असम: बंद पड़ी पेपर मिल के एक और श्रमिक की मौत, कुल मृतक संख्या 92 हुई

55 महीनों से वेतन बकाया, भुखमरी व इलाज के अभाव में अधिकतर मौतें

गुवाहाटी: असम में हिंदुस्तान पेपर कॉरपोरेशन लिमिटेड की बंद पड़ी नगांव पेपर मिल के एक और कर्मचारी की शनिवार को मौत हो गई. राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) की दो मिलों के बंद होने के बाद से मरने वाले कर्मचारियों की कुल संख्या बढ़कर 92 हो गई है. मजदूर संघ के एक नेता ने यह दावा किया.

कुल मृतकों में चार लोगों ने आत्महत्या की थी. ये दोनों पेपर मिल पिछले कुछ वर्षों से बंद पड़ी हैं.मृतक की पहचान 61 वर्षीय धारणी सैकिया के रूप में हुई. वह डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे. मोरीगांव जिले के जगीरोड में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.

नंगाव और कछार पेपर मिल के जॉइंट एक्शन कमेटी ऑफ रेकग्नाइज्ड यूनियन्स के अध्यक्ष मानबेंद्र चक्रवर्ती ने दावा किया कि सैकिया को उचित मेडिकल उपचार नहीं मिल पाया. उन्होंने दावा किया कि अन्य कर्मचारियों की मौत भी मेडिकल इलाज के अभाव या भूख के चलते हुई है.

चक्रवर्ती के अनुसार, 14 जून के बाद से बंद पेपर मिलों के चौथे कर्मचारी की मौत हुई है और मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद पिछले ढाई महीने में यह छठी मौत है.उन्होंने दावा किया कि उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के कार्यकाल के दौरान भुखमरी या फिर इलाज की कमी के कारण 85 अन्य कर्मचारियों की मौत हो चुकी है.

उन्होंने कहा, ‘अधिकांश कर्मचारियों की मौत उचित इलाज नहीं मिलने के कारण हुई क्योंकि उन्हें पिछले 55 महीनों से उनका वेतन या बकाया नहीं मिला था. ये सामान्य मौतें नहीं हैं. वे अधिकारियों की उदासीनता के कारण मर रहे हैं.’चक्रवर्ती ने राज्य और केंद्र सरकार से अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और श्रमिकों के सभी कानूनी बकाया भुगतान करने और शेष कर्मचारियों के जीवन को बचाने की अपील की है.

दो पेपर मिल- हैलाकांडी जिले में कछार पेपर मिल एवं पंचग्राम तथा मोरीगांव जिले के जगीरोड में नगांव पेपर मिल हिंदुस्तान पेपर कॉरपोरेशन लिमिटेड की इकाइयां थीं. ये दोनों मिलें क्रमश: अक्टूबर 2015 और मार्च 2017 से बंद पड़ी हैं.

भाजपा सरकार ने 2016 में सर्बानंद सोनोवाल के सत्ता संभालने के बाद से दोनों पेपर मिलों को फिर से शुरू करने का वादा किया था. इतना ही नहीं इस साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान प्रचार करते हुए भाजपा की ओर से कहा गया था कि मिलों को पुनर्जीवित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने सभी हितधारकों के बीच कई दौर की बैठकों और कई सुनवाई के बाद बीते 26 अप्रैल को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के निर्णय के अनुसार दोनों बंद पेपर मिलों की सभी संपत्तियों को बेचने का आदेश दिया था.

इसके बाद एचपीसी के लिक्विडेटर कुलदीप वर्मा ने एक जून में कंपनी की ई-नीलामी के लिए 1,139 रुपये के आरक्षित मूल्य पर बोली लगाने का विज्ञापन जारी किया, लेकिन 15 जून की अंतिम तिथि तक कोई बोली लगाने वाला नहीं मिला था. इसके बाद 22 जून को नए सिरे से नीलामी हुई. लिक्विडेटर द्वारा दोनों मिलों की बिक्री का नोटिस 969 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य पर जारी किया गया, जो पिछले मूल्य से 170 रुपये कम था.

कांग्रेस, एआईयूडीएफ और असम जातीय परिषद जैसे विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि पेपर मिलों की नीलामी करने की बजाय उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए कदम उठाए जाएं.

द वायर से साभार

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