपत्ति पर आज वार्ता हुई, जिसमें सुनवाई के बाद रोक लगी और मिनिट्स पर हस्ताक्षर ना करने पर नोटिस जारी करने का निर्देश हुआ।

किच्छा प्लांट की वार्ता की अगली तिथि 17 अगस्त है, जबकि पंतनगर प्लांट की आपत्ति पर कार्यवाही शुरू होनी है।

ऐसी स्थिति में दोनों प्लांट के मज़दूर संघर्षरत हैं।

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