संसद के समीप जंतर-मंतर पर ऐतिहासिक ‘किसान संसद’ की जोरदार शुरुआत

महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा अनुशासित और व्यवस्थित रही

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत आज 22 जुलाई से संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर संसद के समीप जंतर-मंतर पर किसान संसद शुरू हुई, जो 13 अगस्त तक जारी रहेगी। पुलिस ने आंदोलनकारी किसानों की बस को रोकने की नाकाम कोशिश की, मीडिया को बैरीकेड लगा कर आयोजन स्थल से बहुत दूर रोक दिया गया। लेकिन किसान संसद पूरी तरह से अनुशासित और व्यवस्थित रही।

भारत के इतिहास में पहली बार देश की राजधानी दिल्ली में एक साथ एक वक्त में दो-दो संसद चलती हुई नज़र आईं। एक तरफ़ संसद में मानसून सत्र जारी है, वहीं दूसरी तरफ गुरुवार को दिल्ली की तीन सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन में शामिल किसानों ने जंतर मंतर पर किसान संसद लगाया गया। जहाँ 40 किसान संगठन के साथ साथ तक़रीबन 20 राज्यों के किसान संगठन के प्रतिनिधि होंगे।

भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए 200 किसानों के समूह ने मध्य दिल्ली के जंतर मंतर पर बृहस्पतिवार को संसद भवन के निकट ऐतिहासिक किसान संसद के मानसून सत्र की जोर-शोर से शुरुआत हुई। किसान-विरोधी एपीएमसी बाइपास अधिनियम के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत और अनुशासित बहस हुई।

तीन सत्र के लिए छह स्पीकर व डिप्टी स्पीकर

किसानों का समूह बसों द्वारा प्रदर्शन स्थल से जंतर मंतर पर पूर्वाह्न 11 बजे से शाम पांच बजे तक संसद की कार्यवाही में भाग लेने पहुंचा। दिल्ली पुलिस द्वारा मीडिया को किसान संसद की कार्यवाही से दूर रखने की कोशिश को एसकेएम ने शर्मनाक प्रयास कहा और उसकी निंदा की।

जंतर मंतर, संसद भवन से कुछ ही दूरी पर स्थित है जहां मॉनसून सत्र चल रहा है। किसानों ने कहा कि किसान संसद आयोजित करने का उद्देश्य यह प्रदर्शित करना है कि उनका आंदोलन अब भी जारी है तथा केंद्र को यह संदेश देना है कि वे भी जानते हैं कि संसद कैसे चलाई जाती है।

एसकेएम के अनुसार किसान संसद के तीन सत्र होंगे। छह सदस्यों का चयन किया गया है जिन्हें तीनों सत्र के लिए अध्यक्ष (स्पीकर) और उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) चुना जाएगा। प्रथम सत्र में किसान नेता हन्नान मौल्ला और मंजीत सिंह को इन पदों के लिए चुना गया है।

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26 जुलाई व 9 अगस्त महिला किसान संसद

22 जुलाई से लेकर 13 अगस्त तक चलने वाली किसान संसद में दो दिन महिला किसानों के लिए आरक्षित रहेंगे। 26 जुलाई और 9 अगस्त को महिला किसानों की किसान संसद में मौजूदगी रहेगी। किसान संसद में महिलाओं के लिए आरक्षित दिनों में कोई भी पुरुष नहीं होगा। स्पीकर से लेकर डीप्टी स्पीकर और किसान संसद सदस्य के सभी सदस्यों के रूप में महिला किसान शामिल होंगी।

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किसान संसद : ऐतिहासिक दिन

संयुक्त किसान मोर्चे ने इसे महत्वपूर्ण जन आंदोलन का एक ऐतिहासिक दिन कहा। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर संसद के समीप जंतर-मंतर पर किसान संसद का आयोजन किया गया। जैसा कि एसकेएम ने पहले ही बताया था, किसान संसद पूरी तरह से अनुशासित और व्यवस्थित रही।

सुबह पुलिस ने किसान संसद के प्रतिभागियों की बस को जंतर-मंतर जाने से रोकने की कोशिश की, लेकिन बाद में इसे सुलझा लिया गया। दिल्ली पुलिस ने मीडिया को किसान संसद की कार्यवाही पर प्रतिवेदन करने से रोकने की भी कोशिश की, और उन्हें बैरीकेड लगा कर किसान संसद के आयोजन स्थल से बहुत दूर रोक दिया गया।

किसान संसद में किसानों ने भारत सरकार के मंत्रियों के खोखले दावों का खंडन किया कि किसानों ने यह नहीं स्पष्ट किया है कि तीन कानूनों के साथ उनकी चिंता क्या है, और वे केवल अपनी निरसन की मांग पर डटे हैं। एपीएमसी बाइपास अधिनियम पर चर्चा करते हुए, किसान संसद में भाग लेने वालों ने कानून की असंवैधानिक प्रकृति, भारत सरकार की अलोकतांत्रिक प्रक्रियाओं, और कृषि आजीविका पर कानून के गंभीर प्रभावों के संबंध में कई बिंदु उठाए।

उन्होंने दुनिया के सामने इस काले कानून के बारे में अपनी विस्तृत ज्ञान को प्रदर्शित किया, और क्यों वे पूर्ण समाप्ति और इससे कम कुछ नहीं पर जोर दे रहे हैं।

Kisan Andolan Delhi Live: Farmers Protest At Jantar Mantar Delhi, Farmers  To Hold Kisan Parliament With 200 Farmers - Kisan Andolan Live: जंतर-मंतर  पर किसान 'संसद' का पहला दिन खत्म, शुक्रवार को

किसान संसद अनूठा प्रयोग

किसान संसद एक तरह से संसद की कार्यवाही के ठीक विपरीत थी। किसान आंदोलन के समर्थन में सांसदों ने आज सुबह गांधी प्रतिमा पर विरोध प्रदर्शन किया। वे किसानों द्वारा जारी पीपुल्स व्हिप का पालन कर रहे थे। कई सांसदों ने किसान संसद का दौरा भी किया।

एसकेएम नेताओं ने किसानों के संघर्ष को समर्थन देने के लिए सांसदों को धन्यवाद दिया, लेकिन सांसदों को मंच या माइक का समय नहीं दिया गया। उनसे संसद के अंदर किसानों की आवाज बनने का अनुरोध किया गया। केरल के 20 सांसदों ने भी किसानों के लिए अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए जंतर-मंतर का दौरा किया।

आज जंतर मंतर पर लगी किसान संसद, 40 किसान संगठन समेत 20 राज्यों के किसानों  ने लिया हिस्सा | Farmers parliament at Jantar Mantar today Farmers from 20  states including 40 farmers ...

गुरुद्वारा की ओर से लंगर की व्यवस्था

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने अपनी निरंतर एकजुटता में किसानों के लिए लंगर की व्यवस्था की और आगे भी करने का ऐलान किया है। प्रबंधक कमेटी ने बताया कि ‘किसान संसद’ में भाग लेने वाले किसानों के लिए पास के बांग्ला साहिब गुरुद्वारा से भोजन उपलब्ध कराया गया। समिति पिछले नवंबर से तीनों सीमाओं पर लंगर का आयोजन कर रही है।

एसकेएम द्वारा एक पहचान पत्र जारी हुआ है, जिसके बिना, ‘किसान संसद’ में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। हर दिन जंतर-मंतर पर किसानों के नए दल के आने के साथ ही उनमें से हर एक को ये पहचान पत्र जारी किए जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि किसान नेताओं के तेवर के बाद दिल्ली के उप राज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल ने जंतर मंतर पर नौ अगस्त तक अधिकतम 200 किसानों को प्रदर्शन करने की विशेष अनुमति दी है।

सिरसा में आमरण अनशन जारी

सिरसा में सरदार बलदेव सिंह सिरसा का अनिश्चितकालीन आमरण अनशन आज पांचवें दिन में प्रवेश कर गया। वे अस्सी वर्ष के हैं। उनकी सामान्य स्वास्थ्य स्थिति कमजोर हो गई और बिगड़ गई है। उनका वजन छह किलो कम हो गया है, और उनके बीपी और ग्लूकोज के स्तर में काफी गिरावट आई है। उन्होंने यह कहते हुए उपवास शुरू किया था कि या तो वे अपने साथियों की रिहाई सुनिश्चित करेंगे या इसके लिए अपनी जान दे देंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने सरदार बलदेव सिंह सिरसा को कुछ भी होने पर आंदोलन की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया की हरियाणा सरकार को चेतावनी दी और कहा कि उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा पूरी तरह से हरियाणा सरकार की जिम्मेदारी है।

एसकेएम एक बार फिर मांग करता है कि गिरफ्तार किए गए युवा किसान नेताओं को अविलम्ब रिहा किया जाए, और सरकार द्वारा बिना किसी देरी के मामलों को वापस लिया जाए।

Farmer Leader Said, This Is A Nationwide Protest And Motive Of All Farmers  Organisations Are Same To Repeal Farm Laws - किसान संसद: 500 संगठन, साझा  झंडा तक नहीं, विचारधारा भी अलग,

कर्नाटक में किसान नेताओं के निधन पर शोक

संयुक्त किसान मोर्चा कल गडग जिले के नरगुंड में शहीद स्मारक बैठक के बाद एक दुर्भाग्यपूर्ण सड़क दुर्घटना में मारे गए कर्नाटक राज्य रैयता संघ के दो वरिष्ठ नेताओं, श्री टी रामास्वामी और श्री रमन्ना चन्नापटना के प्रति गहरा सम्मान और संवेदना प्रकट करता है। एसकेएम ने कहा कि उनका निधन कर्नाटक में किसान संगठनों और किसान आंदोलन के लिए एक गहरी क्षति है।

लड़ाई डी-रेगुलेशन के खिलाफ है

भारत सरकार ने दालों पर लगाए गए भण्डारण की सीमा में ढील देते हुए दावा किया है कि कुछ नियामक और आयात संबंधी फैसले लिए जाने के बाद खुदरा कीमतों में कमी आई है। एसकेएम सरकार को याद दिलाना चाहता है यह ठीक उसी तरह का नियामक प्रावधान है जो कि आम नागरिकों के हित के लिये सरकार के पास होना चाहिए।

एसकेएम ने कहा कि उसकी लड़ाई अविनियमन (डी-रेगुलेशन) के खिलाफ है जो किसानों और उपभोक्ताओं की कीमत पर जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों को फायदा पहुंचाती है, और अन्य दो केंद्रीय कानूनों के साथ आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 को पूर्ण रूप से निरस्त करने की अपनी मांग को दोहराया। एसकेएम ने बताया कि किसानों के आंदोलन के कारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा कानून पर रोक लगाने के कारण ही सरकार ऐसे कुछ उपाय करने में सक्षम है।

Kisan Sansad| Farmers' Parliament at Jantar Mantar| Congress Protest In  Parliment house. | Kisan Sansad: किसान संसद में बनाए गए तीन स्पीकर, राहुल  गांधी की अगुवाई में विपक्ष ने किया ...

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी विज्ञप्ति (238वां दिन, 22 जुलाई 2021) के साथ

जारीकर्ता – बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव।

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